गुरुवार, 25 दिसंबर 2014

बिहार में बना बिना जोड़ का पहला तिरंगा


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भारत की शान तिरंगा का मान बचाने के लिए स्वतंत्रता संग्राम में महान योगदान करने वाले बिहार ने आजादी के 67 वर्ष बाद एक और मील का पत्थर गाड़ दिया है। यदि इसपर संवैधानिक मोहर लग जाती है तो यह भी बिहार की महान उपलब्धी होगी। राजधानी पटना में पहली बार बिना जोड़ का तिरंगा बनाया गया है। मोतिहारी जिले के मधुबनी गांव में रहने वाले बुनकर सियाराम महतो ने यहां चल रहे शिल्पोत्सव में इस नायाब तिरंगा को आकार दिया है। उनका दावा है बिना जोड़ का तिरंगा इससे पहले कभी नहीं बना। 48 घंटे में हुआ तैयार तीन फुट लंबे और दो फुट चौड़े तिरंगे की हरी, सफेद और केसरिया पट्टी तैयार करने में 130 ग्राम सूत और 48 घंटे की मेहनत लगी है। इस तिरंगे में 42-42 ग्राम हरा, सफेद और केसरिया सूत है। आकाशीय नीले रंग का अशोक चक्र चार ग्राम सूत से बना है। सियाराम महतो ने यहां उपेंद्र महारथी शिल्प अनुसंधान संस्थान में गत 14 दिसंबर से शुरू ‘शिल्पोत्सव-2014’ के पहले दिन यह तिरंगा बुनना शुरू किया था। प्रतिदिन छह घंटे बुनाई करने के बाद आठवें दिन तिरंगा तैयार हुआ। इस तिरंगे को बनाने की पहली कोशिश उन्होंने अगस्त 2013 में की थी। इस बार पूरी तरह कामयाब रहे। हो सकता है परिवर्तन सियाराम महतो कहते हैं चाहे अवसर किसी राष्ट्रीय पर्व का हो अथवा सामान्य दिवस हों। लाल किला, राष्ट्रपति भवन से लेकर सामान्य सरकारी संस्थानों तक में कपड़े से बना जोड़ वाला तिरंगा ही फहराया जाता है। मेरी हार्दिक अभिलाषा है कि पटना के राजभवन और दिल्ली के लाल किले पर बिना जोड़ का तिरंगा फहरे। मुझे पता है कि तिरंगा बनाने और रखने से लेकर फहराने तक के नियम हैं। हो सकता है कोई नियम मेरी मंशा के आड़े आ जाए। फिर भी मैं कहना चाहता हूं कि तिरंगा हमारी एकता और अखण्डता का प्रतीक है। तिरंगे में जोड़ होना भावनात्मक दृष्टि से मुझे ठीक नहीं लगता। अखण्डता का प्रतीक भी अखण्ड ही होना चाहिए। अंत में वह यह कहने से नहीं चूके कि बिना जोड़ का तिरंगा फहराने में यदि कोई नियम आड़े आता है तो सर्वसम्मति के आधार पर उसमें परिवर्तन भी किया जा सकता है। लाएंगे सबके संज्ञान में सियाराम महतो द्वारा तैयार बिना जोड़ का तिरंगा शीघ्र ही बिहार के उच्च पदाधिकारियों और मंत्रियों के संज्ञान में लाया जाएगा। उपेंद्र महारथी शिल्प अनुसंधान संस्थान के उपनिदेशक अशोक कुमार सिन्हा ने कहा है 23 दिसंबर को शिल्पोत्सव के समापन समारोह में आने होने वाले विभागीय पदाधिकारियों और मंत्रियों को इस तिरंगा के बारे में बताया जाएगा। उनके समक्ष सियाराम महतो को अपनी बात रखने का अवसर भी दिया जाएगा। -  

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