सांसद पटेल ने पर्यावरण के उच्चाधिकारियों से की वार्ता
माउण्ट आबू में निर्माण कार्य करने की अनुमति प्रदान करने की रखी मांग
क्षेत्रीय सांसद पटेल देवजी पटेल ने शुक्रवार को नईदिल्ली में पर्यावरण, वन एवं जलवायु मंत्रालय के अपर सचिव एच.के पांडे एवं उपनिदेशक अमित लव से वार्ता कर माउंट आबू में निर्माण कार्य करने की अनुमति प्रदान करने के मांग रखी।
चर्चा के दौरान सांसद पटेल ने बताया कि माउंट आबू प्रदेश की ग्रीष्मकालिन राजधानी हैं। राज्यभवन एवं पुरा सचिवालय माउंट आबू से संचालित होता हैं। पर्यटन की दृष्टि से देखने लायक स्थल तथा वातावरण के अनुरूप घुमने लायक स्थान है। यहां प्राचीन काल के बगले तथा छुट्टी बिताने के लिए आवास हैं। परन्तु यहां निमार्ण कार्य पर पुर्णतः प्रतिबंध हैं। जिससे स्थानीय लोगों को काफी समस्या का सामना करना पड़ता हैं। माउंट आबू को 2009 में संवेदनशील पर्यावरण क्षेत्र घोषित किया गया है। जनरल मास्टर प्लान दो साल में बनाना था, परन्तु 6 साल के बाद भी नहीं बना हैं। जिससे स्थानीय जनता अपने मौलिक अधिकारांे से लम्बे समय से वंचित हैं। जबकि संवेदनशील पर्यावरण समिति ने निमार्ण सबंधी पत्रावलियों का निस्तारण करने के निर्देश दिये हैं, लेकिन निस्तारण नहीं करने की वजह से जन सेवा समीति ने माननीय सर्वोच्च न्यायालय में आवेदन लगा कर दोनों मास्टर प्लान फाइनल करने एवं निर्माण संबंधी पत्रावलियों निस्तारण करने हेतु प्रस्तुत किया, जिसमें सर्वोच्च न्यायालय ने 19 अगस्त 2011 को आदेश दिया कि दो महिने के अदंर जोनल मास्टर प्लान फाइनल किया जावे एवं छः सप्ताह के अंदर निर्माण संबंधी सभी पत्रावलियों का निस्तारण किया जाए। लेकिन आज दिन तक सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों की पालन नहीं हुई। माउंट आबू में लोग पीढियों से रह रहे है उनके परिवार बढ़ने के बाद न अपने घर में कोई निमार्ण कर सकते है एवं न ही अपने घर पर शौचालय बना सकते। जिससे स्थानीय लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है तथा लोग संविधान में दिये गए मुलभूत अधिकारांे से लम्बे समय से वंचित है। इसलिए लोगों की समस्याओं को मध्यनजर रखते हुए जनहित में निमार्ण कार्य की अनुमति प्रदान करवाने की मांग की।
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