नई दिल्ली. लोकसभा चुनाव के नौवें और आखिरी चरण के तहत 41 सीटों पर वोटिंग शुरू हो गई है। इस चरण में उत्तर प्रदेश की 18, पश्चिम बंगाल की 17 और बिहार की छह सीटों पर मतदान हो रहा है। इस बीच उत्तर प्रदेश के चंदौली में एक मतदान केंद्र के अंदर मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव की स्टीकर वाला लैपटॉप देखा गया। आज भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी, आम आदमी पार्टी के अरविंद केजरीवाल, सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव और आरजेडी के रघुवंश सिंह जैसे कई दिग्गजों की किस्मत पर आज फैसला होना है।
आज सबकी नजर वाराणसी सीट पर है जहां मोदी, केजरीवाल और कांग्रेस के अजय राय के बीच दिलचस्प त्रिकोणीय मुकाबला है। माना जा रहा है कि भाजपा भले ही वाराणसी से मोदी की जीत का सार्वजनिक दावा कर रही हो, लेकिन केजरीवाल ने उसकी चिंताएं बढ़ा दी हैं। यह चिंता है मोदी की जीत के अंतर को लेकर। केजरीवाल ने वाराणसी में चुनाव प्रचार खत्म होने से दो दिन पहले जिस तरह धुंआधार प्रचार और रोड शो किया, उससे भाजपा के माथे पर चिंता की लकीरें खींच आई हैं। इसके अलावा भाजपा का मानना है कि 2009 में पार्टी प्रत्याशी मुरली मनोहर जोशी की 17 हजार वोटों से जो जीत हुई थी वह कहीं से भी आरामदायक नहीं थी। पार्टी को आशंका है कि इस बार केजरीवाल जीत के अंतर को कम कर सकते हैं। इन सबके मद्देनजर भाजपा अब मोदी की जीत के अंतर को लेकर अपने पिछले आंकड़ों की समीक्षा करने में जुट गई है। हालांकि, भाजपा यह भी मान रही है कि जीत मोदी की ही होगी और केजरीवाल व अजय राय के बीच दूसरे स्थान पाने की लड़ाई होगी।
केजरीवाल ने वाराणसी में कांग्रेस की मुश्किलें भी बढ़ाई हैं। माना जा रहा है कि उन्होंने कांग्रेस के मुस्लिम वोट बैंक में सेंध लगा दी है। गौरतलब है कि वाराणसी के कुल 17 लाख वोटरों में से मुस्लिम वोटरों की तादाद साढ़े तीन लाख के करीब है। कांग्रेस की एक मुसीबत यह भी है कि बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी का साथ लेने की वजह से अगड़ी जातियों के वोटर भी उससे दूर हो सकते हैं। इस लिहाज से माना जा रहा है कि केजरीवाल को दोनों तरह के वोटरों का समर्थन मिल सकता है।
आज सबकी नजर वाराणसी सीट पर है जहां मोदी, केजरीवाल और कांग्रेस के अजय राय के बीच दिलचस्प त्रिकोणीय मुकाबला है। माना जा रहा है कि भाजपा भले ही वाराणसी से मोदी की जीत का सार्वजनिक दावा कर रही हो, लेकिन केजरीवाल ने उसकी चिंताएं बढ़ा दी हैं। यह चिंता है मोदी की जीत के अंतर को लेकर। केजरीवाल ने वाराणसी में चुनाव प्रचार खत्म होने से दो दिन पहले जिस तरह धुंआधार प्रचार और रोड शो किया, उससे भाजपा के माथे पर चिंता की लकीरें खींच आई हैं। इसके अलावा भाजपा का मानना है कि 2009 में पार्टी प्रत्याशी मुरली मनोहर जोशी की 17 हजार वोटों से जो जीत हुई थी वह कहीं से भी आरामदायक नहीं थी। पार्टी को आशंका है कि इस बार केजरीवाल जीत के अंतर को कम कर सकते हैं। इन सबके मद्देनजर भाजपा अब मोदी की जीत के अंतर को लेकर अपने पिछले आंकड़ों की समीक्षा करने में जुट गई है। हालांकि, भाजपा यह भी मान रही है कि जीत मोदी की ही होगी और केजरीवाल व अजय राय के बीच दूसरे स्थान पाने की लड़ाई होगी।
केजरीवाल ने वाराणसी में कांग्रेस की मुश्किलें भी बढ़ाई हैं। माना जा रहा है कि उन्होंने कांग्रेस के मुस्लिम वोट बैंक में सेंध लगा दी है। गौरतलब है कि वाराणसी के कुल 17 लाख वोटरों में से मुस्लिम वोटरों की तादाद साढ़े तीन लाख के करीब है। कांग्रेस की एक मुसीबत यह भी है कि बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी का साथ लेने की वजह से अगड़ी जातियों के वोटर भी उससे दूर हो सकते हैं। इस लिहाज से माना जा रहा है कि केजरीवाल को दोनों तरह के वोटरों का समर्थन मिल सकता है।
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