रेल किराया बढ़ने और एलपीजी सिलेंडर के दामों में वृदि्ध के बाद मोदी की कड़वी दवा के तीसरे डोज का वक्त हो गया है। जल्द ही चीनी की मिठास कम होने वाली है। सरकार ने चीनी पर आयात शुल्क 15 से बढ़ाकर 40 फीसदी करने का निर्णय किया है। खाद्य मंत्री राम विलास पासवान ने सोमवार को दूसरी उच्च स्तरीय बैठक में यह निर्णय लिया।
इस खबर से बजाज हिंदुस्तान, श्री रेणुका शुगर्स और बलरामपुर चीनी मिल के शेयर में ऎकाएक उछाल आ गया। आईएसएमए ने सरकार के इस निर्णय का स्वागत किया है और कहा है कि शुगर बॉडी इस राहत का इंतजार पिछले 18 माह से कर रही थी। आईएसएमए के निदेशक जनरल अबिनाश वर्मा ने बताया कि इससे आने वाले दिनों में चीनी के दाम 3 रूपए प्रति किलो से बढ़ जाएंगे। इस निर्णय पर कैबिनेट के अप्रूवल की जरूरत नहीं है।
चीनी मिल मालिकों से कहा गया है कि यदि वह किसानों के गन्ना बकाया का निपटारा करते हैं तो अन्य रियायतों पर भी विचार किया जाएगा। किसानों का करीब 11 हजार करोड़ रूपया चीनी मिलों पर बकाया है। पासवान ने बताया कि सरकार नगदी के संकट से जूझ रही चीनी मिलों को किसानों का बकाया आदा करने के लिए 4400 करोड़ रूपए का ब्याज मुक्त अतिरिक्त कर्ज मुहैया कराएगी। उन्होंने कहा कि कच्ची चीनी के निर्यात पर 3300 रूपए प्रति टन की रियायत को सितंबर तक बढ़ाया जा रहा है।
सरकार ने पेट्रोल में एथनोल की पांच प्रतिशत मात्रा को बढ़ाकर 10 प्रतिशत अनिवार्य करने का फैसला भी किया है । भारतीय चीनी मिल संघ (इस्मा) ने सरकार के इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा है कि इससे संकट से जूझ रहे उद्योग को बड़ी राहत मिलेगी। उद्योग काफी लंबे समय से इसकी मांग कर रहा था। चीनी उद्योग से जुड़े लोगों का कहना है कि आयात शुल्क बढ़ाने के फैसले से मीठे की कीमतों में दो से तीन रूपए प्रति किलो उछाल आ सकता है ।
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