बीकानेर इन्द्र-2015 युद्धाभ्यास का आगाज
रक्षा प्रवक्ता लेफ्टिनेट कर्नल मनीष ओझा ने बताया कि युद्धाभ्यास के प्रथम दिन सबसे पहले दोनों देशों के राष्ट्रीय ध्वज फहराकर राष्ट्रगान हुए। 14 दिनों का यह युद्धाभ्यास संयुक्त राष्ट्र के निर्देशानुसार अर्ध-शहरी इलाकों में आतंकवाद विरोधी अभियानों पर केन्द्रित होगा।
महाजन फील्ड फायरिंग रेंज में आयोजित उद्घाटन समारोह में रेड ईगल डिविजन के जनरल अफसर कमाण्डिंग मेजर जनरल पी. सी. थिमैया नें रूसी सैन्य दलों का राजस्थान की ऐतिहासिक सरजमीं पर स्वागत किया।
इस अवसर पर जनरल थिमैया ने दोनों देशों की सेनाओं से आह्वान किया कि वे एक-दूसरे की सैनिक तरतीब और तरीकों को समझने की यथासम्भव कोशिश करें जिससे दोनों सेनाओं में एकजुटता और इन्टर ऑपरेबिलिटी के विकास का लक्ष्य प्राप्त हो सके।
उन्होंने विचारों का आदान-प्रदान, संकल्पनाओं पर विचार-विमर्श और दोनों सेनाओं के श्रेष्ठतम तौर-तरीकों के आत्मसात्करण की आवश्कता पर भी बल दिया।
दोनों देशों के बीच हो रहे इस संयुक्त युद्धाभ्यास को विश्व स्तरीय शांति, समृद्वि और स्थिरता की दिशा में उठाये गये एक प्रमुख कदम के रूप में देखा जा रहा है।
उद्घाटन समारोह में दोनो देशों की ओर से संास्कृृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किए गए। अगले 14 दिनों में ये सैन्य दल कड़े प्रशिक्षण के दौर से गुजरेंगे।
लड़ाकू दलों की ओर से मैकेनाइज्ड फोर्स के साथ संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन के परिदृश्य में आपसी योजना व तकनीकी कौशल का विशेष अभ्यास किया जाएगा।
युद्धाभ्यास के दौरान चौकसी व निगरानी यंत्र, नजदीकी लड़ाई के हथियार, विस्फोटक व आईईडी डिटेक्टर के साथ-साथ नवीनतम संचार यंत्रों का इस्तेमाल किया जाएगा।
दोनों ओर से युद्धाभ्यास की ऐसी योजना बनी है कि संयुक्त राष्ट्र शांति ऑपरेशन के दौरान आने वाली कठिनाईयों का निवारण सरलता से हो सकेगा।
सोमवार को दोनों देशों की सेनाएं सूर्योदय से पूर्व ही दुश्मन के ठिकानों को तेस्तनाबूद करेगी।
दिनभर रही चर्चाएं भारत-रूस युद्धाभ्यास को लेकर रविवार को पूरे दिन कस्बे व आसपास के गांवों में चर्चा होती रही।
रेंज एरिया में स्क्रेप उठाने के लिए जाने वाले ठेकेदार के श्रमिक भी रेंज एरिया में सेना की हलचल को लेकर चर्चा करते नजर आए।
समीपवर्ती गांवों से रेंज में पशु चराने के लिए जाने वाले ग्वालों ने भी युद्धाभ्यास के कारण रेंज में जाना बन्द कर दिया है।
रेंज एरिया में लगे मोबाइल टॉवरों की भी लाल बत्तियों को दुरस्त किया गया है।
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