दुर्घटना रहित समाज बनाए- परिवहन राज्य मंत्राी श्री बाबूलाल वर्मा
शिक्षकों के लिए सड़क सुरक्षा कार्यशाला सम्पन्न
अजमेर, 26 फरवरी। परिवहन राज्य मंत्राी श्री बाबूलाल वर्मा ने कहा कि दुर्घटना रहित समाज के निर्माण के लिए सरकार, समाज और व्यक्ति का समग्र योगदान अपेक्षित है। उन्होंने यह बात माखुपुरा स्थित आॅटोमेटेड चालक प्रशिक्षण, परीक्षण एवं कौशल संस्थान में आयोजित कार्यशाला के समापन समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर संभागीयों से अपने सम्बोधन में कही। परिवहन विभाग, शिक्षा विभाग तथा सरदार पटेल पुलिस सुरक्षा एवं दाण्डिक न्याय विश्वविद्यालय जोधपुर के सेन्टर फाॅर रोड़ सेफ्टी के संयुक्त तत्वावधान में 22 फरवरी से आरम्भ हुई लगभग 80 शिक्षकों की राज्य स्तरीय सड़क सुरक्षा कार्यशाला का समापन 26 फरवरी को हुआ। इसमें जोधपुर, भरतपुर तथा बीकानेर संभाग के शिक्षकों ने भाग लिया।
श्री वर्मा ने अपने सम्बोधन में कहा कि सड़क सुरक्षा एक महत्वपूर्ण आयाम है । सड़कांे पर शत प्रतिशत सुरक्षित वाहन चालन के लिए यातायात नियमों का पालन आवश्यक है। कार्यशाला के माध्यम से शिक्षकों को सड़क सुरक्षा के विषय पर प्रशिक्षित करने से भविष्य के वाहन चालकों को अनुशासित बनाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि प्रशिक्षण का वास्तविक लाभ तभी मिल पाएगा जब जमीनी स्तर पर इसके माध्यम से परिवर्तन आए। शिक्षकों के द्वारा विद्यालयों में अध्ययनरत विद्यार्थियों को सड़क सुरक्षा के प्रति जागरूक करके समाज और सरकार अपनी एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी का निर्वहन कर रहे है। इससे सड़क दुर्घटनाओं से होने वाली वाहन-धन-अंग-जन-कुटुम्ब क्षति को रोका जा सकता है। उन्होंने कहा कि सड़क दुर्घटनाओं में घायल व्यक्तियों का सहयोग करने से संभावित जन क्षति को रोका जा सकता है। सहायता करने वाले व्यक्ति से पुलिस और न्यायालय द्वारा एक बार ही पूछताछ की जाती है । इसलिए घबराने की जगह दायित्व निर्वहन करना चाहिए। इससे एक परिवार की खुशियां लौटायी जा सकती है। सड़क सुरक्षा वाहन चालकों के साथ साथ सड़कों का उपयोग करने वाले समस्त व्यक्तियों की सामुहिक जिम्मेदारी है। इसको निभाने के लिए सम्पूर्ण समाज का सहयोग आवश्यक है।
महर्षि दयानन्द सरस्वती विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. कैलाश सोडानी ने अपने अध्यक्षीय सम्बोधन में कहा कि सड़कों समस्त उपयोगकर्ताओं द्वारा यातायात नियमों का पालन करने से यातायात पुलिस की आवश्यकता खत्म हो जाएगी। हमारी सुरक्षा के लिए पुलिस द्वारा हेलमेट और सीट बैल्ट का इस्तेमाल करने के लिए आग्रह करना हमारे व्यवहार को आत्महन्ता की श्रेणी में रखता है। उन्होंने कहा कि वाहन चालक आठ घंटे की ड्यूटी करने के बाद तथा 12 दिन की ड्यूटी के बाद अवकाश पर रहने का नियम होना चाहिए। इससे वाहन चालक अच्छी मानसिकता, सजगता तथा प्रसन्नचित्तता के साथ वाहन चालन करेगे और दुर्घटनाओं की आशंका कम हो जाएगी। हमें नियम तोड़ बहादुर के स्थान पर नियम पालक आदर्श नागरिक बनने की मानसिकता अपनानी चाहिए।
अजमेर के प्रादेशिक परिवहन अधिकारी श्री विनोद कुमार ने कहा कि वाहन चालन के प्राधिकार पत्रा को पर्याप्त परीक्षण के उपरान्त जारी किया जाना चाहिए। सड़क सुरक्षा प्रकोष्ठ के जिला परिवहन अधिकारी श्री वीरेन्द्र सिंह राठौड़ ने कहा कि सड़क दुर्घटनाओं का वैज्ञानिक अध्ययन-अनुसंधान आवश्यक है। सड़क सुरक्षा तथा यातायात नियमों को पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है। इसका संदेश विद्यार्थियों के दैनिक जीवन की आदतों में उतारने के लिए शिक्षकों के प्रशिक्षण करवाए जाते रहेगे। सड़क और वाहन की भाषा सीख कर ही वाहन चालन करना हितकारी होता है। एक छोटी सी लापरवाही बड़ी दुर्घटना का कारण बन जाती है।
सरदार पटेल पुलिस सुरक्षा एवं दाण्डिक न्याय विश्वविद्यालय के सेन्टर फाॅर रोड सेफ्टी की समन्वयक श्रीमती प्रेरणा सिंह ने कहा कि सड़क सुरक्षा पर आयोजित सर्टीफाईड टीचर्स प्रशिक्षण के द्वारा शिक्षकों को सड़क सुरक्षा के सामुदायिक लीडर बनाने का प्रयास किया गया है। इसमें प्रतिभागियों को सड़क दुर्घटना के कारणों, सड़क सुरक्षा के उपकरणों, सड़क की भाषा, वाहनों की सुरक्षित बनावट, सड़कांे की सुरक्षित बनावट, जीवन रक्षा तथा प्राथमिक उपचार के बारे में विस्तार पूर्वक सैद्धांतिक एवं प्रायोगिक तरीकों से प्रशिक्षित किया गया है।
इस अवसर पर समस्त संभागीय को परिवहन राज्य मंत्राी द्वारा यातायात प्रतिज्ञा भी दिलवायी गई तथा स्मृति चिन्ह के रूप में स्वच्छ भारत- सुरक्षित भारत- स्वस्थ भारत का संदेश देने के लिए फल प्रदान किए गए।
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