नई दिल्ली। श्रीलंका के रक्षा मंत्रालय ने अपनी वेबसाइट पर पीएम नरेंद्र मोदी और तमलिनाडु की सीएम जे जयललिता की आपत्तिजनक तस्वीर प्रकाशित होने पर माफी मांगी है।
मंत्रालय ने कहा है कि "हाऊ मिनिंगफुल आर जयललिता लव लेटर्स टू नरेन्द्र मोदी" शीर्षक वाला लेख उचित आज्ञा लेकर प्रकाशित नहीं किया गया था। उस लेख में श्रीलंका सरकार और श्रीलंकाई रक्षा एवं नगर विकास मंत्रालय का कोई आधिकारिक विचार नहीं था। उस लेख को तत्काल हटा दिया गया है।
मंत्रालय ने कहा है कि वे इस भूल के लिए माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और तमिलनाडु की सीएम जयललिता से माफी मांगते हैं।
गौरतलब है कि श्रीलंका सरकार के रक्षा और शहरी विकास मंत्रालय की आधिकारिक वेबसाइट पर डाले गए उस लेख को शेनाली डी वाउज ने लिखा था।
इस पर था विवाद
इस लेख में लिखा गया था कि अन्तर्राष्ट्रीय समुद्री सीमा रेखा (आईएमबीएल) वर्ष 1974 में निर्धारित की गई थी और वर्ष 1976 में भारत और श्रीलंका के बीच द्विपक्षीय समझौता हुआ था।
लेख में कहा गया था कि तमिलाडु की मुख्यमंत्री इसे लेकर हो हल्ला मचा सकती हैं लेकिन वह दो देशों के बीच हुए इस समझौते की वैधता को नहीं बदल सकती हैं।
इस लेख के साथ ही एक तस्वीर छपी थी, जिसमें जयललिता एक पत्र लिख रही हैं और पीएम मोदी को एक दिल की आकृति में दिखाया गया था जैसे मानो वह जयललिता के ख्यालों में आ रहे हों।
राजग के सहयोगी पीएमके ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई, वहीं एमडीएमके नेता वाइको ने केंद्र सरकार से अपील की कि तत्काल श्रीलंका से सभी संबंध खत्म कर देने चाहिए।
इस मामले पर गर्म होती राजनीति को देखकर श्रीलंकाई मंत्रालय ने वह तस्वीर हटा ली।
मंत्रालय ने कहा है कि "हाऊ मिनिंगफुल आर जयललिता लव लेटर्स टू नरेन्द्र मोदी" शीर्षक वाला लेख उचित आज्ञा लेकर प्रकाशित नहीं किया गया था। उस लेख में श्रीलंका सरकार और श्रीलंकाई रक्षा एवं नगर विकास मंत्रालय का कोई आधिकारिक विचार नहीं था। उस लेख को तत्काल हटा दिया गया है।
मंत्रालय ने कहा है कि वे इस भूल के लिए माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और तमिलनाडु की सीएम जयललिता से माफी मांगते हैं।
गौरतलब है कि श्रीलंका सरकार के रक्षा और शहरी विकास मंत्रालय की आधिकारिक वेबसाइट पर डाले गए उस लेख को शेनाली डी वाउज ने लिखा था।
इस पर था विवाद
इस लेख में लिखा गया था कि अन्तर्राष्ट्रीय समुद्री सीमा रेखा (आईएमबीएल) वर्ष 1974 में निर्धारित की गई थी और वर्ष 1976 में भारत और श्रीलंका के बीच द्विपक्षीय समझौता हुआ था।
लेख में कहा गया था कि तमिलाडु की मुख्यमंत्री इसे लेकर हो हल्ला मचा सकती हैं लेकिन वह दो देशों के बीच हुए इस समझौते की वैधता को नहीं बदल सकती हैं।
इस लेख के साथ ही एक तस्वीर छपी थी, जिसमें जयललिता एक पत्र लिख रही हैं और पीएम मोदी को एक दिल की आकृति में दिखाया गया था जैसे मानो वह जयललिता के ख्यालों में आ रहे हों।
राजग के सहयोगी पीएमके ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई, वहीं एमडीएमके नेता वाइको ने केंद्र सरकार से अपील की कि तत्काल श्रीलंका से सभी संबंध खत्म कर देने चाहिए।
इस मामले पर गर्म होती राजनीति को देखकर श्रीलंकाई मंत्रालय ने वह तस्वीर हटा ली।
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