सोमवार, 25 जनवरी 2016

बाडमेर बेटी बचाओ, बेटी पढाओं पर विशेष जागरूकता शिविर आयोजित



बाडमेर बेटी बचाओ, बेटी पढाओं पर विशेष जागरूकता शिविर आयोजित
बाडमेर, 25 जनवरी। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण बालोतरा एवं ताल्लुका विधिक सेवा समिति बाडमेर के तत्वावधान में अपर जिला एवं सेशन न्यायाधीश संख्या 1 एल.डी. किराडू के मार्गदर्शन में अतिरिकत मुख्य न्यायिक मजिस्टेªट बाडमेर सुश्री शैल कुमारी सोलंकी, सिविल न्यायाधीश एवं न्यायिक मजिस्टेªट बाडमेर शेरसिंह मीणा, अतिरिक्त सिविल न्यायाधीश एवं न्यायिक मजिस्टेªट बाडमेर सुश्री अनुराधा दाधीच एवं प्रशिक्षु आरजेएस शिवदान चैधरी व जितेन्द्र कुमार द्वारा रविवार को भाडखा, बिशाला, बिशाला आगोर, बोथिया व भादरेश मे बेटी बचाओ, बेटी पढाओं विषय पर विशेष जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया।

उक्त विधिक साक्षरता शिविर में बालिकाओं के अधिकारों के बारे में जानकारी दी तथा लिंगानुपात में बढ़ रहे अंतर के प्रति चिंता व्यक्त करते हुए बाच्चियों को गर्भ में ही भ्रूण परीक्षण करवाकर गर्भपात कराने एवं भू्रण का लिंग परीक्षण कारावास से दण्डनीय अपराध होना एवं जुर्माने से भी दण्डनीय अपराध होना बताते हुए, भू्रण का लिंग परीक्षण कराने के संबंध में किसी भी प्रकार की जानकारी होने पर इसकी सूचना तत्काल नजदीकी पुलिस थाने में दी जानी चाहिए तथा भू्रण का लिंग परीक्षण करने वाले चिकित्सक की बरखास्तगी भी संभव है। कन्या गर्भपात का मुख्य कारण अशिक्षा होना तथा बच्चियों एवं महिलाओं को सरकार द्वारा दी जाने वाली सुविधाओं यथा- बच्चियों को स्कूलों में मुफ्त शिक्षा, छात्रवृति, सरकारी नौकरियों में प्राप्त होने वाले लाभ, अन्य सहायता आदि की जानकारी का अभाव होना बताते हुए, बालिकाओं को उन्हें सरकार से प्राप्त होने वाली विभिन्न योजनाओं एवं सुविधाओं से अवगत कराया गया तथा यह भी आग्रह किया कि वे अपने-अपने घरों में, मौहल्ले में एवं परिचितों को उक्त बातों से अवगत कराकर तथा उन्हें समाज में इस संबंध में बात करके, भू्रण का लिंग परीक्षण कारावास से दण्डनीय अपराध होना बताते हुए, उन्हें जागृत कर इस अपराध को रोकने हेतु प्रेरित करें तथा उनसे सहयोग प्राप्त करें तथा बच्चियों का बाल विवाह कर देने से न केवल बच्चियों, बल्कि लड़के के भी मानसिक, शारीरिकि व आर्थिक दृष्टिकोण से पिछड़ जाने के संबंध में जानकारी देते हुए बाल-विवाह का विरोध करने का आग्रह किया तथा कहीं पर भी हो रहे बाल-विवाह की सूचना तत्काल नजदीकी पुलिस थाना, जिला पुलिस अधीक्षक अथवा पीठासीन अधिकारी को दी जाकर बाल-विवाह रुकवाकर स्वयं एवं अन्य बच्चे-बच्चियों के भविष्य को बचाने का भी उनसे निवेदन किया। बच्चियों को बचाने के लिए ग्रामवासियों से अपील की कि बच्चियां हमारे समाज का भविष्य है, अतः बच्चियों को खूब पढ़ाएं एवं खूब बढ़ाएं तथा नाबालिग बालिकाओं का यौन शोषण से संरक्षण का कानून (पोक्सो एक्ट) के बारे में जानकारी देते हुए बच्चियों का यौन शोषण, नाबालिग बच्चियों के साथ छेड़छाड़ करना, उन्हें बुरी नजर से घूरना, उनका पीछा करना इत्यादि पोक्सो अधिनियम के तहत कठोर कारावास से दण्डीय अपराध होना बताते हुए, सभी से ऐसा अपराध न करने की अपील की एवं बच्चियों के संरक्षण के बारे में जानकारी दी, जिसमें बच्चियों के साथ हर वक्त किसी न किसी विधिक संरक्षक माता-पिता या अन्य परिवार के सदस्य का होना तथा ऐसे अपराध से बचाव के लिए बच्चियों को शारीरिक रूप से सक्षम बनाने हेतु उन्हें जूड़ो, कराटे, ताइक्वांडो आदि भी सिखाने की अपील की एवं सरकार से भी प्रत्येक लड़की के लिए ऐसी मुफ्त शिक्षा स्कूलों, काॅलेजों आदि में अनिवार्य रूप से लागू करने की अपील करते हुए ऐसी किसी भी घटना की सूचना तत्काल पुलिस एवं पुलिस प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों को देकर दोषियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्यवाही करने की अपील की।

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