अजमेर। क्षेत्रीय शिक्षण संस्था में सामने आया लाखों का लोन घोटाला
अजमेर। अजमेर क्षेत्रीय शिक्षण संस्था में प्रशासनिक अधिकारी के फर्जी हस्ताक्षर और सील के दुरूपयोग करने का खुलासा हुआ है। दुरूपयोग करने वाला भी कोई और नहीं बल्कि संस्था के कुछ कर्मचारी हैं। जिन्होंने प्रशासनिक अधिकारी के फर्जी हस्ताक्षर और सील का दुरूपयोग करके ओरियंटल बैंक से पर्सनल लोन उठा लिया। हैरत की बात यह है कि 6 साल से क्षेत्रीय संस्था का प्रशासन अपने कर्मचारियों की करतूतों पर पर्दा डालता रहा। आखिरकार 6 साल बाद पर्दे से सच सामने आ गया और अब उन कर्मचारियों के खिलाफ पुलिस की जांच भी शुरू हो गई है।
अजमेर के पुष्कर रोड़ स्थित केंद्रीय मानव संसाधन विभाग के क्षेत्रीय शिक्षण संस्था का मामला है। संस्था में प्रारंभिक स्तर से लेकर उच्च शिक्षा तक अध्ययन की व्यवस्था है। सन 2011 में तत्कालीन प्रशासनिक अधिकारी के फर्जी हस्ताक्षर और सील से कई कर्मचारियों ने ओरियंटल बैंक से पर्सनल लोन उठा लिया। मामले का खुलासा उस वक़्त हुआ जब कर्मचारियों ने बैंक से लोन लेने के बाद मासिक किश्त अदा नहीं की। पहले तो बैंक लोन लेने वाले कर्मचारियों को नोटिस भेजता रहा। मगर जब कर्मचारियों ने नोटिस का जवाब नहीं दिया तो बैंक ने प्रशासनिक अधिकारी को नोटिस भेजकर कर्मचारियों के वेतन से किश्त काटने के लिए कहा। मामला सामने आने पर तत्तकालीन प्रशासनिक अधिकारी ने मामले में संस्था के वकील से विधिक राय भी मांगी। जिस पर वकील ने भी कर्मचारियों को दोषी बताया।
इस मामले में आरटीआई कार्यकर्त्ता संजीव गर्ग ने प्रकरण से सम्बंधित दस्तावेज जुटाए और अपने वकील के मार्फ़त प्राचार्य और एनसीआरटी सचिव को नोटिस भेजा। नोटिस की कॉपी सीबीआई और पीएम को भी प्रेषित की गई। इस नोटिस से संस्था में हड़कंप मच गया। आननफानन में वर्तमान प्रशासनिक अधिकारी हरी राम ने क्रिश्चियन गंज थाने में संस्था के तीन कर्मचारियों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है। शिकायत मिलने के बाद पुलिस ने ओरिएंटल बैंक से प्रकरण से सम्बंधित दस्तावेज मांगे हैं। वहीं प्रकरण की बारीकी से पड़ताल भी शुरू कर दी है।
संस्था के प्रशासनिक अधिकारी हरिराम ने तीन कर्मचारी गुलाबचंद ग्वाला, सतीश कुमार और अर्चना को नामजद किया है। वहीं आरटीआई कार्यकर्ता के वकील की माने तो संस्था के करीब 22 कर्मचारी दोषी हैं। जिन्होंने प्रशासनिक अधिकारी के फर्जी हस्ताक्षर और सील का दुरूपयोग किया है। वकील जिनेश सिंह सोनी की माने तो कोर्ट में प्रकरण साबित होने पर आजीवन कारावास तक की सजा दोषी कर्मचारियों को हो सकती हैं।
अजमेर। अजमेर क्षेत्रीय शिक्षण संस्था में प्रशासनिक अधिकारी के फर्जी हस्ताक्षर और सील के दुरूपयोग करने का खुलासा हुआ है। दुरूपयोग करने वाला भी कोई और नहीं बल्कि संस्था के कुछ कर्मचारी हैं। जिन्होंने प्रशासनिक अधिकारी के फर्जी हस्ताक्षर और सील का दुरूपयोग करके ओरियंटल बैंक से पर्सनल लोन उठा लिया। हैरत की बात यह है कि 6 साल से क्षेत्रीय संस्था का प्रशासन अपने कर्मचारियों की करतूतों पर पर्दा डालता रहा। आखिरकार 6 साल बाद पर्दे से सच सामने आ गया और अब उन कर्मचारियों के खिलाफ पुलिस की जांच भी शुरू हो गई है।
अजमेर के पुष्कर रोड़ स्थित केंद्रीय मानव संसाधन विभाग के क्षेत्रीय शिक्षण संस्था का मामला है। संस्था में प्रारंभिक स्तर से लेकर उच्च शिक्षा तक अध्ययन की व्यवस्था है। सन 2011 में तत्कालीन प्रशासनिक अधिकारी के फर्जी हस्ताक्षर और सील से कई कर्मचारियों ने ओरियंटल बैंक से पर्सनल लोन उठा लिया। मामले का खुलासा उस वक़्त हुआ जब कर्मचारियों ने बैंक से लोन लेने के बाद मासिक किश्त अदा नहीं की। पहले तो बैंक लोन लेने वाले कर्मचारियों को नोटिस भेजता रहा। मगर जब कर्मचारियों ने नोटिस का जवाब नहीं दिया तो बैंक ने प्रशासनिक अधिकारी को नोटिस भेजकर कर्मचारियों के वेतन से किश्त काटने के लिए कहा। मामला सामने आने पर तत्तकालीन प्रशासनिक अधिकारी ने मामले में संस्था के वकील से विधिक राय भी मांगी। जिस पर वकील ने भी कर्मचारियों को दोषी बताया।
इस मामले में आरटीआई कार्यकर्त्ता संजीव गर्ग ने प्रकरण से सम्बंधित दस्तावेज जुटाए और अपने वकील के मार्फ़त प्राचार्य और एनसीआरटी सचिव को नोटिस भेजा। नोटिस की कॉपी सीबीआई और पीएम को भी प्रेषित की गई। इस नोटिस से संस्था में हड़कंप मच गया। आननफानन में वर्तमान प्रशासनिक अधिकारी हरी राम ने क्रिश्चियन गंज थाने में संस्था के तीन कर्मचारियों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है। शिकायत मिलने के बाद पुलिस ने ओरिएंटल बैंक से प्रकरण से सम्बंधित दस्तावेज मांगे हैं। वहीं प्रकरण की बारीकी से पड़ताल भी शुरू कर दी है।
संस्था के प्रशासनिक अधिकारी हरिराम ने तीन कर्मचारी गुलाबचंद ग्वाला, सतीश कुमार और अर्चना को नामजद किया है। वहीं आरटीआई कार्यकर्ता के वकील की माने तो संस्था के करीब 22 कर्मचारी दोषी हैं। जिन्होंने प्रशासनिक अधिकारी के फर्जी हस्ताक्षर और सील का दुरूपयोग किया है। वकील जिनेश सिंह सोनी की माने तो कोर्ट में प्रकरण साबित होने पर आजीवन कारावास तक की सजा दोषी कर्मचारियों को हो सकती हैं।
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