बड़ी खबर...शिक्षा बोर्ड मेरिट में नहीं जोड़ेगा सत्रांक और प्रेक्टिकल अंक
माध्यमिक शिक्षा बोर्ड राजस्थान की अगले वर्ष होने वाली सीनियर सैकंडरी और सैकंडरी परीक्षा की योग्यता सूची (मेरिट) में विद्यार्थियों के सत्रांक और प्रायोगिक परीक्षाओं के अंक नहीं जुड़ेंगे।
मेरिट का निर्धारण महज सैद्धांतिक परीक्षाओं के आधार पर होगा। हालांकि परीक्षा परिणाम और अंक तालिकाएं सत्रांक और प्रायोगिक परीक्षाओं में प्राप्त अंकों को जोड़कर जारी होगी। इसके अलावा अगले साल से बोर्ड की उत्तर पुस्तिकाओं में बार-कोडिंग प्रणाली लागू होगी।
बोर्ड की परीक्षा समिति की बैठक में मेरिट सहित परीक्षा से जुड़े अहम मुद्दों पर विचार-विमर्श हुआ। बोर्ड की योग्यता सूची में सत्रांक के अंकों की वजह से फर्जीवाड़े की आशंका बनी रहती है। इस साल दसवीं की राज्य स्तरीय योग्यता सूची में एक ही विद्यालय के 17 विद्यार्थियों को जगह मिलने के बाद बोर्ड परीक्षाओं की विश्वसनीयता को लेकर सवालिया निशान खड़े हो गए थे।
बोर्ड ने इसकी जांच राज्य पुलिस की शाखा स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (एसओजी) को सौंप रखी है। राजस्थान पत्रिका ने सत्रांक और प्रायोगिक परीक्षा अंकों में फर्जीवाड़े को लेकर मेरिट के खेल में फिक्सिंग सहित अन्य मुद्दों पर 30 मई 2015 को विशेष स्पॉटलाइट पेज प्रकाशित किया था।
बोर्ड अध्यक्ष प्रो. बी.एल. चौधरी ने बताया कि कुछ वर्षों से योग्यता सूची को लेकर विवाद उठते रहे हैं। मेरिट के नाम पर निजी विद्यालयों की प्रतिस्पर्धा, विद्यार्थियों को भ्रमित करने और गलत तरीके अपनाने के मामले सामने आने के बाद बोर्ड ने परीक्षा प्रणाली की समीक्षा की।
20 में से 20 सत्रांक
बोर्ड अध्यक्ष ने बताया कि अधिकांश निजी विद्यालय योग्यता सूची को लेकर अपने विद्यार्थियों को 20 में से 20 सत्रांक देते हैं। इसी तरह प्रायोगिक परीक्षाओं में भी विद्यार्थियों को मनचाहे अंक दे दिए जाते हैं। इससे योग्यता सूची प्रभावित होती है। इस तरह के फर्जीवाड़े की आशंका से निबटने के लिए परीक्षा समिति ने सत्रांक और प्रायोगिक परीक्षा के अंक को हटाकर महज सैद्धांतिक परीक्षा के अंकों के आधार पर मेरिट जारी करने की अनुशंसा की है।
कॉपियों में होगी बार कोडिंग
प्रो. चौधरी ने बताया कि इस वर्ष एक निजी स्कूल संचालक की ओर से अपने विद्यालय के परीक्षार्थियों को मनचाहे अंक देने के लिए परीक्षक को प्रलोभन और धमकी देने का मामला सामने आने के बाद इस तरह की घटनाओं पर रोक लगाने के लिए उत्तर पुस्तिकाओं में रोल नंबर की जगह बार-कोडिंग की व्यवस्था लागू की जाएगी। अगले साल होने वाली परीक्षाओं में यह व्यवस्था 10वीं परीक्षा की उत्तर पुस्तिकाओं में लागू होगी, जबकि अगले वर्षों में बोर्ड की सभी परीक्षाओं की उत्तर पुस्तिकाओं में इसे लागू कर दिया जाएगा। पत्रिका ने इस संबंध में 7 अक्टूबर के अंक में रोल नंबर पहचानना नहीं होगा मुमकिन समाचार प्रकाशित किया था।
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