रविवार, 4 मई 2014

चारधाम यात्रा बदरीनाथ, केदारनाथ, यमुनोत्री और गंगोत्री



बदरीनाथ, केदारनाथ, यमुनोत्री और गंगोत्री के कपाट खुलने के साथ ही उत्तराखंड में चारधाम यात्रा का आगाज हो गया है। आस्था के इन पथों पर हर साल करोड़ों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं। जैसा की शुरूआती दौर में ही सरकारी मशीनरी यात्रा को लेकर संजीदा नजर आ रही है, नि:संदेह देखने और सुनने में यह अच्छा लग रहा है, लेकिन धरातल पर झांकने की ज्यादा जरूरत है।

यह सही है कि यात्रा रफ्ता-रफ्ता परवान चढ़ेगी, पर इसका यह मतलब कतई नहीं कि सरकारी तंत्र भी इंतजार की मुद्रा में बैठा रहे। चारधाम यात्राओं का अभी तक का अनुभव इतना अच्छा नहीं है कि बेफिक्र होकर काम चल जाएगा। हर साल अव्यवस्थाओं से दो चार होकर श्रद्धालुओं का मूड उखड़ता है, यह अलग बात है कि आस्था की इस डगर पर श्रद्धालु तमाम परेशानियों की परवाह किए बगैर उत्साह से पग भरते नजर आते हैं, लेकिन यह देखकर जिम्मेदारी से मुंह नहीं मोड़ा जा सकता है। चारधाम यात्रा मार्गो पर बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराना सरकारी तंत्र की पहली जिम्मेदारी है। खानपान से लेकर ठहरने की समुचित व्यवस्थाएं इस दायरे में आती हैं। ऐसा भी नहीं की सरकार ने अभी तक इस तरफ ध्यान नहीं दिया, पर हालिया निरीक्षणों में जो तस्वीर उभरकर सामने आई, उसे देखते हुए आने वाले दिनों में दिक्कतें पैदा होने की आशंकाओं को खारिज नहीं किया जा सकता। यात्रा का पिछले सालों का रुख देखें तो मई के तीसरे सप्ताह से ये चरम की तरफ बढ़ने लगती है, तब सारे इंतजाम धरे के धरे रह जाते हैं। हालांकि, दावा किया जा रहा है कि इस बार ऐसा नहीं होने देंगे, पर कह देने से ही कुछ नहीं बदलने वाला। इसे अमलीजामा पहनाने के लिए ठोस योजना के साथ काम करने की जरूरत है। सरकारी तंत्र को इस पर गंभीरता से काम करना होगा। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए पुलिस विभाग ने हेल्पलाइन शुरू की है, इसका लाभ जरूर मिलेगा, ऐसी उम्मीद की जा रही है। यहां एक बात पर जरूर ध्यान देना होगा कि श्रद्धालुओं के साथ पुलिस का व्यवहार वाकई मित्रवत रहे, यात्रा के दरम्यान कई बार ऐसे भी मौके आ सकते हैं, जब परेशानियों की वजह से श्रद्धालु तुनकमिजाजी पर दिखाने लगें, उस वक्त पुलिस को खाकी वाली छवि से बाहर निकलना होगा। पिछली कुछ यात्राओं में पुलिस का खराब रवैया सामने आ चुका है, हालांकि इसके लिए उन पर अनुशासन का डंडा भी चला, पर इस तरह के हालत पैदा न होने देने की कोशिश की जानी चाहिए। श्रद्धालुओं पर भी यह बात लागू होती है कि वेवजह किसी बात को तूल न दें। कुल मिलाकर यही कामना कि देश के कोने-कोने से आने वाले श्रद्धालुओं की यात्रा सफल और सुखमय हो।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें