LOVE STORY: 65 साल बाद पति को देख पत्नी ने कहा-जिंदा रहने के लिए शुक्रिया
सियोल: 6 दशक पहले कोरियन वॉर की वजह से अलग हुए कई नॉर्थ और साउथ कोरियाई परिवार मंगलवार को एक दूसरे से मिले। करीब 400 साउथ कोरियाई लोगों को नॉर्थ कोरिया के रिजॉर्ट माउंट कुमगैंग लाया गया, जहां उन्होंने अपने बूढ़े हो चुके घरवालों, बेटों और बच्चों से मुलाकात की। मुलाकात करने वालों में 85 साल की दादी ली सून-क्यू भी थीं, जिन्होंने अपने 83 साल के पति ओह सी-इन को 65 साल पहले आखिरी बार देखा था। मुलाकात होने पर ली सून-क्यू अपने पति को सिर्फ इतना ही कह पाईं-जिंदा रहने के लिए शुक्रिया।
65 साल का बेटा भी आया
सून क्यू ने जब मंगलवार को पहली बार अपने पति को देखा तो समझ ही नहीं पाईं कि वे क्या कहें? फोटोग्राफर उन दोनों की लगातार फोटोज खींचे जा रहे थे। ली ने एक पारंपरिक कोरियन ड्रेस पहनी थी। वहीं, पति ओह सी-इन ने एक सूट अौर हैट पहन रखा था। उन्होंने बस सून के हाथों को पकड़ा आैर उन्हें देखते रहे। इस दौरान, दोनों के 65 साल के बेटे ओह जैंग क्यून भी मौजूद थे। ओह काफी वक्त तक अपने बेटे और पत्नी का हाथ पकड़कर बैठे रहे। बेटे ने जब पहली बार ओह को देखा तो वे चिल्लाकर बस इतना बोल सके- 'फादर'। इसके बाद, वे उनके पैरों में गिर पड़े, जो एक नॉर्थ कोरियाई रिवाज है। इसके बाद उठकर पिता को गले लगाया।
पति को गिफ्ट की घड़ी
बता दें कि दोनों ने आखिरी बार एक दूसरे को सितंबर 1950 में देखा था। उस वक्त ली सून की उम्र 19 साल थी। वे उस वक्त छह महीने की प्रेग्नेंट थीं। कोरियन वॉर की वजह से दोनों अलग हो गए थे। अलग होने के बाद वो पुराने मकान में ही रहीं और दूसरी शादी नहीं की। उन्हें उम्मीद थी कि वो एक दिन अपने पति से जरूर मिलेंगी। अपने पति के लिए वो गिफ्ट में सोने की घड़ी लाई थीं, जिस पर दोनों का नाम लिखा था। बता दें कि मुलाकात के लिए पहुंची दूसरी फैमिलीज ने एक दूसरे को गिफ्ट्स और कैश दिए। इस मौके पर सैकड़ों जर्नलिस्ट भी मौजूद थे।
और कौन किससे मिला?
>98 साल की कू सैंग-यून अपनी दो बेटियों 71 साल की सुंग-जा और 68 साल की सुन-ओक से मिलीं। वे दोनों के लिए एक-एक जोड़ी पारंपरिक लाल जूते ले गई थीं। सितंबर 1950 में दोनों बेटियां जब सात और चार साल की थीं तो अपने माता-पिता से अलग हो गई थीं। बचपन में मां ने दोनों बेटियों को नए जूते दिलाने का वादा किया था। करीब 70 साल बाद, उन्होंने यह वादा निभाया।
>साउथ कोरिया के 65 साल के चाइ ही यंग अपने 88 साल के नॉर्थ कोरियाई पिता चाइ हून सिक से मिले। सिक ने अपने बेटे को आखिरी बार उस वक्त देखा था, जब वो महज एक साल का था।
>इस रियूनियन में अधिकतर ऐसे बुजुर्ग थे, जो व्हीलचेयर पर थे या छड़ी के सहारे चलने के काबिल। सभी की आंखों में आंसू थे।
क्या है रियूनियन?
>50 के दशक में कोरियन वॉर की वजह से लाखों परिवार अलग हो गए। पिछले साल दोनों देश फैमिली रियूनियन शुरू करने के लिए राजी हुए। ऐसा ही एक रियूनियन पिछले साल फरवरी में हुआ। इस बार के रियूनियन के लिए 96 परिवारों को चुना गया था।
>ताजा रियूनियन के फोटोज और वीडियो पूरे साउथ कोरिया में ब्रॉडकास्ट किए गए। वहीं नॉर्थ कोरिया का मानना था कि इस तरह की फोटोज और वीडियोज दिखाए जाने पर उनकी जनता पर पकड़ कमजोर होगी। इस वजह से वहां इससे जुड़ी खबरें टेलिकास्ट नहीं की गईं।
>साउथ कोरिया लॉटरी सिस्टम के जरिए परिवारों को सिलेक्ट करता है। नॉर्थ कोरिया में उन लोगों को तरजीह दी जाती है, जो सत्ता के करीब माने जाते हैं।
>साउथ कोरिया लंबे वक्त से बार बार रियूनियन करने और इनमें परिवारों की तादाद बढ़ाने के लिए जोर दे रहा है। वहीं, नॉर्थ कोरिया कभी-कभार ही इसके लिए राजी होता है। जानकार मानते हैं कि इसके जरिए वे साउथ की डेमोक्रेटिक सरकार पर लगातार प्रेशर मेंटन करना चाहते हैं।
>जंग के बाद से करीब 1 लाख 30 हजार साउथ कोरियाई लोगों ने मुलाकात के लिए अप्लाई किया। इनमें से आधे लोगों की अब तक मौत हो चुकी है।
क्या है इतिहास?
>कोरिया पर जापान के शहंशाह ने 1910 में कब्जा कर लिया। 1945 में जब दूसरा वर्ल्ड वॉर खत्म हुआ, तो जापान ने सरेंडर कर दिया। इसके बाद कोरिया को यूनाइटेड स्टेट्स और सोवियत यूनियन ने दो जोन्स में बांट दिया।
>नॉर्थ जोन पर सोवियत का कब्जा था, जबकि साउथ जोन पर अमेरिका का। दोनों जोंस को दोबारा से मिलाने के लिए बातचीत नाकाम रही।
>1948 में दोनों जोंस में अलग-अलग सरकारें बनीं। नॉर्थ जोन में डेमोक्रेटिक पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ कोरिया और साउथ में रिपब्लिक ऑफ कोरिया।
>नॉर्थ कोरिया ने साउथ पर कब्जे की कोशिश की, जिसके बाद कोरियन वॉर (1950–53) हुआ। बाद में सीजफायर पर समझौता हुआ। 1991 में यूनाइटेड नेशंस ने दोनों देशों को मान्यता दी।
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