रविवार, 20 दिसंबर 2015

कच्छ DGP कॉन्फ्रेंस का आखिरी दिन, PM मोदी का कम्यूनिटी पुलिसिंग और स्‍मार्ट पुलिस पर जोर

कच्छ DGP कॉन्फ्रेंस का आखिरी दिन, PM मोदी का कम्यूनिटी पुलिसिंग और स्‍मार्ट पुलिस पर जोर
कच्छ DGP कॉन्फ्रेंस का आखिरी दिन, PM मोदी का कम्यूनिटी पुलिसिंग और स्‍मार्ट पुलिस पर जोर
ढोरडो, कच्छ: गुजरात के कच्छ के रण में चल रही तीन दिनों की DGP कॉन्फ्रेंस का रविवार को आख़िरी दिन था। कच्छ के ढोरडो में हो रही इस कॉन्फ्रेंस में जम्मू-कश्मीर को छोड़कर देश के हर राज्य से आला पुलिस अधिकारी आए हैं। इस मौके पर रविवार को पीएम मोदी ने एक बार‍ फिर संबोधित किया।

साफ़ तौर पर प्रधानमंत्री के ज़हन में ISIS का ख़तरा और किस तरह से नौजवान उससे प्रभावित हो रहे हैं, था जब उन्होंने कम्यूनिटी पुलिसिंग को लेकर डीजीपी सम्मेलन में बात की।

प्रधानमंत्री ने ज़ोर दिया और कहा कि पुलिस को संवेदनशील होना चाहिए और उसे सामाजिक पुलिसिंग पर ज़ोर देना चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा, 'पुलिस को सभी समुदाय से सम्पर्क में रहना चाहिये ताकि जब कोई समस्या हो तो लोग उनसे सम्पर्क करने में डरें नहीं।'

उसे समझाते हुए पीएम मोदी ने कहा, 'एक तरीक़ा है कि जब भी कभी किसी समाज में कोई अच्छा काम हो तो पुलिस उनके जश्‍न का हिस्सा बने। इससे लोग भी पुलिस के काम करने के ढंग के बारे में जान पाएंगे।'
दरअसल हमारी सुरक्षा एजेंसियां आईएसआईएस से प्रभावित नौजवानों को वापस राह पर लाने के लिए नरम रवैया ही अख़्तियार कर रही हैं। सरकार का मानना है कि सख़्त रवैये से प्रभावित नौजवान और कट्टर हो जाएंगे। तेलंगाना, केरल, महाराष्ट्र और दिल्ली में भी सभी मामलों में पुलिस समाज और परिवार की मदद से प्रभावित नौजवानों को राह पर ला रही है।


प्रधानमंत्री ने सभी अफ़सरों को करीब 70 मिनट संबोधित किया और सभी अफ़सरों को बधाई दी और कहा कि आगे भी वो उपेक्षा रखते हैं कि वरिष्‍ठ और निचले स्‍तर के अधिकारी मिलकर काम करेंगे जैसा कि उन्होंने इस कॉन्‍फ्रेंस में देखा।वैसे प्रधानमंत्री ने दिन की शुरुआत योग से ही की और सभी अफ़सरों को घुटने पकड़वा दिए। उसके बाद वो रण में दोबारा सूर्योदय देखने गए। रविवार सुबह मीटिंग में सबसे पहले चर्चा पुलिस यूनिवर्सिटी पर हुई और फ़ॉरेंसिक यूनिवर्सिटी पर भी जोकि गांधीनगर में है। चर्चा हुई कि किस तरह से देश भर में पुलिस स्टेशन इनकी मदद ले सकते हैं।केंद्र और राज्य पुलिस के रिश्तों को बेहतर बनाने पर लंबी बहस हुई। राज्यों की पुलिस ने दावा किया कि सेंट्रल एजेंसियां उनसे ज़्यादा ख़बर बांटती नहीं जबकि सेंट्रल एजेंसियों ने दावा किया कि उनकी दी गयी सूचना पर राज्य पुलिस अक्सर बैठी रहती है। इन दोनों के सम्बन्धों को बेहतर बनाने का फ़ैसला लिया गया।


पुलिस स्टेशन को कैसे लोगों के लिए फ़्रेंड्ली बनाया जाए ताकि लोग पुलिस तक आने से झिझके नहीं। पुलिसवालों को जनता से विनम्र व्यवहार करने की अपील भी की गयी। यही नहीं पुराने कानूनों का किस तरह नए युग में उपयोग किया जा सकता है इस पर चिंतन भी हुआ। खास तवज्‍जो स्‍मार्ट पुलिस कॉन्सेप्ट को मिली क्योंकि ये प्रधानमंत्री का कॉन्सेप्ट है। प्रधानमंत्री बार-बार ज़ोर दे रहे हैं कि पुलिस स्‍मार्ट बने। और पुलिस के लिए स्‍मार्ट का निम्‍नलिखित मतलब होना चहिए...
S - Sensitive और Strict
M - Modern और mobility
A - Alert और Accountable
R - Reliable और Responsive
T - Trained and Techno-savvy

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