अयोध्या।बाबरी मस्जिद केस: हाशिम अंसारी बोले, 'शायद नहीं सुन पाऊंगा मंदिर-मस्जिद मुद्दे पर अंतिम फैसला'
बाबरी मस्जिद के मुख्य मुद्दई हाशिम ने अयोध्या में विवादित मसले के हल की आस छोड़ दी है। अपने खराब स्वास्थ्य और 94 साल की उम्र को देखते हुए हाशिम अंसारी को नहीं लगता कि वो अपने जीते जी अयोध्या में मंदिर या मस्जिद बनते देख पाएंगे।
अंसारी ने कहा कि कई दशकों से चल रहे मुकदमे में जहां कोर्ट में गवाह और सबूतों को जुटाने और बहस में लम्बा वक्त बीत चुका है। लेकिन अभी तक इसका हल नहीं निकल सका है। उन्होंने कहा कि कोर्ट से बाहर इस मामले को सुलह समझौते से निपटाने में सियासी दल रोड़ा अटका चुके हैं।
और अभी भी बाबरी मस्जिद-राम मंदिर मुद्दे को लेकर कोर्ट में सिर्फ तारीख ही मिल रही हैं, ऐसे में मुझे नहीं लगता कि मैं जीते जी इस मुकदमे का अंतिम फैसला अपने कानों से सुन पाउंगा।
मेरे बस में होता तो मैं वापस ले लेता मुकदमा
हाशिम अंसारी ने कहा कि कई पीढिय़ां बीत गईं, कुछ नहीं हुआ। रामलला को कैद कर लोग राजनीति कर रहे हैं। मैं रामलला को कैद में नहीं देखना चाहता। मेरे बस में होता तो मैं बहुत पहले ही मुकदमा वापस ले लेता।
देश की जनता और कोर्ट भी इस मामले से परेशान हो चुकी है। सारे फल पक चुके हैं, अब देखो किसकी बारी है। सिंहल चले गए मैं भी चला जाऊंगा।
दो दिन पहले दी थी संघ प्रमुख को चुनौती
उम्र के 93 बसंत देख चुके बाबरी मस्जिद के मुख्य मुद्दई हाशिम अंसारी बीते 25 वर्षों से अधिक समय से अयोध्या में मंदिर-मस्जिद विवाद का मुकदमा देख रहे हैं। वह काफी दिनों से बीमार चल रहे हैं और व्हील चेयर के सहारे चलते फिरते हैं।
पिछले दिनों विहिप के अयोध्या चलो आह्वान और संघ प्रमुख के बयान पर हाशिम अंसारी भड़क उठे थे और कहा था कि ये लोग सिर्फ राजनीति करना चाहते हैं। उन्होंने कहा था कि सिंहल चले गए ये भागवत भी चले जाएंगे और मैं भी चला जाऊंगा।
बहुत लोग आए और चले गए हमें देश के कानून पर भरोसा रखना चाहिए। अयोध्या में मंदिर-मस्जिद का मामला कोर्ट से ही सुलझ सकता है अगर भागवत में हिम्मत है तो अयोध्या आएं और मंदिर बना कर दिखाएं।
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