सूर्य अर्घ्य मन्त्रः एहि सूर्य सहस्त्रांशो तेजोराशे जगत्पते ।
अनुकम्पय मां देवी गृहाणार्घ्यं दिवाकर ।।
हिन्दू धर्म के पंचदेवों में से प्रमुख देवता सूर्यदेव ही है । सूर्य देव को वेदों में जगत की आत्मा कहा गया है । यह सत्य है कि सूर्य से ही इस पृथ्वी पर जीवन है । सूर्य देव को सर्व प्रेरक, सर्व प्रकाशक,सर्व प्रवर्तक ,सर्व कल्याणकारी माना गया है।
यजुर्वेद ने "चक्षो सूर्यो जायत" कह कर सूर्य को भगवान का नेत्र माना है। हर रोज सूर्य उपासना करके मनुष्य हर सांसारिक सुख को पूरा कर सकता है। रविवार को भगवान सूर्यदेव का दिन माना जाता है और सूर्य देव जी की उपासना के लिए यह दिन बड़ा शुभ माना गया है। सूर्य देव जी को अर्घ्य देते समय इस मंत्र का जाप करना चाहिए। सूर्य देव जी ज्ञान, सुख, स्वास्थ्य, पद, सफलता, प्रसिद्धि के साथ-साथ सभी आकांक्षाओं को पूरा करते है।
अनुकम्पय मां देवी गृहाणार्घ्यं दिवाकर ।।
हिन्दू धर्म के पंचदेवों में से प्रमुख देवता सूर्यदेव ही है । सूर्य देव को वेदों में जगत की आत्मा कहा गया है । यह सत्य है कि सूर्य से ही इस पृथ्वी पर जीवन है । सूर्य देव को सर्व प्रेरक, सर्व प्रकाशक,सर्व प्रवर्तक ,सर्व कल्याणकारी माना गया है।
यजुर्वेद ने "चक्षो सूर्यो जायत" कह कर सूर्य को भगवान का नेत्र माना है। हर रोज सूर्य उपासना करके मनुष्य हर सांसारिक सुख को पूरा कर सकता है। रविवार को भगवान सूर्यदेव का दिन माना जाता है और सूर्य देव जी की उपासना के लिए यह दिन बड़ा शुभ माना गया है। सूर्य देव जी को अर्घ्य देते समय इस मंत्र का जाप करना चाहिए। सूर्य देव जी ज्ञान, सुख, स्वास्थ्य, पद, सफलता, प्रसिद्धि के साथ-साथ सभी आकांक्षाओं को पूरा करते है।
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