स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय प्रशासन का कारनामा, ब्लैक लिस्ट फर्म से छपवाई 85 हजार अंकतालिकाएं
राजस्थान स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय में परीक्षाआें की अंकतालिका बनाने जैसे अतिसंवेदनशील काम में लापरवाही करने वाली एक फर्म को ब्लैक लिस्ट करने के बाद भी 27 लाख रुपए का काम देने का मामला सामने आया है।
विश्वविद्यालय प्रशासन फर्म को काम पर काम देता गया और ब्लैक लिस्ट फर्म से 85 हजार अंकतालिकाएं तक छपवा ली। अब फर्म 85 हजार छात्रों की अंकतालिकाएं तैयार करने की एवज में 27 लाख रुपए का भुगतान भी मांग रही है। अब विश्वविद्यालय प्रशासन के अधिकारी ही सवाल उठा रहे हैं कि किसके इशारे में ब्लैक लिस्ट फर्म को यह काम दिया गया।
विश्वविद्यालय सूत्रों के अनुसार विश्वविधायल प्रशासन ने एमबीबीएस व एमडी की परीक्षाओं से पहले आईकार्ड जारी करने, परीक्षा के बाद अंकतालिकाओं को बनाने का एक फर्म को दिया।
दो छात्रों की गलत अंकतालिकाओं के जारी होने के बाद विश्वविद्यालय ने फर्म को अगस्त 2013 में ब्लैक लिस्ट कर दिया और कुछ भुगतान भी रोक लिया गया।
विश्वविद्यालय प्रशासन के परीक्षा सेल के अधिकारी फर्म को लगातार काम देते रहे और फर्म ने परीक्षा से पहले के काम किए और 85 हजार अंकतालिकाओं को तैयार भी किया।
अब कमेटी बनाई
फर्म के संचालकों ने अब विश्वविद्यालय प्रशासन को यह कहते हुए 27 लाख रुपए के भुगतान का दावा किया है कि फर्म को काम विश्वविद्यालय प्रशासन ने दिया था।
लिहाजा विश्वविद्यालय प्रशासन ही भुगतान करे। विश्वविद्यालय प्रशासन ने अब मामले में किसी तरह से खुद को बचाने के लिए प्रो वाइस चांसलर की अध्यक्षता में एक कमेटी बना दी है।
कुछ कारण एेसे रहे, जिससे फर्म को दुबारा काम दिया गया। अभी जांच चल रही है और भुगतान को लेकर कोई निर्णय नहीं हुआ है। कमेटी की अगली बैठक जल्द होने वाली है और इसमें भुगतान पर निर्णय होगा।
डॉ एके भारद्वाज, प्रो वाइस चांसलर और कमेटी अध्यक्ष
राजस्थान स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय
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