मुंबई। महाराष्ट्र कैबिनेट ने डांस बार प्रतिबंध अधिनियम की उन कानूनी खामियों को दूर करने के लिए उसमें संशोधन संबंधी मसौदा विधेयक को आज मंजूरी दे दी, जिनके आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने डांस बार पर रोक संबंधी वर्ष 2005 के सरकारी आदेश को खारिज कर दिया था।
इस विधेयक को कैबिनेट की मंजूरी मिलने के बाद मुंबई एवं महाराष्ट्र के अन्य हिस्सों में डांस बारों पर पाबंदी जारी रहेगी और अब इसके दायरे में तीन-सितारा एवं पांच सितारा होटल भी आएंगे।
सरकार का यह कदम उन हजारों बार बालाओं और डांस बार से जुड़े अन्य लोगों के लिए झटके की तरह है जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद फिर अपनी जीविका प्राप्त करने की आस लगाई थी।
सरकारी सूत्रों ने बताया कि संशोधन के अनुसार तीन सितारा और पांच सितारा होटलों में भी डांस पर प्रतिबंध रहेगा।
राज्य के गृह विभाग ने अधिनियम की धारा 31 और 32 में संशोधन का प्रस्ताव रखा था जिसके आधार पर यह निर्णय लिया गया।
वर्ष 2005 में राज्य में बार में डांस पर रोक लगा दी गयी थी लेकिन तीन सितारा और पांच सितारा होटलों को इस कानून के दायरे से बाहर रखा गया था। पिछले साल जुलाई में जब इस प्रतिबंध को सुपईीम कोर्ट में चुनौती दी गयी तब सरकार इस भेदभाव का बचाव नहीं कर पायी। सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी आदेश को खारिज कर दिया।
अब संशोधन विधेयक विधानसभा के वर्तमान सत्र में पेश किया जा सकता है।
इस विधेयक को कैबिनेट की मंजूरी मिलने के बाद मुंबई एवं महाराष्ट्र के अन्य हिस्सों में डांस बारों पर पाबंदी जारी रहेगी और अब इसके दायरे में तीन-सितारा एवं पांच सितारा होटल भी आएंगे।
सरकार का यह कदम उन हजारों बार बालाओं और डांस बार से जुड़े अन्य लोगों के लिए झटके की तरह है जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद फिर अपनी जीविका प्राप्त करने की आस लगाई थी।
सरकारी सूत्रों ने बताया कि संशोधन के अनुसार तीन सितारा और पांच सितारा होटलों में भी डांस पर प्रतिबंध रहेगा।
राज्य के गृह विभाग ने अधिनियम की धारा 31 और 32 में संशोधन का प्रस्ताव रखा था जिसके आधार पर यह निर्णय लिया गया।
वर्ष 2005 में राज्य में बार में डांस पर रोक लगा दी गयी थी लेकिन तीन सितारा और पांच सितारा होटलों को इस कानून के दायरे से बाहर रखा गया था। पिछले साल जुलाई में जब इस प्रतिबंध को सुपईीम कोर्ट में चुनौती दी गयी तब सरकार इस भेदभाव का बचाव नहीं कर पायी। सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी आदेश को खारिज कर दिया।
अब संशोधन विधेयक विधानसभा के वर्तमान सत्र में पेश किया जा सकता है।
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