मां के संक्रमण से नवजात शिशुओं पर एड्स की मार
भीलवाड़ा। जिले में बचपन भी एड्स के साये में आ चुका है। अब तक जिले में 0 से 14 साल के करीब ढाई हजार मरीज सामने आए हैं, जो एआरटी की दवा ले रहे हैं। जिन बच्चों की मां एचआईवी ग्रस्त हैं, ऎसे बच्चों में एचआईवी संक्रमण की संभावना अधिक रहती है।
ये है खतरनाक
यदि महिला गर्भ के दौरान एचआईवी से ग्रस्त है, तो बच्चों में संक्रमण फैल सकता है। इसके लिए मगिला को प्री एआरटी की दवा देना जरूरी है। यदि महिल प्री एआरटी की दवा लेती है, बच्चा संक्रमित हो सकता है। किसी भी एचआईवी संक्रमित के बच्चे के जन्म से यानी महिला के प्रसव से दो घंटे पहले नेवरापाइन की डोज देनी होती है, जबकि नवजात को 72 घंटे के अंतराल में यह दवा दी जाती है। -
भीलवाड़ा। जिले में बचपन भी एड्स के साये में आ चुका है। अब तक जिले में 0 से 14 साल के करीब ढाई हजार मरीज सामने आए हैं, जो एआरटी की दवा ले रहे हैं। जिन बच्चों की मां एचआईवी ग्रस्त हैं, ऎसे बच्चों में एचआईवी संक्रमण की संभावना अधिक रहती है।
ये है खतरनाक
यदि महिला गर्भ के दौरान एचआईवी से ग्रस्त है, तो बच्चों में संक्रमण फैल सकता है। इसके लिए मगिला को प्री एआरटी की दवा देना जरूरी है। यदि महिल प्री एआरटी की दवा लेती है, बच्चा संक्रमित हो सकता है। किसी भी एचआईवी संक्रमित के बच्चे के जन्म से यानी महिला के प्रसव से दो घंटे पहले नेवरापाइन की डोज देनी होती है, जबकि नवजात को 72 घंटे के अंतराल में यह दवा दी जाती है। -
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