एक विवाह ऐसा भी: सीकर में हुई यह अनोखी शादी बन गई मिसाल
टोडा. आपने दहेज के नाम पर बेटियों का घर उजड़ते सुना होगा...। मरने, जलने या प्रताडऩा की खबरें पढ़ी होंगी, पर एक एेसी भी शादी हुई है जो दहेज लोभियों को आईना दिखाती है। और हां, न शृंगार...न अग्नि के सात फेरे...फिर भी ये जोड़ा सात जन्मों के लिए एक हो गया। गांव हाथीदेह के समीप ढाणी बुर्जा में रविवार को एेसी ही एक अनोखी शादी देखने को मिली। यहां दूल्हा व दुल्हन का न बान बैठा और न ही अग्नि के सात फेरे हुए। परिवार के लोग, नाते-रिश्तेदार व बरातियों के साक्ष्य में विवाह सम्पन्न हुआ। वर पक्ष के लोगों ने दहेज में कुछ भी नहीं लिया। वे दुल्हन को साधारण कपड़ों में ब्याह कर ले गए।
बिंदौरी की रस्म भी नहीं
बुर्जा की ढाणी निवासी 21 वर्षीय पिंकी की शादी ज्ञानपुरा (विराटनगर) जयपुर निवासी मुकेशदास के साथ रविवार को हुई। शादी में मुकेशदास ने ससुराल पक्ष से कुछ भी नहीं लिया। तोरण न ही बिंदौरी की रस्म निभाई गईं। वर पक्ष सादगी से वधु को ब्याह कर ले गया। वर मुकेश दास ने बताया कि परिवार के सदस्यों ने दहेज में कुछ भी नहीं लेने का फैसला किया था। दोनो पक्षों के कबीरपंथी होने की वजह से ऐसा फैसला लिया गया है। मुकेश व पिंकी दोनों 10वीं पास हैं। मुकेश टेलरिंग का काम करता है।
न निकासी, न तोरण
दोनों ही परिवार के सदस्यों ने निकासी व तोरण नहीं करने का फैसला लिया। इस दौरान न तो बैण्ड-बाजा बजा और न ही आतिशबाजी हुई। साधारण समारोह में बिना किसी रस्म अदायगी के विवाह संपन्न हुआ।
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