नई दिल्ली।#Intolerance पर लोस में जबरदस्त हंगामा, गृहमंत्री पर सलीम के आरोपों से कार्यवाही चार बार स्थगित
असहिष्णुता के मुद्दे पर लोकसभा में चर्चा के दौरान मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के मोहम्मद सलीम ने गृृहमंत्री राजनाथ सिंह के एक पत्रिका में छपे बयान का उल्लेख किया जिसे पर कड़ा विरोध जताते हुए सत्ता पक्ष ने उसे वापस लेने की मांग की। इस पर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच गतिरोध पैदा होने से सदन की कार्यवाही चार बार स्थगित करनी पड़ी और अंतत: उसे कार्यवाही से हटा दिया गया।
'देश को 800 साल बाद कोई हिंदू शासक मिला'
सलीम ने देश में असहिष्णुता की घटनाओं से उत्पन्न स्थिति पर नियम 193 के तहत चर्चा की शुरुआत करते हुए आरोप लगाया कि सरकार के मंत्री ही असहिष्णुता फैलाने वाले बयान दे रहे हैं। इस संदर्भ में उन्होंने एक अंग्रेजी पत्रिका में छपे राजनाथ सिंह के बयान को उद्धृत किया। सलीम ने दावा किया कि राजनाथ ने एक बार कहा था कि देश को 800 साल बाद कोई हिंदू शासक मिला है। जिस पर गृहमंत्री ने कड़ा ऐतराज जताया। राजनाथ ने कहा, 'आज मैं जितना आहत हुआ हूं, उतना अपने पॉलिटिकल करियर में पहले कभी नहीं हुआ। मैंने कभी ऐसा कोई बयान नहीं दिया। ऐसा बयान देने वाले को गृह मंत्री बने रहने का हक नहीं है।'
सदन की कार्यवाही से हटाया गया गृहमंत्री पर लगा आरोप
सत्ता पक्ष की ओर से सलीम से बयान वापस लेने की मांग की गई, लेकिन उन्होंने इससे इनकार कर दिया। इस गतिरोध के कारण सदन की कार्यवाही बार-बार स्थगित करनी पड़ी। चार बार के स्थगन के बाद कार्यवाही पुन: शुरू होने पर अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने व्यवस्था दी कि गृहमंत्री के संबंध में सलीम का बयान कार्यवाही का हिस्सा नहीं होगा। इसके बाद भर्तृहरि मेहताब ने नियम 353 का हवाला देते हुए कहा था कि कोई सदस्य नोटिस दिए बिना किसी दूसरे सदस्य पर आरोप नहीं लगा सकता है। अध्यक्ष ने कहा कि सलीम ने नोटिस दिए बिना आरोप लगाया इसलिए यह कार्यवाही का हिस्सा नहीं होगा।
सरकार चाहे तो मामले की जांच करा ले
सलीम ने कहा कि वह अपने शब्दों से पीछे नहीं हटेंगे। सरकार चाहे तो मामले की जांच करा ले। उन्होंने कहा 'मैंने गृह मंत्री पर कोई लांछन नहीं लगाया है। मेरी उनसे कोई व्यक्तिगत दुश्मनी नहीं है। मेरा तो यहां तक मानना है कि अगर वह मोदी के बदले देश के प्रधानमंत्री होते तो बेहतर होता।' इस पर संसदीय कार्यमंत्री वेंकैया नायडु ने कहा कि सदन नियमों के हिसाब से चलेगा। अध्यक्ष व्यवस्था दे तब सदन आगे बढ़ेगा।
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