रविवार, 28 फ़रवरी 2016

नागौर. नागौर का एक ऐसा गांव जहां शराब तो दूर गुटखा तक नहीं मिलता



नागौर. नागौर का एक ऐसा गांव जहां शराब तो दूर गुटखा तक नहीं मिलता
-एक दशक से अधिक समय से शराब का ठेका नहीं

-पांच साल से गुटखा भी प्रतिबंधित

साभार हनुमान राम इणानिया

मूण्डवा (नागौर)। नागौर जिला मुख्यालय से 12 किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्ग 89 पर आबाद ईनाणा गांव। गांव भले ही छोटा है, लेकिन मिसाल में सबसे अलग। करीब छह हजार की आबादी वाले इस गांव में शराब बिकना तो बहुत दूर की बात यहां तो गुटखे का पाउच तक दुकानों पर नजर नहीं आता। वर्ष 2011 में राजस्थान दिवस को इस गांव ने स्मरणीय बनाया। गांव की चौपाल में तीन फैसले किए। पहला शादी समारोह में डीजे या बग्गी का पूर्ण बहिष्कार, दूसरा शादी समारोह में आतिशबाजी नहीं करने तथा तीसरा गांव में गुटखे बिक्री व खाने पर पूर्ण प्रतिबंध। शराब बंदी तो यहां कई वर्षों से जारी है। पूर्व सरपंच भंवरसिंह ईनाणियां कहते हैं, वर्ष 1995 में ज्ञान तालाब पर शराब बंदी पर चर्चा की। इसके बाद ईनाणा गांव में ग्रामीणों की सहमति से शराब के ठेके पर प्रतिबंध लगा दिया।

डीजे व बग्गी को शादी के अलावा भी अन्य समारोह में भी पूर्णत: वर्जित किया गया। महिलाओं व युवाओं में गुटखा सेवन की बढ़ती लत के चलते सबसे खतरनाक मानते हुए गांव की चौपाल में दुकानों पर गुटखे बेचने पर पाबंदी लगाई। अब गांव में कोई भी दुकानदार गुटखा नहीं बेचता है।

अब तो ठेके भी नहीं होता

गांव में शराब का ठेका प्रतिबंधित कर देने के कारण पिछले कई सालों से आबकारी विभाग भी ईनाणा गांव के लिए शराब ठेके की निलामी नहीं करता। वहीं गुटखे बिक्री पर रोक लगाने से यहां के युवाओं में नशे की लत भी नहीं है। यदि कोई चोरी-छिपे गुटखा खाते हुए नजर भी आ जाता है तो उसे हेय दृष्टि से देखा जाता है।

इनका कहना है

हाथों हाथ उतार दिए थे पाउच

करीब पांच साल पहले चौपाल पर गांव वालों ने गुटखा नहीं बेचने पर सहमति जताई थी। मैंने तो उसी दिन पाउच उतार लिए। गांव की बात पर आज भी गुटखा नहीं बेचता।

हरिराम, दुकानदार ईनाणा

आज तक नहीं बेचा गुटखा

जब से दुकान की है, कभी गुुटखा दुकान पर नहीं बेचा। गांव का निर्णय सर्वोपरी है। इससे युवकों तथा बच्चों में कुलत नहीं पड़ेगी।

हीराराम प्रजापत, दुकानदार, ईनाणा

कई मामलों में आदर्श हैं गांव

मेरे कार्यकाल में ग्रामीणों ने एतिहासिक फैसला किया। जिस पर आज भी हम सभी ग्रामीणों को गर्व है। हमारा गांव कई मामलों में आदर्श है। यदि सभी गांव ऐसा करे तो अधिकांश झगड़े बंद हो जाएं।

ओमप्रकाश ईनाणियां, पूर्व सरपंच ईनाणा

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