रविवार, 18 अक्तूबर 2015

(बाड़मेर पर्यटन सेतु बन सकता है शिव



(बाड़मेर). राष्ट्रीय राजमार्ग 15 पर बाड़मेर से 50 व जैसलमेर से 100 किमी पर स्थित शिव कस्बा दोनों जिलों कापर्यटन सेतु बन सकता है। जैसलमेर से सुंदरा के रास्ते जिला मुख्यालय पहुंचने से पूर्व मुनाबाव व गडरारोड सहित कई सीमावर्ती गांवों में बॉर्डर टूरिज्म व डेजर्ट नेशनल पार्क की सैर का आनंद लिया जा सकता है।

यहां गांवों की परंपरागत संस्कृति की तस्वीर देखने का मौका मिलेगा। दूसरा रास्ता हाईवे के गांव बरियाड़ा से है। इसमें बोहरासर में पालीवालों के जमाने की बेरियों, देवका के भव्य व संभाग के दुर्लभ कलाकृतियों वाले सूर्य मंदिर, गूंगा के सेंड डयून्स पर सूर्यास्त का मनोहारी दृश्य व झांपली कलां में अंतरराष्ट्रीय लोक कलाकार सूफ ी व पारंपरिक लोक संगीत से पर्यटकों को रिझा सकते हैं। बीसूकलां के विसोत माता मंदिर की भव्यता को निहारने, शिव के ऐतिहासिक बाबा गरीबनाथ मंदिर के दर्शन व झीलकाय मानसरोवर तालाब में नौकायन का लुत्फ उठाने से शायद ही कोई सैलानी चूकेगा।

कोटड़ा का किला, सरगला कुआं

कोटड़ा केरियासतकालीन किले के पास ही एेतिहासिक सरगला नामक कुआं पर्यटकों को बरबस ही अपनी ओर खींचने का माद्दा रखता है।

फूड टूरिज्म की संभावनाएं

यहां साकर से बनी बिना आटे की रोटी, सिंधण गायों का माखण तथा केर-सांगरी सरीखे पंचकूटे के व्यंजनों का स्वाद यहां दुबारा आने को विवश कर सकता है।

हस्तशिल्प का भी आकर्षण

यहां निर्मित चमड़े की मौजडिय़ां, चमड़े व कपड़े पर उकेरी कसीदाकारी से बने बैग व पर्स आदि भी देसी-विदेशी पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र हो सकते हैं।

नींबला गांव में पीरदानजी के थान पर भरने वाला पशु मेला थारपारकर नस्ल के गोवंश, जैसलमेरी नस्ल के ऊं ट व मारवाड़ी नस्ल के घोड़े पर्यटकों को खींच सकते हैं। लोक देवता बाबा रामदेव की जन्म स्थली रामदेरिया में बन रहा भव्य मंदिर धार्मिक पर्यटन बढ़ाने में मददगार हो सकता है।

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