गुरुवार, 19 नवंबर 2015

अजमेर।लाडो को किया बक्से में कैद, लापरवाही से हुई मौत



अजमेर।लाडो को किया बक्से में कैद, लापरवाही से हुई मौत

जनाना अस्पताल में रात में चिकित्सकों की ओर से मृत घोषित किए गए एक नवजात को सुबह जब परिजन अंतिम संस्कार के लिए ले जाने लग तो उसकी धड़कन चल रही थी और बच्ची के रोने की आवाज सुनाई दी। यह देख चिकित्सकों के भी होश उड़ गए, गलती का एहसास होने पर उन्होंने आनन फानन में बच्ची को नर्सरी में भर्ती किया।




जनाना अस्पताल में नसीराबाद निवासी मोनू जैन की पत्नी वंदना ने बच्ची को जन्म दिया। चिकित्सकों ने उसे उसी समय मृत घोषित कर परिजन से हस्ताक्षर करवा लिए और नवजात को एक बॉक्स में रख दिया। इस पर परिजन ने भी उसके अंतिम संस्कार की तैयारी कर ली। उन्होंने रात्रि में ही आस-पास में श्मशान की जानकारी जुटाई और गाड़ी की व्यवस्था की। सुबह जब उन्होंने बक्से को उठाया तो बच्ची के रोने की आवाज सुनी। जांचा तो उसकी धड़कन भी चल रही थी। इस पर उन्होंने चिकित्सकों पर लापरवाही का आरोप लगाया और मामले की जांच की मांग की।




और मां फफक पड़ी

प्रसूता वंदना ने कहा कि उसे प्रसव पीड़ा होने पर सेफ्टिक रूम में ले जाया गया। प्रसव के बाद होश आने पर उसे बताया गया कि नवजात मृत है, यह सुनकर वह फफक पड़ी। वंदना ने कहा कि चिकित्सकों को एक मां के साथ ऐसा नहीं करना चाहिए था। पीडि़त परिवार के नेमीचंद जैन ने कहा कि चिकित्सकों की लापरवाही के कारण एेसा हुआ।



यह रही लापरवाही



सोनोग्राफी रिपोर्ट के अनुसार नवजात की धड़कन कम बताई गई और पानी की कमी बताकर प्रसव करवाया गया। प्रसव से पूर्व ही भ्रूण को मृत बता दिया गया था। प्रसव के बाद धड़कन कम थी, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया और नवजात को मृत बताकर कपड़े में लपेट दिया और बॉक्स में रख दिया। रात भर नवजात तड़पती रही, लेकिन चिकित्सक और नर्सिंगकर्मियों सहित अन्य अस्पतालकर्मियों ने गंभीरता से नवजात को नहीं देखा।



  तीन सदस्यीय टीम गठित



मामले को लेकर अस्पताल प्रशासन ने तीन सदस्यीय चिकित्सकों की टीम गठित कर दी है। मामले में सख्त कार्रवाई को लेकर पीडि़त परिवार ने भी अधीक्षक को शिकायत दी है। अस्पताल अधीक्षक डॉ. कांति मेहरदा ने तीन सदस्यीय चिकित्सकों की टीम गठित कर एक दिन में रिपोर्ट देने के आदेश जारी किए हैं। डॉ. मेहरदा के अनुसार तीन सदस्यीय टीम में वरिष्ठ आचार्य डॉ. पूर्णिमा पचौरी, चिकित्साधिकारी डॉ. प्रियंका कपूर एवं सहायक आचार्य डॉ. मीनाक्षी सामरिया शामिल हैं।

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