शनिवार, 20 जून 2015

इस गांव में है 5000 साल पुराना शिवलिंग, आज भी होती है पूजा



भगवान शिव सृष्टि के निर्माता हैं। सबकुछ उनके अंश से ही उत्पन्न होता है और एक दिन उन्हीं में विलीन हो जाता है। समय, सृष्टि और प्रकृति के नियमों के निर्माता भी वे ही हैं।

उनकी पूजा धरती पर कितने वर्षों से हो रही है, यह कोई नहीं जानता। विश्व के अत्यंत प्राचीन ग्रंथों में भी उनकी पूजा के प्रमाण मिलते हैं।

भगवान शिव की पूजा से संबंधित एक प्राचीन प्रमाण गुजरात के गांव में भी पाया गया था। यह 5000 साल पुराना शिवलिंग है जो 1940 में एक खुदाई के दौरान गुजरात में देडियापाडा के कोकम गांव में मिला था।



तब खुदाई के दौरान मशहूर पुरातत्व विशेषज्ञ एमएस वाॅट्स भी मौजूद थे। उन्होंने वहां मिली वस्तुओं और शिवलिंग का वैज्ञानिक विधि से परीक्षण कर पाया कि यह करीब 5000 साल पुराना है। किसी समय यह भगवान भोलेनाथ का प्रसिद्ध शिवालय रहा होगा और यहां अनगिनत भक्तों ने उनकी पूजा की होगी।

यहां भगवान शिव जलेश्वर महादेव के नाम से पूजे जाते हैं। यहां तक पहुंचने के लिए मोसाद शहर से करीब 14 किमी की दूरी तय करनी होती है।

इस मंदिर से एक और रोचक तथ्य जुड़ा है। भगवान शिव का ये मंदिर पूर्वा नदी के तट पर स्थित है। इस नदी का प्रवाह पूर्व दिशा की ओर है। इसलिए इसका नामकरण पूर्वा हो गया।

जलेश्वर महादेव के दर्शन के लिए सोमवार को काफी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। वहीं शिवरात्रि और श्रावण मास में यहां का नजारा अनोखा होता है। श्रद्धालुओं की मान्यता है कि यहां भोलेनाथ का अखंड वास है। इनके दर्शन से सुख, समृद्धि, शांति और जीवन में शीतलता की प्राप्ति होती है।

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