मंगलवार, 29 दिसंबर 2015

सियोल।यौन दासियों पर जापान ने मांगी माफी, हर्जाना देगा



सियोल।यौन दासियों पर जापान ने मांगी माफी, हर्जाना देगा


यौन दासी के रूप में इस्तेमाल की गई कोरियाई महिलाओं को लेकर जापान ने माफी मांग ली है। इस विवादास्पद मुद्दे पर सोमवार को दक्षिण कोरिया और जापान के बीच ऐतिहासिक समझौता हुआ है। इसके तहत जापान जीवित पीडि़तों के लिए एक अरब येन (55 करोड़ रु.) देगा।

दक्षिण कोरियाई समकक्ष के साथ बातचीत के बाद जापानी विदेश मंत्री फुमिओ किशीदा ने कहा कि द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान सेना की यौन यंत्रणा की शिकार हुई कम्फर्ट वुमेन के लिए जापान यह राशि प्रदान करेगा। उन्होंने कहा है कि इस मुद्दे पर जापान सरकार को अपनी जिम्मेदारी का एहसास है। प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने सभी पीडि़तों से दिल से माफी और पछतावे का संदेश दिया है।

द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद से ही इस मसले पर दोनों देशों के बीच विवाद रहा है। लेकिन, दक्षिण कोरिया की मांग के बावजूद जापान गलतियों की जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं था। विवाद सुलझाने के लिए अमरीका जापान पर दबाव बनाते रहे हैं।

यह है मामला

दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान और उसके पहले जापानी सैनिकों के मनोरंजन के लिए हजारों कोरियाई महिलाओं को जबरन देह व्यापार में धकेल दिया गया था। इन्हें कम्फर्ट वुमेन (यौन दासियां) कहा जाता है।

माना जाता है कि 1910 से 1945 के बीच दक्षिण कोरिया पर शासन करने वाले जापान ने करीब दो लाख महिलाओं को यौन बंधक बनाया था। द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद दक्षिण कोरिया में ऐसी 238 महिलाएं सामने आईं थी। इनमें से 46 ही अब जीवित हैं। इनकी उम्र 80-90 साल के बीच है।

कानूनी जिम्मेदारी का जिक्र नहीं

बयान में हालांकि, इसके लिए कानूनी जिम्मेदारी निर्धारित करने का जिक्र नहीं है, जिसकी मांग पीडि़ताओं ने आबे के मंत्रिमंडल से की थी। इस समझौते से दोनों देशों के बीच संबंधों में प्रगति आने की उम्मीद है। इस मुद्दे को लेकर दोनों देशों के संबंध दशकों से तनावपूर्ण रहे हैं। ऐसा पहली बार हुआ है, जब जापान की सरकार ने युद्ध अपराध के लिए आधिकारिक तौर पर जिम्मेदारी ली है।

कोनो स्टेटमेंट

1965 में जापान और दक्षिण कोरिया के बीच अरबों डॉलर की संपत्ति और दूसरे दावों को लेकर एक बड़ी संधि हुई थी। लेकिन, उस वक्त भी कम्फर्ट वुमेन का मसला नहीं सुलझ सका था। जापान ने 1993 में इस मसले पर एक खेदनामा जारी किया था, जिसे कोनो स्टेटमेंट के नाम से जाना जाता है।

अंतिम माना जाए

यदि जापान अपनी जिम्मेदारी पूरी करता है तो इस समझौते को अंतिम और अडिग माना जाएगा।

- युंन ब्युंग, विदेश मंत्री, दक्षिण कोरिया

घाव भरने की पहल

यह कोई मुआवजा नहीं है। कम्फर्ट वुमेन के सम्मान और मर्यादा को वापस लौटाने और उनके भावनात्मक घावों को भरने की एक पहल है।

- फुमिओ किशीदा, विदेश मंत्री, जापान

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