उदयपुर।राजस्थान में महाघूस कांड: टमाटर सूप पीकर रचते थे खदानों के घोटाले
खान विभाग के अतिरिक्त निदेशक पंकज गहलोत और बड़ा बिचौलिया संजय सेठी सप्ताह में दो-तीन बार खान निदेशालय में ही बैठकर खदानों की सौदेबाजी करते थे।
इस दौरान बड़े-बड़े खान व्यवसायी भी मौजूद रहते थे। सभी टमाटर सूप के दौर चलाकर फाइलों की गणित बिठाने का काम करते थे। गहलोत और सेठी की दोस्ती के किस्से निदेशालय में किसी से नहीं छिपे हैं। जयपुर में बैठे आला अफसरों के इशारे पर सेठी लंबे समय से निदेशालय में बिचौलिये की भूमिका निभा रहा था।
इस नेटवर्क ने सुप्रीम कोर्ट और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल से सख्त रोक तथा आदेशों के बावजूद अरावली पर्वतमाला शृंखला में नई खदानें आवंटित करने के काम किए।
कई बार घोटालों के सामने आने पर जांच रिपोर्ट में साफ तौर पर इन अफसरों के नाम सामने आए, लेकिन प्रमुख शासन सचिव कार्यालय और मंत्रालय की मेहरबानी इन अफसरों पर बनी रही। यही नहीं सरकार स्तर पर भी एेसे कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए जिससे अरावली की सौदेबाजी करने वाले गुनहगार अधिकारियों, बिचौलियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो।
सामने आया सच
गहलोत और सेठी के संबंधों का पूरा सच बुधवार को एसीबी की बड़ी कार्रवाई में सामने आ गया। निदेशालय में सेठी खदान योजनाओं की स्वीकृति व खारिज, नोटिस रद्द कराने जैसे कई प्रकरण लाता और अधिकारियों पर जयपुर स्थित आला अधिकारियों के नाम का दबाव डलवा काम करवाता।
उसकी खुद की भी खदानें हैं, लेकिन इसने लंबे समय से दूसरों की खदानों के काम करवाने की दलाली की। इस काम में अतिरिक्त खान निदेशक गहलोत ने उसका पूरा साथ दिया।
इनके साथ निजी तौर पर काम करने वाले दो आरक्यूपी भी हैं, जो माइनिंग प्लान बनवाकर उनको स्वीकृत करवाने के काम करवाते हैं। यही नहीं खदानों को आवंटित करने से पहले उनके फील्ड में सर्वे किए जाने के दौरान फर्जी गवाह के रूप में हस्ताक्षर करने वाले छोटे बिचौलिए भी निदेशालय ने पाल रखे हैं।
इन पर सरकार चुप
सलूम्बर में इण्डस्ट्रीयल मिनरल्स सप्लायर्स के प्रोपराइटर सरदार अमरीक सिंह के घीया पत्थर के खनन पट्टा संख्या क्रमश:
एमएल 52/72 और 131/79 को अरावली पर्वत शृंखला में आना बताकर इनका नवीनीकरण खान निदेशालय ने रोक दिया। अरावली रेंज में बंद कराई गई 261 खदानों की सूची में भी इसको शामिल कर दिया। बाद में चहेती मार्बल खदानों के आवेदनों को स्वीकार कर लेटर ऑफ इंटेंट जारी कर दिए।
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