बीकानेर बीस गांवों की जमीनों को लेकर करोड़ों का घोटाला
मास्टर प्लान में आरक्षित करीब डेढ दर्जन गांवों की कीमती जमीन को नियमों को ताक पर रख कर आवंटित कर सरकार को करोड़ों की चपत लगाने के आरोप से जुड़े परिवाद की जांच भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने शुरु की है। यह परिवादी ब्यूरो मुख्यालय गया था जहां से दर्ज होकर बीकानेर आया।
ब्यूरो विशेष अनुसंधान इकाई के अपर पुलिस अधीक्षक परवतसिंह इस परिवाद की जांच कर रहे हैं। इसमें खासकर स्टाम्प ड्यूटी व प्रचलित दर डीएलसी से बीस प्रतिशत अधिक राशि लेकर खातेदारी अधिकार देने का नियम है लेकिन दोनों ही बिन्दुआें पर सरकार को हानि हुई।
जानकारी के अनुसार परिवाद में उल्लेख है कि नगरीय विकास विभाग ने 16 जून 1976 को एक अधिसूचना जारी कर बीकानेर के इर्दगिर्द बीस गावों की जमीनों को मास्टर प्लान में शामिल किया था।
सरकारी अधिकारियों ने 29 अगस्त 2007 से 2012 के बीच पुरानी डीएलसी दर से राशि लेकर अवैध तौर पर खातेदारी अधिकार बांट दिए। चार साल पूर्व तत्कालीन जिला कलक्टर डाक्टर पृथ्वी ने पूर्व एडीएम केएल मीणा के नेतृत्व में एक कमेटी गठित की और इस बारे में मिली शिकायत व खबरों में उल्ल्ेाखित बिन्दुओं की जांच कराई।
कमेटी ने खातेदारी की आवंटन प्रक्रिया को प्रथम दृष्टया गलत मान दोषी अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा की। जिन गांवों की जमीनों में नियम विरूद्ध खातेदारी अधिकार दिए गए उनमें बीछवाल, अनोपसागर, उदासर, रिडमलसर पुरोहितान, सरह कजानी, शिवबाड़ी, जोहड़बीड़, किशमीदेसर, भोजनशाला, भीनासर ,सुजानदेसर, श्रीरामसर, करमीसर, सरह तेलिया, रूघनासथसर, नत्थूसर,, सरह नथानिया, चकगर्बी, बीकानेर शहर व गंगाशहर शामिल है।
परिवाद के साथ कमेटी की जांच का कुछ रिकार्ड तो आया है और कुछ लिया जाना है। अभी यह स्पष्ट नहीं है कि चार साल पहले जांच के बाद किन अधिकारियों व कर्मचारियों पर क्या कार्रवाई हुई।
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