जोबनेर। दिल्ली-अजमेर सुपरफास्ट शताब्दी एक्सप्रेस का पहिया टूटने से सोमवार को बड़ा हादसा टल गया।
प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि समय पर ट्रेन को नहीं रोका जाता तो ट्रेन पलट सकती थी। शताब्दी सुबह 11.35 बजे बोबास रेलवे स्टेशन से गुजर रही थी।
उसी समय स्टेशन मास्टर रामअवतार को बोगी के पहिए से धुआं निकलता दिखा। वह कुछ करते इससे पहले ही ट्रेन स्टेशन से गुजर गई।
सहायक स्टेशन मास्टर ने तुरंत अगले स्टेशन आसलपुर के रेलवे अधीक्षक कालूराम मीणा को सूचना दी। कालूराम ने ट्रेन को रोका। जांच की तो एक बोगी का पहिया आधा टूटा मिला। इसकी सूचना जयपुर दी गई और लगभग दो घंटे स्टेशन पर खड़ी रही।
जिस बोगी का पहिया टूटा हुआ था, उसे अलग किया गया और ट्रेन को दूसरी लाइन पर ले जाकर रवाना किया। इस दौरान यात्रियों में अफ रा-तफ री मच गई।
नजर नहीं पड़ी
शताब्दी जैसी ट्रेन का आधा पहिया टूटा था उसके बावजूद वह 30 किलोमीटर दूर आसलपुर स्टेशन तक पहुंच गई। रेलवे के किसी कर्मचारी की नजर उस पर नहीं पड़ी। -
प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि समय पर ट्रेन को नहीं रोका जाता तो ट्रेन पलट सकती थी। शताब्दी सुबह 11.35 बजे बोबास रेलवे स्टेशन से गुजर रही थी।
उसी समय स्टेशन मास्टर रामअवतार को बोगी के पहिए से धुआं निकलता दिखा। वह कुछ करते इससे पहले ही ट्रेन स्टेशन से गुजर गई।
सहायक स्टेशन मास्टर ने तुरंत अगले स्टेशन आसलपुर के रेलवे अधीक्षक कालूराम मीणा को सूचना दी। कालूराम ने ट्रेन को रोका। जांच की तो एक बोगी का पहिया आधा टूटा मिला। इसकी सूचना जयपुर दी गई और लगभग दो घंटे स्टेशन पर खड़ी रही।
जिस बोगी का पहिया टूटा हुआ था, उसे अलग किया गया और ट्रेन को दूसरी लाइन पर ले जाकर रवाना किया। इस दौरान यात्रियों में अफ रा-तफ री मच गई।
नजर नहीं पड़ी
शताब्दी जैसी ट्रेन का आधा पहिया टूटा था उसके बावजूद वह 30 किलोमीटर दूर आसलपुर स्टेशन तक पहुंच गई। रेलवे के किसी कर्मचारी की नजर उस पर नहीं पड़ी। -
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