मंगलवार, 21 अप्रैल 2015

खुशियां देकर कम कर रही गम किन्नर लीला



बालोतरा

किन्नर, मतलब परिवार बिना जीवन। बकौल लीला अधकचरी जिंदगी। अधूरी जिन्दगी मिलने के बाद भी बालोतरा निवासी किन्नर लीला ने अपने तरीके से पूरा करने का प्रयास किया है।

वह कन्यादान कर अब तक करीब 150 बेटियों की मां का दर्जा हासिल कर चुकी है। लीला की अंगूली पकड़ 35 बच्चे शिक्षा के रास्ते पर आगे बढ़ रहे है।

आम धारणा है कि किन्नर यजमानों से मिली राशि अपने और अपने समाज पर ही व्यय करते हैं, लेकिन बी.एससी. तक शिक्षित 48 साल की लीला लीला 21 साल पहले बालोतरा आई और यहां के लोगों के दुख-दर्द की साथी बनकर रह गई।

इतना बड़ा परिवार

लीला को इस बात का बड़ा इत्मिनान है कि आज उसका परिवार बहुत बड़ा हो गया है। 150 बेटियां हैं। जिन परिवारों से जुड़ाव हुआ वे और जिन यजमानों से मदद लेकर कार्य करवाया वे भी निरंतर उसके संपर्क में रहते हैं।

अक्षय तृतीया पर इस बार पांच विवाह

अक्षय तृतीया 21 अप्रेल को लीला पांच बेटियों की शादियां करवाने की तैयारी में जुटी हुई हैं। वह कहती है घर-घर घूमती हूं। सेठ-साहूकारों से अन्न-धन लेती हूं।

उसे जरूरतमंदों में बांट देती हूं। वह मिलने वाली मदद से 60 प्रतिशत राशि गोशाला, शिक्षा, शादी, गरीबों की मदद में लगा देती है।

इससे उसे आत्मिक सकून भी मिलता है। लीला बाल विवाह नहीं कराती है, और विवाह के दौरान इसका ध्यान भी रखती है।

मिसाल

किन्नर लीला ने कराए 150 विवाह

अपने खर्चे पर पढ़ा रही बच्चों को

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