सोमवार, 11 मई 2015

जयललिता के भाग्य का फैसला आज, बरी हुईं तो फिर बन सकती हैं सीएम

जयललिता के भाग्य का फैसला आज, बरी हुईं तो फिर बन सकती हैं सीएम

चेन्नई. तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जे. जयललिता के लिए सोमवार का दिन बेहद अहम है। कर्नाटक हाईकोर्ट जयललिता की ओर से दायर याचिका पर अपना फैसला सुनाएगा। याचिका में आय से अधिक संपत्ति के मामले में उनको दोषी साबित कर जेल की सजा सुनाए जाने का विरोध किया गया है। इस केस में जयललिता के तीन सहयोगी भी शामिल हैं जिसमें उनकी सहेली शशिकला भी हैं।

फैसले पर होंगी सबकी नजरें
जयललिता के भाग्य का फैसला आज, बरी हुईं तो फिर बन सकती हैं सीएम


‘अम्मा’ के नाम से मशहूर जया पर फैसला जस्टिस सीआर कुमारस्वामी सुबह 11 बजे सुनाएंगे। अम्मा के लिए इस फैसले के तीन महत्वपूर्ण मायने होंगे और इनमें से भी सबसे बड़ा ये कि अगर वे इस मामले में बरी होती हैं तो तमिलनाडू के सीएम की कुर्सी पर उनकी वापसी लगभग तय हो जाएगी। लेकिन इसमें जरूरी यह है कि जज उनकी लीगल टीम की दलीलों से सहमत हों। फैसला सुनाए जाने के दौरान जया का अदालत में उपस्थित रहना जरूरी नहीं है।

तो पार्टी के भविष्य पर ही संकट




मान लीजिए कि यदि फैसला जयललिता की उम्मीदों के मुताबिक नहीं आता यानी जज उनकी याचिका खारिज कर देते हैं तो यह अम्मा और उनकी पार्टी एआईएडीएमके के खतरे की घंटी जैसा होगा। दरअसल, AIDADMK जयललिता की इर्दगिर्द ही घूमती है और वह ही इसका सबसे लोकप्रिय चेहरा हैं। अगर फैसला जया की उम्मीदों के मुताबिक नहीं आता है तो इससे AIDADMK के भविष्य पर सवालिया निशान लग जाएगा। इससे भी बड़ी बात यह है कि अगर हाईकोर्ट ट्रायल कोर्ट के ही फैसले को बरकरार रखता है तो अम्मा और उनके तीनों सहयोगियों को सरेंडर करना पड़ेगा। सलमान खान मामले में पैरवी करने वाले वकील हरीश साल्वे भी अम्मा की लीगल टीम में शामिल हैं।

कुछ राहत कुछ संकट




इस मामले में एक और संभावना है। संभव है कि जज जुर्माना और लगा दें और सजा को कम कर दें। हालांकि प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट यानी पीसीए के प्रावधानों को देखते हुए अम्मा के लिए यह फैसला उनके मनमुताबिक नहीं होगा क्योंकि वे राज्य की सीएम नहीं बन पाएंगी। इसके अलावा उन पर छह साल तक चुनाव लड़ने की रोक तो जारी रहेगी ही। मामले के तीन और आरोपियों शशिकला, जे. एलव अरासी और व्ही. सुधागरन को सजा कम होने से राहत मिल सकती है क्योंकि उनके पास सुप्रीम कोर्ट में अपील करने का एक और विकल्प खुला रहेगा। फैसला खिलाफ आने पर जया के पास भी सुप्रीम कोर्ट में अपील करने का अधिकार होगा लेकिन उसका फैसला आने तक उनके सिर पर तो तलवार लटकती ही रहेगी।

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