नई दिल्ली। यदि सब कुछ पटरी पर रहा तो अदालतों में वादियों और प्रतिवादियों को "तारीख पर तारीख" नहीं मिलेगी। उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश एच एल दत्तू ने रविवार को कहा कि न्यायिक सुधार की दिशा में ऎसे प्रयास किए जा रहे हैं, जिससे निचली अदालतों में अधिकतम पांच साल और अपीलीय अदालत में अधिकतम दो साल में मामले की सुनवाई पूरी हो जाएगी।
न्यायमूर्ति दत्तू ने राज्यों के मुख्यमंत्रियों और 24 उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों के संयुक्त सम्मेलन के बाद यहां संवाददाताओं को बताया कि न्यायपालिका इस दिशा में जोर-शोर से प्रयास कर रही है, परन्तु इसके लिए बुनियादी ढांचों को दुरूस्त करने, आबादी के हिसाब से न्यायाधीशों की संख्या बढ़ाने, सूचना प्रौद्योगिकी के व्यापक इस्तेमाल जैसे उपायों को मूर्त रूप देना होगा।�
उन्होंने बताया कि सम्मेलन में न्यायपालिका के समक्ष मौजूद समस्याओं पर गहनता से विचार विमर्श किया गया, जिनमें अदालतों का कम्प्यूटीकरण, नियुक्ति की नीतियां, त्वरित अदालतों, किशोर न्याय बोर्ड, महिला उत्पीड़न और वृद्धजनों से जुड़ी समस्याओं के अलावा भ्रष्टाचार के मामले शामिल हैं।
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