जबलपुर। अब अब आपने कई तरह के बीमों के बारे में सुना होगा, लेकिन शायद ऎसे बीमा के बारे में नहीं, क्योंकि यह कोई इंसान या वस्तु का नहीं बल्कि भगवान का बीमा है। जी हां, मध्यप्रदेश के जबलपुर में कई ऎसे देवी मंदिर है जहां देवियों की प्रतिमाओं का भी बीमा कराया जाता है।
यहां के नगर सेठानियां सुनरहाई, नुनहाई वाली माता के नाम से प्रसिद्ध इन देवी प्रतिमाओं बीमा किया गया है। इसके अलावा नवरात्रों के मौके पर इनका करोड़ों रूपए के असली हीरे-जवाहरातों से श्ृंगार किया गया है। बुंदेलखंडी प्रतिमाएं दिखने में एक जैसी लगती हैं, किंतु इनके श्ृंगार में विविधता देखने को मिलती है। इन दोनों देवियों के श्रृंगार को लेकर अघोçष्ात प्रतियोगिता चलती है।
सुनरहाई माता ने इस बार पन्ना माइंस वाले दस हीरे जडित नथ पहनी है। इसके अलावा करीब तीन किलो सोने तथा पचास किलो से अधिक चांदी के हार, चूड़ी, पायल आदि दर्जनों गहनों से श्ृंगार किया है। इनके गहनों की कीमत 1.7 क रोड़ रूपए है वहीं बीमा 25 लाख रूपए का किया गया है।
मां नुनहाई बुंदेलखंडी संस्कृति को दर्शाती है। माता ने इस बार तीस नग हीरों से सुशोभित नथ-बैंदी पहनी है। इसके अलावा करीब सवा दो किलो सोना व तीस किलो से अधिक चांदी, मोती, माणिक, नीलम के आभूषण धारण किए हैं। 20 लाख का बीमा है वहीं गहनों की कीमत 1.3 करोड़ रूपए है।
ये हैं गहने-
दोनों ही प्रतिमाओं का श्ृंगार बुंदेलखंडी पारंपरिक आभूषणों से किया होता है। इनमें माता के गले में बिचोहरी, पांजणीं, मंगलसूत्र, झुमका, कनछड़ी, सीतारामी तीन, रामीहार दो, हीरे जडित नथ-बेंदी, गुलुबंध, मोतियों की माला दमकती है। हाथों में गजरागेंदा, बंगरी, दोहरी, ककना, अंगूठी, बाजूबंध शोभायमान होते हैं। कमर बंध, लच्छा एवं पैरों में पायजेब, तोड़ल, बिजौरीदार, पैजना, बिछिया और पायलें होती हैं। माता की तलवार, चक्र, छत्र, आरती की थाल भी चांदी की होती है। यही नहीं सेठानियों के शेर भी सोने का मुकुट, हार और चांदी की पायल व छत्र धारण करते हैं। साथ ही जवारों में चांदी के छत्र और विमानों को स्वर्ण व रजत पत्रों से सजाया जाता है, जो इस वर्ष भी तैयार हो चुका है।
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