नई दिल्ली। सुप्रीमकोर्ट ने राजस्थान सरकार के करोड़ों रूपए का बकाया टैक्स देने में आनाकानी करने को लेकर सीमेंट निर्माता कंपनी बिनानी सीमेंट को शुक्रवार को आड़े हाथों लिया।
न्यायाधीश विक्रमजीत सेन और न्यायाधीश शिवकीर्ति सिंह की अवकाशकालीन खंडपीठ ने कहा कि आप अमिताभ बच्चन से विज्ञापन कराने केलिए करोड़ों रूपए खर्च करते हैं, लेकिन राज्य सरकार का बकाया कर देने के लिए आपके पास पैसे नहीं हैं। खंडपीठ ने इस मामले में सीमेंट कंपनी के खिलाफ राज्य सरकार की कार्रवाई को वाजिब ठहराते हुए इस पर रोक लगाने से इन्कार कर दिया।
न्यायाधीश सेन ने कहा कि अमिताभ बच्चन को एक बार विज्ञापन में शामिल करने पर आप कितनी रकम खर्च करते हैं। इसके लिए आप करोड़ों रूपए खर्च कर सकते हैं, लेकिन राज्य सरकार का बकाया कर देने के लिए आपके पास पैसा नहीं है। न्यायालय ने कहा कि ऎसी स्थिति में यदि राज्य सरकार कार्रवाई नहीं करेगी तो उसके पास और क्या उपाय है।
सीमेंट कंपनी ने 1 अरब 54 करोड़ रूपए के कर बकाये की वसूली के लिए भुगतान का तरीका बदलने का राज्य सरकार से आग्रह किया था, लेकिन सरकार ने इसे इनकार कर दिया। बाद में कंपनी ने राजस्थान उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया, लेकिन वहां से भी उसे राहत नहीं मिली थी। तत्पश्चात उसने शीर्ष अदालत का रूख किया था।
न्यायालय ने कहा कि यदि औद्योगिक कंपनियां सरकार को टैक्स नहीं देंगी तो सरकार कैसे चलेगी। औद्योगिक कंपनियों की जिम्मेदारी केवल रोजगार सृजन करना ही नहीं, बल्कि कर देकर सरकार चलाने में सहयोग करना भी है।
कोर्ट के इस रूख के बाद राजस्थान सरकार को उम्मीदर बंधी है कि उसे इतनी बड़ी बकाया रकम अब मिल सकती है। -
न्यायाधीश विक्रमजीत सेन और न्यायाधीश शिवकीर्ति सिंह की अवकाशकालीन खंडपीठ ने कहा कि आप अमिताभ बच्चन से विज्ञापन कराने केलिए करोड़ों रूपए खर्च करते हैं, लेकिन राज्य सरकार का बकाया कर देने के लिए आपके पास पैसे नहीं हैं। खंडपीठ ने इस मामले में सीमेंट कंपनी के खिलाफ राज्य सरकार की कार्रवाई को वाजिब ठहराते हुए इस पर रोक लगाने से इन्कार कर दिया।
न्यायाधीश सेन ने कहा कि अमिताभ बच्चन को एक बार विज्ञापन में शामिल करने पर आप कितनी रकम खर्च करते हैं। इसके लिए आप करोड़ों रूपए खर्च कर सकते हैं, लेकिन राज्य सरकार का बकाया कर देने के लिए आपके पास पैसा नहीं है। न्यायालय ने कहा कि ऎसी स्थिति में यदि राज्य सरकार कार्रवाई नहीं करेगी तो उसके पास और क्या उपाय है।
सीमेंट कंपनी ने 1 अरब 54 करोड़ रूपए के कर बकाये की वसूली के लिए भुगतान का तरीका बदलने का राज्य सरकार से आग्रह किया था, लेकिन सरकार ने इसे इनकार कर दिया। बाद में कंपनी ने राजस्थान उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया, लेकिन वहां से भी उसे राहत नहीं मिली थी। तत्पश्चात उसने शीर्ष अदालत का रूख किया था।
न्यायालय ने कहा कि यदि औद्योगिक कंपनियां सरकार को टैक्स नहीं देंगी तो सरकार कैसे चलेगी। औद्योगिक कंपनियों की जिम्मेदारी केवल रोजगार सृजन करना ही नहीं, बल्कि कर देकर सरकार चलाने में सहयोग करना भी है।
कोर्ट के इस रूख के बाद राजस्थान सरकार को उम्मीदर बंधी है कि उसे इतनी बड़ी बकाया रकम अब मिल सकती है। -
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