मजान के चांद का निष्कर्ष निकालने के लिए हिलाल कमेटी राजस्थान की बैठक शनिवार शाम 7:30 बजे होगी। शनिवार को चांद दिखाई दिया तो रमजान का पहला रोजा 29 जून को होगा।
इस्लाम धर्म के पवित्र माह रमजान की तैयारियां इन दिनों मुस्लिम समाज ने शुरू कर दी है। रमजान माह में इबादतों का दौर कुछ अधिक ही बढ़ जाता है। इबादतगाहों (मस्जिदों) की रंगाई पुताई का काम तेजी से चल रहा है।
दिल्ली के जामा मस्जिद के शाही इमाम अहमद बुखारी ने बताया कि, 28 जून को चांद दिखाई देने पर इसी दिन से रमजान माह शुरू हो जाएगा और पहला रोजा 29 जून को रखा जाएगा। चांद दिखाई नहीं देने पर पहला रोजा 30 जून का होगा।
रमजान माह में मुस्लिम समाज एक माह के रोजे रखते हैं। रोजे रखने के साथ-साथ इबादतों में भी इजाफा हो जाता है। ऎसी मान्यता है कि इस माह में कुरआन को लोहे महफूज से जमीन पर उतारा गया था इसलिए इस माह कुरआन पढ़ने का भी सवाब बढ़ जाता है।
घरों और मस्जिदों में दिन रात कुरआन की तिलावत होती है। वैसे तो मुस्लिम समाज के लोग पांच वक्त की नमाज पूरे साल अदा करते हैं लेकिन रमजान माह में विशेष नमाज (तराबीह) भी अदा की जाती है।
इस नमाज को कुरआन हाफिज अदा कराते हैं। रात में पढ़ी जाने वाली इस नमाज का बड़ा महत्व है।
अहमद बुखारी ने मुस्लिम समाज से अपील की है कि वो रमजान के माह में रोजे रखने के साथ-साथ खूब इबादत करें। इस माह में जितना हो सके टीवी, सिनेमा व अन्य मनोरंजन के साधन से बचें। उनके स्थान पर जब भी वक्त मिले कुरआन की तिलाबत करें। ये माह बड़ा मुबारक माह है। इस एक माह में जिदंगी भर के गुनाहों की माफी हो सकती है। -
इस्लाम धर्म के पवित्र माह रमजान की तैयारियां इन दिनों मुस्लिम समाज ने शुरू कर दी है। रमजान माह में इबादतों का दौर कुछ अधिक ही बढ़ जाता है। इबादतगाहों (मस्जिदों) की रंगाई पुताई का काम तेजी से चल रहा है।
दिल्ली के जामा मस्जिद के शाही इमाम अहमद बुखारी ने बताया कि, 28 जून को चांद दिखाई देने पर इसी दिन से रमजान माह शुरू हो जाएगा और पहला रोजा 29 जून को रखा जाएगा। चांद दिखाई नहीं देने पर पहला रोजा 30 जून का होगा।
रमजान माह में मुस्लिम समाज एक माह के रोजे रखते हैं। रोजे रखने के साथ-साथ इबादतों में भी इजाफा हो जाता है। ऎसी मान्यता है कि इस माह में कुरआन को लोहे महफूज से जमीन पर उतारा गया था इसलिए इस माह कुरआन पढ़ने का भी सवाब बढ़ जाता है।
घरों और मस्जिदों में दिन रात कुरआन की तिलावत होती है। वैसे तो मुस्लिम समाज के लोग पांच वक्त की नमाज पूरे साल अदा करते हैं लेकिन रमजान माह में विशेष नमाज (तराबीह) भी अदा की जाती है।
इस नमाज को कुरआन हाफिज अदा कराते हैं। रात में पढ़ी जाने वाली इस नमाज का बड़ा महत्व है।
अहमद बुखारी ने मुस्लिम समाज से अपील की है कि वो रमजान के माह में रोजे रखने के साथ-साथ खूब इबादत करें। इस माह में जितना हो सके टीवी, सिनेमा व अन्य मनोरंजन के साधन से बचें। उनके स्थान पर जब भी वक्त मिले कुरआन की तिलाबत करें। ये माह बड़ा मुबारक माह है। इस एक माह में जिदंगी भर के गुनाहों की माफी हो सकती है। -
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