चित्तौड़गढ़। जिले के कपासन के निकट संडियावड़ी मानव रहित रेलवे क्रांसिग पर सोमवार सुबह करीब आठ बजे एक मिनी ट्रक ट्रेन (बांद्रा-उदयपुर एक्सप्रेस- 12995) की चपेट में ट्रक सवार तीन बहिनों सहित छह लोगों की मृत्यु हो गई, जबकि चार अन्य घायल हो गए।
घायलों को तुरंत ही उदयपुर के लिए रैफर कर दिया गया। पांच लोगों ने दुर्घटना स्थ्ल पर ही दम तोड़ दिया। एक अन्य की उदयपुर में उपचार के दौरान मृत्यु हो गई।
पुलिस के अनुसार कपासन क्षेत्र के नाती का खेड़ा से तड़के 3 बजे एक मिनी ट्रक खांखला भरने के लिए संडियावड़ी आया। यहां से खाखला भरकर सुबह करीब आठ बजे ट्रक वापस लौट रहा था। करीब दौ सौ कदम चलने के बाद ही संडियावड़ी में रेलवे क्रांसिंग पर जैसे ही ट्रक गुजरा तो उदयपुर की ओर जाने वाली बांद्रा-उदयपुर ट्रेन की चपेट में आ गया।
इससे ट्रक पूरी तरह से बिखर गयाऔर मौके पर भदेसर के तरजला निवासी रूपा(20) पुत्र मोहन बंजारा, नाती का खेड़ा निवासी बाबू(25) पुत्र जीवा बंजारा, सोसर (22) पुत्री राजू बंजारा, चंदू (20) पुत्री राजू बंजारा , राधा(18) पुत्री राजू बंजारा की दुर्घटना स्थल पर मृत्यु हो गई।
वहीं वकील (22) पुत्र जीवा बंजारा, नगीना (20) पुत्री बालू, महेन्द्र (18) पुत्र राजू बंजारा, सोनिया (24) पुत्र जीवा बंजारा एवं जगदीश (15)पुत्रशंकर बंजारा को 108 एबुलेंस की मदद से उपचार के लिए उदयपुर भेजा गया।
जहां पर जगदीश ने भी दम तोड़ दिया। वहीं सूचना पर जिला कलक्टर वेद प्रकाश, पुलिस अधीक्षक प्रसन्न कुमार खमेसरा एवं उदयपुर से रेलवे के क्षेत्रीय अधिकारी हरफूल चौधरी भी मौके पर पहुंचे।
तीन बहिनों ने एक साथ गंवाई जान
हादसे में तीन बहिनों ने एक साथ अपनी जान गंवा दी। इसमें सोसर, चंदू एवं राधा बंजारा तीनों सगी बहिनें थी।
पूरी तरह से बिखर गया ट्रक
हादसा इतना भीषण था कि जैसे ही मिनी ट्रक ट्रेन की चपेट में वैसे ही ट्रक पूरी तरह से बिखर गया।ट्रक के चार हिस्से हो गएए। और केबिन में सवार सभी लोगों की मृत्यु हो गई। ट्रक का केबिन अलग, इंजन दूसरी और बॉडी अलग एवं टायर अलग दिया में चले गए।
डेढ़ घंटा खड़ी रही ट्रेन
हादसे के बाद करीब डेढ़ घंटा ट्रेन मौके पर ही खड़ी रही।अधिकारियों के पहुंचने एवं राहत एवं बचाव कार्य होने के बाद करीब साढ़े 9 बजे ट्रेन को उदयपुर के लिए रवाना किया गया।
शायद मौत ही खिंच लाई
सुबह तीन बजे ट्रक मालिक बाबू जब खांखला भरने के लिए अन्य लोगों को तीन बजे उठाने गया तो उन्होंने कहा कि इतनी जल्दी नहीं कुछ देरी से चलेंगे, लेकिन बाबू ने किसी की नहीं सुनी और तीन बजे ही सबको लेकर रवाना हो गया। हो सकता है कि कुछ देरी से जाते तो लौटते में ट्रेन का समय गुजर जाता।
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