जयपुर। पिछली सरकार के कार्यकाल में हुई 82 हजार भर्तियों को लेकर सरकार लाचार नजर आ रही है, यही कारण है कि सुप्रीम कोर्ट में चल रहा केस राज्य सरकार को बिना किसी शर्त वापस लेने का निर्णय करना पड़ रहा है।
अगर ऎसा होता है तो करीब साढ़े 13 हजार शिक्षक और 2500 अन्य कार्मिकों को राज्य सेवा से बाहर किया जाएगा।
केबिनेट सब कमेटी की ओर से किए गए निर्णय के लिए एसीएस श्याम एस अग्रवाल को अधिकृत किया है। इस निर्णय की पत्रावली मुख्य सचिव कार्यालय ने मुख्यमंत्री के पास भेज दी है।
अगर ऎसा होता है तो करीब साढ़े 13 हजार शिक्षक और 2500 अन्य कार्मिकों को राज्य सेवा से बाहर किया जाएगा।
केबिनेट सब कमेटी की ओर से किए गए निर्णय के लिए एसीएस श्याम एस अग्रवाल को अधिकृत किया है। इस निर्णय की पत्रावली मुख्य सचिव कार्यालय ने मुख्यमंत्री के पास भेज दी है।
अब तक यह हुआ भर्ती में
राज्य सरकार ने 2012-13 में करीब 82,366 भर्तियां की थीं। इसमें विभागों में पहले से अस्थायी काम कर रहे लोगों को प्रतिवर्ष 10, 20, 30 तक बोनस अंक दे दिए। इसके विरोध में कुछ अभ्यर्थियों ने हाईकोर्ट में अपील कर दी।
कोर्ट ने बोनस अंकों की सीमा अधिकतम 15 तय कर दी। वहीं शिक्षक भर्ती में हाइकोर्ट ने आरटेट में न्यूनतम उत्तीर्णाकों में छूट को गलत ठहराया। इस फैसले के आने तक करीब 45,107 अभ्यर्थी नौकरी ज्वाइन कर चुके थे और 37,259 अभ्यर्थी नौकरी ज्वाइन नहीं कर सके। इसी बीच, सरकार हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सरकार सुप्रीम कोर्ट चली गई।
इसलिए निर्णय
विधानसभा में ऎलान के बाद राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से केस इस शर्त के साथ वापस लेने की तैयारी की कि जो नौकरी पा चुके
हैं, उन्हें राज्य सेवा में रहने दिया जाए और शेष बचे लोगों को हाईकोर्ट के निर्देशों के पालन में परिणाम जारी कर नौकरी दी जाएगी लेकिन सुप्रीम कोर्ट प्रशासन की ओर से बिना शर्त ही केस वापस लेने के प्रावधान की जानकारी दी गई तो केबिनेट सब कमेटी को यह निर्णय करना पड़ा।
पेचीदा होगा प्रकरण
केस बिना शर्त वापस लेने की स्थिति में सरकार को हाईकोर्ट के आदेश का पालन करना होगा। इससे परिणाम संशोधित होंगे और भर्ती हो चुके करीब 37 हजार शिक्षकों में से साढ़े 13 हजार बाहर हो जाएंगे। अन्य नौकरी पा चुके कार्मिकों में से भी करीब 2500 को बाहर निकालना पड़ेगा। नौकरी से बाहर करने पर ये लोग कोर्ट जाएंगे। ऎसे में यह प्रकरण और पेचीदा बनेगा।
नहीं बनी बात
भर्ती प्रक्रिया के समाधान के लिए एसीएस की अध्यक्षता में गठित कमेटी ने राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिवक्ता सोली सोराबजी से भी राय ली थी।
राज्य के महाधिवक्ता नरपतमल लोढ़ा ने भी सुप्रीम कोर्ट से सशर्त केस वापस लेने के नियम नहीं होने के बारे में कमेटी को राय दी थी, लेकिन अधिकारियों की हठधर्मिता के चलते सशर्त केस वापस लेने के लिए मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से अनुमति ले ली गई।
जब इसमें सफलता नहीं मिली तो पंचायत राज मंत्री गुलाबचन्द कटारिया वाली केबिनेट सब कमेटी को अब बिना किसी शर्त के केस वापस लेने की छूट देने का निर्णय करना पड़ा। उधर, केस वापस लेने को लेकर बनने वाली स्थिति को लेकर फिलहाल सरकार की कोई तैयारी नजर नहीं आ रही।
इन पदों पर लटक रही तलवार
कनिष्ठ लिपिक 17,909
कनिष्ठ अभियंता 2,186
अकाउन्टेंट असिस्टेंट-1,870
कम्प्यूटर अनुदेशक-460
सहायक कार्यक्रम अधिकारी-249
कोर्डिनेटर (ट्रेनिंग)-54
कोर्डिनेटर सुपरविजन-50
कोर्डिनेटर (आईईसी)-44 -
राज्य सरकार ने 2012-13 में करीब 82,366 भर्तियां की थीं। इसमें विभागों में पहले से अस्थायी काम कर रहे लोगों को प्रतिवर्ष 10, 20, 30 तक बोनस अंक दे दिए। इसके विरोध में कुछ अभ्यर्थियों ने हाईकोर्ट में अपील कर दी।
कोर्ट ने बोनस अंकों की सीमा अधिकतम 15 तय कर दी। वहीं शिक्षक भर्ती में हाइकोर्ट ने आरटेट में न्यूनतम उत्तीर्णाकों में छूट को गलत ठहराया। इस फैसले के आने तक करीब 45,107 अभ्यर्थी नौकरी ज्वाइन कर चुके थे और 37,259 अभ्यर्थी नौकरी ज्वाइन नहीं कर सके। इसी बीच, सरकार हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सरकार सुप्रीम कोर्ट चली गई।
इसलिए निर्णय
विधानसभा में ऎलान के बाद राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से केस इस शर्त के साथ वापस लेने की तैयारी की कि जो नौकरी पा चुके
हैं, उन्हें राज्य सेवा में रहने दिया जाए और शेष बचे लोगों को हाईकोर्ट के निर्देशों के पालन में परिणाम जारी कर नौकरी दी जाएगी लेकिन सुप्रीम कोर्ट प्रशासन की ओर से बिना शर्त ही केस वापस लेने के प्रावधान की जानकारी दी गई तो केबिनेट सब कमेटी को यह निर्णय करना पड़ा।
पेचीदा होगा प्रकरण
केस बिना शर्त वापस लेने की स्थिति में सरकार को हाईकोर्ट के आदेश का पालन करना होगा। इससे परिणाम संशोधित होंगे और भर्ती हो चुके करीब 37 हजार शिक्षकों में से साढ़े 13 हजार बाहर हो जाएंगे। अन्य नौकरी पा चुके कार्मिकों में से भी करीब 2500 को बाहर निकालना पड़ेगा। नौकरी से बाहर करने पर ये लोग कोर्ट जाएंगे। ऎसे में यह प्रकरण और पेचीदा बनेगा।
नहीं बनी बात
भर्ती प्रक्रिया के समाधान के लिए एसीएस की अध्यक्षता में गठित कमेटी ने राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिवक्ता सोली सोराबजी से भी राय ली थी।
राज्य के महाधिवक्ता नरपतमल लोढ़ा ने भी सुप्रीम कोर्ट से सशर्त केस वापस लेने के नियम नहीं होने के बारे में कमेटी को राय दी थी, लेकिन अधिकारियों की हठधर्मिता के चलते सशर्त केस वापस लेने के लिए मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से अनुमति ले ली गई।
जब इसमें सफलता नहीं मिली तो पंचायत राज मंत्री गुलाबचन्द कटारिया वाली केबिनेट सब कमेटी को अब बिना किसी शर्त के केस वापस लेने की छूट देने का निर्णय करना पड़ा। उधर, केस वापस लेने को लेकर बनने वाली स्थिति को लेकर फिलहाल सरकार की कोई तैयारी नजर नहीं आ रही।
इन पदों पर लटक रही तलवार
कनिष्ठ लिपिक 17,909
कनिष्ठ अभियंता 2,186
अकाउन्टेंट असिस्टेंट-1,870
कम्प्यूटर अनुदेशक-460
सहायक कार्यक्रम अधिकारी-249
कोर्डिनेटर (ट्रेनिंग)-54
कोर्डिनेटर सुपरविजन-50
कोर्डिनेटर (आईईसी)-44 -
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