जयपुर। निकाय चुनाव के दौरान इस बार नाबालिग बच्चों से चुनावी रैलियों में प्रचार, झंडे-बैनर उठवाना या चुनाव सम्बन्धी कोई भी काम कराना सम्बन्घित प्रत्याशी और राजनीतिक दल के लिए भारी पड़ सकता है।
चुनाव आयोग बच्चों से काम कराने वाले प्रत्याशी और राजनीतिक दल के खिलाफ बाल श्रम कानून और किशोर न्याय अधिनियम के तहत कार्रवाई करेगा।
जिला निर्वाचन अधिकारी और कलक्टर कृष्ण कुणाल ने सभी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को पत्र भेज कर इसकी हिदायत दी है।
पत्र में भारत निर्वाचन आयोग और बालश्रम के बारे में बम्बई हाईकोर्ट के आदेशों का हवाला देते हुए कहा गया है कि राजनीतिक दलों के नेता यह सुनिश्चित करें कि चुनाव प्रक्रिया के दौरान ऎसे किसी भी कार्य में बच्चों को नहीं लगाया जाए।
जिला निर्वाचन अधिकारी से सवाल
ऎसे मामलों में क्या कार्रवाई करेंगे ?
चुनाव कार्य में बच्चों से काम लेने पर बालश्रम कानून व किशोर न्याय अधिनियम के तहत कार्रवाई हो सकती है। छह साल तक सजा का प्रावधान है।
बच्चों से कैसे काम नहीं कराए जा सकते?
प्रचार सामग्री बंटवाना, तम्बू-कुर्सियां लगवाना या अन्य कोई चुनाव सम्बन्धी कार्य नहीं कराया जा सकता। राजनीतिक दल प्रतिनिधियों के साथ बैठक में भी यह नियम समझा दिए हैं।
चुनाव आयोग बच्चों से काम कराने वाले प्रत्याशी और राजनीतिक दल के खिलाफ बाल श्रम कानून और किशोर न्याय अधिनियम के तहत कार्रवाई करेगा।
जिला निर्वाचन अधिकारी और कलक्टर कृष्ण कुणाल ने सभी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को पत्र भेज कर इसकी हिदायत दी है।
पत्र में भारत निर्वाचन आयोग और बालश्रम के बारे में बम्बई हाईकोर्ट के आदेशों का हवाला देते हुए कहा गया है कि राजनीतिक दलों के नेता यह सुनिश्चित करें कि चुनाव प्रक्रिया के दौरान ऎसे किसी भी कार्य में बच्चों को नहीं लगाया जाए।
जिला निर्वाचन अधिकारी से सवाल
ऎसे मामलों में क्या कार्रवाई करेंगे ?
चुनाव कार्य में बच्चों से काम लेने पर बालश्रम कानून व किशोर न्याय अधिनियम के तहत कार्रवाई हो सकती है। छह साल तक सजा का प्रावधान है।
बच्चों से कैसे काम नहीं कराए जा सकते?
प्रचार सामग्री बंटवाना, तम्बू-कुर्सियां लगवाना या अन्य कोई चुनाव सम्बन्धी कार्य नहीं कराया जा सकता। राजनीतिक दल प्रतिनिधियों के साथ बैठक में भी यह नियम समझा दिए हैं।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें