राजस्थान पुलिस की गिरफ्त से बचने के लिए पकड़वा दी अपनी ही गैंग
श्रीगंगानगर . लग्जरी गाडि़यां चोरी कर बेचने की अंतराज्यीय गैंग चलाने के मामले में राजस्थान पुलिस के मोस्ट वांटेड आरोपी विक्रम बिश्नोई ने पंजाब पुलिस से हाथ मिलाकर अपनी ही गैंग को पकड़ा दिया। पंजाब पुलिस ने साफ तौर पर स्वीकार किया है कि विक्रम उनका मुखबिर है और उसी की सूचना पर वाहन चोर गिरोह को पकड़ा गया है।
पंजाब के गुमजाल निवासी विक्रम बिश्नोई पुत्र रामस्वरूप बिश्नोई को राजस्थान पुलिस की ओर से गिरफ्तार किए जाने का भय सता रहा था। उसने गिरफ्तारी से बचने के लिए श्रीगंगानगर कोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका भी लगाई थी, जो खारिज हो गई थी। उसके बाद उसने हाईकोर्ट से राहत मांगते हुए अग्रिम जमानत याचिका भी लगाई थी, लेकिन वहां भी याचिका खारिज कर दी गई। ऐसे में विक्रम की गिरफ्तारी तय थी। श्रीगंगानगर की कोतवाली पुलिस ने उसे पकडऩे के लिए चार बार दबिश भी दी और दो बार पेश होने के लिए नोटिस भी जारी किया। लेकिन विक्रम के भाई निर्मल बिश्नोई ने जांच अधिकारी पर ही मामले में झूठा फंसाने के आरोप लगाते हुए 15 अगस्त को आईजी बीकानेर को शिकायत की। आईजी के निर्देश पर इस प्रकरण की फाइल एसपी ने सीओ सिटी को सौंप दी। राजस्थान पुलिस प्रकरण की जांच में जुटी थी। इसी बीच, विक्रम ने पंजाब पुलिस से सांठगांठ कर ली और पंजाब पुलिस का मुखबिर बन बैठा। पंजाब पुलिस ने विक्रम से मिल कर पांच आरोपी पकड़े और 68 वाहनों की
बरामदगी दिखाई।
यार हुआ गद्दार
आरोपी विक्रम ने खुद को बचाने के लिए अपनी ही मित्र मंडली को पंजाब पुलिस की झोली में डाल दिया। पंद्रह जेड निवासी ताराचंद स्वामी, मिनी मायापुरी निवासी मिस्त्री सुखवीरसिंह उर्फ सोनी, साधुवाली निवासी अमित कुमार कुम्हार, बापूनगर निवासी महेदं्रकुमर और सुखचैन निवासी विजयपाल उर्फ रामदास विक्रम बिश्नोई की वाहन चोर गैंग के सदस्य थे। इसके बावजूद उसने खुद को बचाने के लिए इन सब को पंजाब पुलिस के हाथों पकड़वा दिया।
चुराई मिलकर, फंसाया साथियों को
पंजाब पुलिस से हुई डील के बाद आरोपी विक्रम ने अपनी गैंग के सदस्यों को पहले पकड़वाया। इसके बाद इन पांचों गैंग सदस्यों के यहां से चोरी गए 68 वाहन बरामद करने दिखाए गए। बाकायदा पंजाब पुलिस ने अपनी बरामदगी रपट में बताया है कि उसने किस-किस व्यक्ति से कितने वाहन बरामद किए। पंजाब पुलिस की कार्रवाई पर यकीन किया जाए तो ताराचंद स्वामी के घर 15 जेड से 15 वाहन बरामद किए गए। अर्थात पंजाब पुलिस दस-पन्द्रह बार गांव आई और तलाशी ली या फिर एक साथ सभी वाहन बरामद किए। इतनी बड़ी संख्या में वाहन बरामद करते वक्त गांव में किसी को भनक तक नहीं लगी।
इसी प्रकार दूसरी कार्रवाई मिनीमायापुरी में मिस्त्री सुखवीरसिंह उर्फ सोनी के गैराज पर हुई। यहां से 12 वाहन चोरी के बरामद करने दिखाए गए। तीसरी कार्रवाई साधुवाली निवासी अमित कुमार कुम्हार के यहां की गई। उसके साधुवाली स्थित खेत में किन्नू के बाग से 17 वाहन बरामद करने दिखाए गए। चौथी कार्रवाई जिला अस्पताल के पीछे बापूनगर में की गई। यहां महेंद्रकुमार के घर से 12 वाहन बरामद करने दिखाए गए। पांचवी कार्रवाई सुखचैन गांव में की गई। यहां से विजयपाल के खेत से चोरी के 12 वाहन बरामद करना दिखाया गया। हकीकत में पंजाब पुलिस ने राजस्थान के उक्त स्थानों से एक भी वाहन बरामद नहीं किया। यदि इतने वाहन बरामद होते तो संबंधित क्षेत्रों एवं गांवों में पंजाब पुलिस को आमद को लोगों ने देखा होता अथवा राजस्थान पुलिस की भी मदद
ली गई होती।
आईजी बोले वह हमारा गुप्तचर
पंजाब पुलिस की ओर से 21 सितंबर को फाजिल्का में हुई पत्रकार वार्ता में बठिंडा जोन के आईजी बीके बावा ने साफ किया था कि विक्रम बिश्नोई पंजाब पुलिस का मुखबिर है। उसी की सूचना पर इतने बड़े गैंग को पकड़ा जा सका। इसी कारण उसे इस मामले में गिरफ्तार नहीं किया गया। पूरे प्रकरण में विक्रम का कहीं नाम नहीं आने पर उसकी भूमिका पर पत्रकारों ने सवाल किए थे।
जांच हो तो झूठ से उठे पर्दा
पंजाब पुलिस के इस कारनामें की जांच हो तो सारी सच्चाई सामने आ जाए। इतने वाहनों को बरामद कर पंजाब ले जाने के लिए जाहिर है, बड़े स्तर पर पंजाब पुलिस के अधिकारी मौके पर आए होंगे। उनके नाम और उनके मोबाइल की उस तारीख की कॉल डिटेल और मोबाइल लॉकेशन की जांच की जा सकती है। दूसरा जिन स्थानों से पंजाब पुलिस ने इतनी बड़ी संख्या से वाहन बरामदगी दिखाई उसका भौतिक सत्यापन कराकर स्थानीय लोगों से पूछताछ की जा सकती है। तीसरा सवाल उठता है कि इतने वाहनों की बरामदगी में क्या पंजाब पुलिस को एक बार भी राजस्थान पुलिस की आवश्यकता नहीं पड़ी।
हमारे पास कोई जानकारी नहीं
पंजाब पुलिस ने मिनी मायापुरी में कब दबिश दी और कितनी गाडि़यां यहां से बरामद की। इसकी हमारे पास कोई जानकारी नहीं है। पंजाब पुलिस ने इस बरामदगी के दौरान हमसे संपर्क नहीं किया।
अवधेश सांंधू
थाना प्रभारी पुरानी आबादी।
पंजाब पुलिस ने नहीं किया सहयोग
पंजाब पुलिस की इस कार्रवाई के बाद हमारी टीम दो बार उनके पास गई। दोनों बार ही पंजाब पुलिस ने सहयोग नहीं किया और गिरफ़्तार आरोपियों से मिलवाया तक नहीं। हमने इसकी रिपोर्ट आईजी कार्यालय को भेज दी है।
राहुल कोटोकी
पुलिस अधीक्षक श्रीगंगानगर
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