संथारा प्रथा से जुड़े मामले पर सीजे सुनील अम्बवानी की खण्डपीठ ने अहम फैसला सुनाया है। अदालत ने इस मामले में निखिल सोनी द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुरक्षित रखे अपने फैसले में संस्थारा प्रथा पर रोक लगाने के आदेश दिए हैं।
अदालत ने अपने आदेश में यह भी कहा है कि संथारा लेना आत्महत्या के सामान है लिहाज़ा ऐसा करने वाले के खिलाफ एफआईआर दर्ज़ होनी चाहिए।
दरअसल, हाईकोर्ट ने इस मामले पर विभिन्न पक्षों को सुनने के बाद 23 अप्रेल को सुनवाई पूरी कर ली थी और अपना निर्णय सुरक्षित रखा था।
जनहित याचिका की ये थी दलील
निखिल सोनी की ओर से दायर हुई जनहित याचिका में कहा गया था जिस तरह सती प्रथा आत्महत्या है, उसी प्रकार से संथारा प्रथा भी आत्महत्या का ही एक प्रकार है।
याचिका में संथारा प्रथा की रोक लगाने के लिए गुहार लगाईं गई थी। वहीं पक्षकारों की ओर से हाईकोर्ट में कहा गया था कि जैन धर्म में संथारा प्रथा महत्वपूर्ण स्थान रखता है।
संथारा प्रथा को आत्महत्या या इच्छा मृत्यु की संज्ञा देना सही नहीं है। संथारा प्रथा आत्मा को पवित्र करने के लिए अंतिम तपस्या है।
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