मान्यता है की काल भैरव शिव शंभु का रुद्रावतार हैं। भैरव रूप की आराधना से जातक शत्रु से मुक्ति, संकट, कोर्ट-कचहरी के मुकदमों में विजय हासिल करता है। बहुत से समाज ऐसे हैं जहां यह कुल देवता के रूप में पूजे जाते हैं और इन्हें पूजने का प्रचलन भी भिन्न-भिन्न है, जो कि विधिवत न होकर स्थानीय परम्परा का हिस्सा है।
उपाय
1 रोज सुबह सूर्योदय से एक घंटा पहले उठें। नित्य कार्यों से निवृत होकर भैरव जी के दर्शन करने मंदिर जाएं और तेल का दीपक जलाएं। प्रतिदिन ऐसा करने से भैैरव बाबा से जो चाहें सो पाएं।
2 लोहबान, गूगल, कपूर, तुलसी, नीम, सरसों के पत्ते मिक्स करके सुबह-शाम घर में धूनी दें।
3 भैरू जी के मंदिर में इमरती व मदिरा का भोग लगाएं।
4 भैरू मंदिर में उड़द व सिद्ध एकाक्षी श्रीफल भैरू बाबा के समक्ष मन्नत मांग कर चढ़ाएं।
4 काले कुत्ते को इमरती खिलाएं व कच्चा दूध पिलाएं।
5 शुभ कामों में बार-बार बाधा आती हो या विलम्ब होता हो तो रविवार के दिन भैरों जी के मंदिर में सिंदूर का चोला चढ़ाएं और बटुक भैरव स्तोत्र का एक पाठ करें।
6 महाकाल भैरव मंदिर में चढ़ाए गए काले धागे को गले या बाजू में बांधने से भूत-प्रेत और जादू-टोने का असर नहीं होता।
7 रोली, सिन्दूर, रक्तचन्दन का चूर्ण, लाल फूल, गुड़, उड़द का बड़ा, धान का लावा, ईख का रस, तिल का तेल, लोहबान, लाल वस्त्र, भुना केला, सरसों का तेल भैरव जी की प्रिय वस्तुएं हैं। इन्हें भैरव जी पर अर्पित करने से मुंह मांगा फल प्राप्त किया जा सकता है।
8 प्रतिदिन भैरव मंदिर की आठ बार प्रदक्षिणा करने से पापों का नाश होता है।
9 भगवान भैरव का वाहन कुत्ता है इसलिए इस दिन कुत्ते की भी पूजा की जाती है। कहते हैं कि अगर कुत्ता काले रंग का हो तो पूजा का माहात्म्य और बढ़ जाता है। कुछ भक्त तो उसे प्रसन्न करने के लिए दूध पिलाते हैं और मिठाई खिलाते हैं।
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