बाड़मेर सीमावर्ती क्षेत्र में बढ़ रही है संदिग्ध गतिविधियाँ, अवैध मस्जिदे और मदरसें बन सकते है नासूर!
@सबलसिंह भाटी
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भारत की अंतर्राष्ट्रीय सीमा के सबसे शांत सीमावर्ती क्षेत्र बाड़मेर में रात्रि में बढ़ रही अवांछित हरकतों और मुस्लिम बहुल गांवों में बनी अवैध मस्जिदों और मजहबी उन्माद के बीज बो रहे मदरसों की बढती तादात और इनमे उत्तरप्रदेश और केरल से धार्मिक शिक्षा का प्रचार करने के नाम पर आ रहे मुल्लाओं और उनका दिन भर एक जगह दुबके रहना और रात ढलने के बाद प्रचार पर निकलने से इनके प्रति संदेह और बढ़ा देता है।
उपर से सरहद पार से पीर जिलानी जैसे बकसुरों द्वारा मजहबी नफ़रत बढ़ाने वाले बयानों से सीमा की शांति में खलल पैदा हो रहा है। बाड़मेर और जैसलमेर के सीमावर्ती गांवों में कादरी और देवबंदी दोनों ही जमात के लोग बहुतायत में बसते है और इन के कुछ लोगों पर पाक से तस्करी करने और देशद्रोह के मुकदमे विचाराधीन भी है और कई सजा भी भुगत चुके है, वो भी सीमावर्ती कस्बों में अचानक विचरण करने लगे है। और पीर जिलानी जैसे इन जमातों को आपस में लड़ने के लिए उकसा ही रहे है। यहाँ के कई युवा जो isi एजेंट थे, जो की पुलिस के हत्थे चढ़ गये थे वो भी कुछ साल पूर्व गुजरात की साबरमती जेल से अपनी सजा काट कर आने के बाद अब पुनः उनके सक्रीय होने की भी संभावना है, क्योकि इतने दिनों तक मुफलिसी की जिंदगी काटने के बाद अचानक आजकल ऐशो आराम से जिंदगी बसर कर रहे, आख़िरकार उनके पास एकाएक इतने पैसे कहा से आगये।
ऐसे बहुत कुछ संकेत है जो सीमावर्ती क्षेत्र में अनहोनी घटनाओं के संकेत कर रहे है, सरकारी और ख़ुफ़िया तंत्र को समय रहते सक्रीय ही जाना चाहिए, ताकि हालात बिगड़ने से पूर्व काबू में रहे।
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