राजस्थान के बिकानेर से 30 किलोमीटर दूर देशनोक शहर में स्थित है करनी माता मंदिर। जिसे चूहों वाली माता, चूहों वाला मंदिर और मूषक मंदिर के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि इस मंदिर में चूहों का साम्राज्य स्थापित है। माना जाता है कि मंदिर में रहने वाले चूहे करनी माता की संतति और वंशधर हैं। लोक कल्याण के लिए देवी दुर्गा का करनी माता के रूप में अवतरण हुआ था। अन्य लोक कथा के अनुसार 20000 सैनिक देशनोक पर हमला करने के उद्देश्य से आए। जिन्हें माता ने अपने प्रताप से चूहे बना दिया और अपनी सेवा में रख लिया।
जब उनका सौतेला बेटा मौत का ग्रास बन गया तो माता ने यमदेव को आज्ञा दी की उनके बेटे को जीवित कर दें। माता के अनुक्रम से बेटा जीवित तो हुआ मगर चूहे के रूप में। माता ने जिस स्थान पर अपना देह त्यागा उसी स्थान पर करनी माता का मंदिर स्थापित है।
मंदिर में सुबह और शाम की आरती पर इतने चूहे होते हैं की माता के दर्शनों के लिए पांव लगभग घसीटते हुए ही जाना पड़ता है क्योंकि पांव उठाने पर चूहे पैर के नीचे आ सकते हैं और उन्हें चोट लगने पर आप पापों के भागी बन सकते हैं। चूहों का वर्चस्व होने के बावजूद मंदिर में न तो कोई बदबू है और न ही कोई बीमारी। अन्य जीव जन्तुओं से चूहों की रक्षा के लिए मंदिर में बारीक जाली लगी हुई है। यहां तक की माता के दर्शनों को आने वाले भक्तों को चूहों का झूठा प्रसाद के रूप में दिया जाता है।
मंदिर के अन्य आकर्षणों में मुख्य द्वार पर बना चांदी का बड़ा सा किवाड़, संगमरमर की प्रशस्त कारीगरी, माता के भवन में सोने का छत्र और चूहों के प्रसाद के लिए रखी चांदी की बड़ी सी परात है। वैसे तो यहां अत्यधिक काले चूहे ही हैं बहुत थोड़ी मात्रा में सफेद चूहे भी हैं। माना जाता है जिस किसी श्रद्धालु को सफेद चूहा दिख जाए उसकी मन्नत पूर्ण हो जाती है
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