जैसलमेर।कलात्मक सुंदरता के बूते विश्वस्तरीय ख्याति अर्जित कर चुका ऎतिहासिक गड़ीसर तालाब इन दिनो उपेक्षा का दंश झेल रहा है। जैसलमेर स्थित गड़ीसर तालाब की बंगलियां, घाट और छतरियों की सीढियां व पटि्टयां अपनी बदहाली पर आंसू बहा रही हैं। इसके अलावा गड़ीसर में बनी विभिन्न बगेचियों में बनी कलात्मक छतरियों के छज्ो व दीवारें ढहने की स्थिति में पहुंच रही हैं। तालाब पर बने विभिन्न घाटों की सीढियां भी टूट कर अलग हो गई है।
गौरतलब है कि तालाब की सफाई, झाडियो की कटाई व क्षतिग्रस्त बंगलियो व घाटो के सुध लेने का यही सही समय है। बारिश के मौसम के पूर्व इस ओर ध्यान देने के साथ क्रियात्मक प्रयास की भी जरूरत है, लेकिन यह निराशाजनक है कि पर्यटन स्थलो के सौंदर्यीकरण के लिहाज से इस ओर अभी तक किसी का ध्यान नहीं गया है। इन दिनाें गर्मी का मौसम चल रहा है। भीषण गर्मी के कारण पानी सूखने से तालाब का पैंदा अब नजर आने लगा है। चंद दिनो बाद पर्यटन सीजन का एक बार फिर आगाज होगा, लेकिन गड़ीसर की सुध लेने की किसी को याद नहीं आई है।
गंदगी का राज
पहले जहां गड़ीसर की कलात्मक छतरियों के साथ यहां की सफाई व स्वच्छता के उदहारण दिए जाते थे, वहीं अब इस ऎतिहासिक सरोवर पर गंदगी व अव्यवस्था का राज है। यहां के घाटों व बरामदों में गंदगी और शराब की खाली बोतले व उगी घास तालाब की सुन्दरता पर ग्रहण साबित हो रही हैं।
सैलानियों में मायूसी
जैसलमेर के गड़ीसर तालाब की कलात्मक छतरियों को निहारने विदेशों से हर साल हजारों सैलानी पहुंचते हैं, लेकिन यहां फैली गंदगी और दुर्दशा का शिकार बंगलियों को देखकर वे मायूस नजर आते हैं।
संरक्षण की दरकार
जैसलमेर के गड़ीसर तालाब पर बनी बंगलियों व छतरियों को समय रहते संरक्षित करने की दरकार है। संरक्षण के अभाव में आने वाले समय में यहां की कलात्मक बंगलियां व छतरियां इतिहास के पन्नों में दफन हो, इससे पहले इनका अस्तित्व बचाने का प्रयास करने की जरूरत है। -
गौरतलब है कि तालाब की सफाई, झाडियो की कटाई व क्षतिग्रस्त बंगलियो व घाटो के सुध लेने का यही सही समय है। बारिश के मौसम के पूर्व इस ओर ध्यान देने के साथ क्रियात्मक प्रयास की भी जरूरत है, लेकिन यह निराशाजनक है कि पर्यटन स्थलो के सौंदर्यीकरण के लिहाज से इस ओर अभी तक किसी का ध्यान नहीं गया है। इन दिनाें गर्मी का मौसम चल रहा है। भीषण गर्मी के कारण पानी सूखने से तालाब का पैंदा अब नजर आने लगा है। चंद दिनो बाद पर्यटन सीजन का एक बार फिर आगाज होगा, लेकिन गड़ीसर की सुध लेने की किसी को याद नहीं आई है।
गंदगी का राज
पहले जहां गड़ीसर की कलात्मक छतरियों के साथ यहां की सफाई व स्वच्छता के उदहारण दिए जाते थे, वहीं अब इस ऎतिहासिक सरोवर पर गंदगी व अव्यवस्था का राज है। यहां के घाटों व बरामदों में गंदगी और शराब की खाली बोतले व उगी घास तालाब की सुन्दरता पर ग्रहण साबित हो रही हैं।
सैलानियों में मायूसी
जैसलमेर के गड़ीसर तालाब की कलात्मक छतरियों को निहारने विदेशों से हर साल हजारों सैलानी पहुंचते हैं, लेकिन यहां फैली गंदगी और दुर्दशा का शिकार बंगलियों को देखकर वे मायूस नजर आते हैं।
संरक्षण की दरकार
जैसलमेर के गड़ीसर तालाब पर बनी बंगलियों व छतरियों को समय रहते संरक्षित करने की दरकार है। संरक्षण के अभाव में आने वाले समय में यहां की कलात्मक बंगलियां व छतरियां इतिहास के पन्नों में दफन हो, इससे पहले इनका अस्तित्व बचाने का प्रयास करने की जरूरत है। -
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