मंगलवार, 6 अक्टूबर 2015

बाड़मेर।शिक्षा नीति एवं स्थानान्तरण निति का निर्माण एक साथ होना चाहिए और इसके निर्माण में शिक्षकों की राय शामिल हो - कर्नल मानवेन्द्रसिंह जसोल

बाड़मेर।शिक्षा नीति एवं स्थानान्तरण निति का निर्माण एक साथ होना चाहिए और इसके निर्माण में शिक्षकों की राय शामिल हो - कर्नल मानवेन्द्रसिंह जसोल





बाड़मेर। आज के समय शिक्षक जिस कारण सबसे अधिक व्यथित एवं परेषान हैं वो स्थानान्तरण स्थानान्तरण एक मौसम के बादल के समान हो गया हैं जो कि आज बरसे के कल बरसे इस आस में आज का षिक्षक भी इसी आस में दिन निकाल जा रहा हैं कि उसके स्थानान्तरण की सूची आज आ रही कल आ रही हैं मेरी राय से स्थानान्तरण नीति का निर्माण एक स्थायी षिक्षा नीति के साथ ही होना चाहिए जिससे शिक्षकों को इस बारे में बार-बार परेषान नहीं होना पड़े षिक्षा नीति का निर्माण वातानुकूलित वातावरण में बैठकर नहीं होना चाहिए उसमंे स्थानीय क्षैत्र, धर्म, सामाजिक रीति रिवाज आदि का भी ध्यान हो तथा विषेषकर महिला षिक्षिकाओं का क्योंकि उनके ऊपर आप से अधिक जिम्मेवारियां हैं और वो सामाजिक संगठन में एक धुरी का काम करती हैं इसलिये उनके पदस्थापन एवं स्थानान्तरण में विषेष ध्यान रखा जाय मेरी तरफ से पूर्व मंे भी इस हेतु प्रयास किये गये हैं और भविष्य में भी विधानसभा में जब भी षिक्षा के बारे में चर्चा होगी तो मैं इस विषय को पुरजोर तरीके से उठाऊंगा ये उद्गार कर्नल मानवेन्द्रसिंह ने राजस्थान षिक्षक संध सियाराम के दो दिवसीय शैक्षिक सम्मेलन के समापन समारोह में बतौर मुख्यअतिथि के पद से बोलते हुए कहे 

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कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए षिक्षाविद् कमलसिंह महेचा ने कहा कि षिक्षा जगत से जुड़े समस्त षिक्षक एक जगह बैठकर चर्चा करे तथा उसमें जनप्रतिनिधियों का भी समावेष हो ये अच्छी परम्परा हैं षिक्षा देना एक पवित्र कार्य हैं जिसका अधिकार ईष्वर को भी नहीं हैं मगर आप बड़े ही भाग्यशाली हो जो आपको ऐसा पवित्र पेषा मिला हैं अपने ज्ञान का पूर्ण उपयोग करों तथा बालको को चरित्र निर्माण में सहायक बनों वर्तमान युग में षिक्षकों की जो उपेक्षा की जा रही हैं वो घोर निन्दनिय हैं महेचा ने कहा कि एक जिला षिक्षा अधिकारी को एक अधिकारी की डांट के कारण आंखो में आंसू आते हैं ये समाज के लिये बड़ी ही चिन्तनीय व्यथा हैं इसके लिये कोई षिक्षक संगठन या सामाजिक संगठन नहीं बोलता हैं ये बड़े ही दुःख की बात हैं सरकार षिक्षकों की संरक्षक होती हैं इनका संरक्षण करना सरकार का फर्ज हैं षिक्षा की गंभीरता का उदाहरण देते हुए उन्होने कहा कि इंग्लैण्ड में एक षिक्षा मंत्री द्वारा एक षिक्षक को अपनाति करके उसे घर से निकाल दिया तो उन्हीं षिक्षामंत्री ने जब संसद में प्रवेष किया तो समस्त पक्ष और विपक्ष के सदस्यों ने मंत्री जी को वहां से निकल जाने को कहा यह होती हैं षिक्षा पर गंभीरता षिक्षा जैसा विषय कोई मामूली विषय नहीं हैं इस पर पूरे देष का भविष्य टिका होता हैं। 

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कार्यक्रम को विषिष्ट अतिथि कमलसिंह राणीागांव, प्रधानाचार्य लक्ष्मीकांत मेहता तथा जिला संरक्षक बालसिंह राठौड़ ने भी संबोधित किया जिलाध्यक्ष छगनसिंह लूणू ने दो दिन तक चले इस सम्मेलन का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया तथा जो भी बाते सामने आई उन्हें मांगपत्र के रूप में बनाकर राज्य सरकार को भेजने का निर्णय लिया गया जिसमें मुख्यरूप से 2012 के षिक्षा का स्थायीकरण एवं वेतन स्थरीकरण आदेष जारी करवाने तथा जरूरत पड़ने पर माननीय विधायक महोदय के माध्यम से विधानसभा में प्रष्न उठाने, विद्यालय समय परिवर्तन कर वर्षपर्यन्त 8 से 1 बजे तक रखने, स्थायी स्थानान्तरण नीति बनाने, षिक्षकों को गैर शैक्षिक कार्यो से मुक्त रखने, एनपीएस खाते बंद करने आदि विषय पर प्रस्ताव पास करवाये गये। सम्मेलन में जिले भर से 600 से अधिक षिक्षकों ने भाग लिया जिसमें चन्द्रवीरसिंह राव, मेताराम जयपाल, धाराराम, बाबूराम, बनेसिंह आंटा, हरीसिंह महेचा, बदनसिंह सेड़वा, हड़वन्तसिंह धोरीमन्ना, अजय कुमार माड़ेचा, शैतानसिंह राजपुरोहित, रतनसिंह सोढा, महेन्द्र जैन, जितेन्द्र दवे, दामोदर आचार्य, प्रषान्त व्यास, दिनेष पंवार, राजकमल सांवरिया, किषनलाल मेघवाल, रसीद खां गौरी उपस्थित थे। कार्यक्रम का सफल संचालन मुकेष व्यास ने किया।


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