मंगलवार, 16 जून 2015

लैला-मजनू की मजार, यहां लगता है प्रेमियों का मेला

लैला-मजनू की मजार, यहां लगता है प्रेमियों का मेला


अनूपगढ़। भारत-पाकिस्तान की सरहद पर बिंजौर गांव में एक मजार पर दिन ढलते ही कव्वाली की धुनों के बीच सैकड़ों युगल अपने प्रेम के अमर होने की दुआ मांगते देखे जा सकते हैं। यहां हर साल एक मेला लगता है जिसमें आने वालों को पूरा यकीन है कि उनकी फरियाद जरूर कुबूल होगी। लैला-मजनू की दास्तान पीढ़ियों से सुनी और सुनाई जा रही है।

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कहा जाता है कि लैला और मजनू एक दूजे से बेपनाह मोहब्बत करते थे लेकिन उन्हें जबरन जुदा कर दिया गया था। यहां के लोग इस मजार को लैला-मजनू की मजार कहते हैं। हर साल 15 जून को यहां सैकड़ों की तादाद में लोग पहुंचते हैं क्योंकि यहां इस दौरान मेला लगता है।



यह मजार श्रीगंगानगर जिले के अनूपगढ़ में है। पाकिस्तान की सीमा से यह महज पांच किलोमीटर की दूरी पर है। इस साल भी यहां सैकड़ों की संख्या में विवाहित और प्रेमी जोड़े पहुंचे। हालाँकि, इतिहासकार लैला-मजनू के अस्तित्व से इनकार करते हैं। वे इन दोनों को काल्पनिक चरित्र करार देते हैं। परंतु इस मजार पर आने वालों को इन बातों से कोई फर्क नहीं पड़ता। वे तो बस फरियाद लिए यहां चले आते हैं।



स्थानीय निवासी कहते हैं कि हर साल यहां सकड़ों जोड़े लैला-मजनू का अशीर्वाद लेने आते हैं। लोगो के अनुसार हिंदू और मुसलमान ही नहीं बल्कि सिख एवं ईसाई भी इस मेले में आते हैं।



मेले के दौरान मेला कमेटी द्वारा कुश्ती का आयोजन भी करवाया जाता है जिसमे दूर दराज के पहलवान आकर अपना दम खम दिखाते है विजेता पहलवान को मेला कमेटी द्वारा सम्मानित किया जाता है।



राजस्थान पर्यटन विभाग लैला मजनू की मजार पर आने वाले पर्यटकों और श्रद्धालुओं की संख्या को देखते हुए ऐतिहासिक और सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थल को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित कर रहा है। पर्यटन विभाग के सूत्रों के अनुसार विभाग ने लैला मजनू की मजार के रखरखाव और इसके सौंदर्यीकरण पर करीबन 25 लाख रूपये खर्च किये हैं।

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