नई दिल्ली. लोकसभा चुनाव 2014 में अपने पीएम प्रत्याशी नरेंद्र मोदी की कथित लहर के भरोसे मिशन 272 का लक्ष्य हासिल करने का सपना देख रही बीजेपी की राह इतनी भी आसान नहीं है। विभिन्न राज्यों के क्षेत्रीय दल, दक्षिण में पार्टी की पतली हालत, बिहार में लालू के कमबैक और अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी कुछ ऐसे फैक्टर हैं, जो बीजेपी के इस मिशन को धक्का पहुंचा सकते हैं। ऐसे में बीजेपी चुनावी नतीजों के बाद आने वाले संभावित परिणामों के मद्देनजर रणनीति बनाने में जुट गई है।
असल नतीजे तो 16 मई के बाद ही आएंगे, लेकिन बीजेपी मुख्यत: तीन संभावनाओं को लेकर आगे की रणनीति बना रही है। पहली कि पार्टी को 240 के आसपास सीटें मिलें। दूसरी संभावना यह है कि वह 200 का आंकड़ा तो पार कर जाए, लेकिन 205 से 210 सीटों तक सीमित रह जाए। तीसरी और बीजेपी के लिए सबसे बुरी गुंजाइश यही है कि वह 180 से 190 सीटों तक में सिमट जाए। इन तीनों में से कोई भी हालात बनने पर बीजेपी क्या कदम उठा सकती है, इससे जुड़ी संभावनाओं को लेकर अटकलबाजी शुरू हो गई है।
बीजेपी को 240 सीटें
बीजेपी को 240 सीटें मिलने और जनमानस में कांग्रेस सरकार के प्रति महंगाई व भ्रष्टाचार को लेकर गुस्से के बीच बेहद गहरा रिश्ता है। बीजेपी को 240 सीटें मिलना तभी मुमकिन है, जब उसे यूपी में कम से कम 50, महाराष्ट्र में 40 और बिहार में 25 सीटें मिलें। अगर पार्टी ने इस तरह का प्रदर्शन किया तो देश में मोदी लहर होने की बात सही साबित हो जाएगी। उधर, यह भी बेहद अहम है एनडीए में बीजेपी की सबसे करीबी सहयोगी पार्टियां शिवसेना और तेलगु देशम पार्टी क्रमश: 20 से 30 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। संक्षेप में कहा जाए तो 240 सीटें मिलने की दशा में बीजेपी के लिए सरकार बनाना बेहद आसान हो जाएगा।
बीजेपी को 210 सीटें अगर पार्टी को 210 के आसपास सीटें मिलती है तो उसे राजनीतिक चतुराई का परिचय देते हुए पुराने जोड़ीदारों को जोड़े रखने के अलावा नए पार्टनर भी ढूंढने होंगे। अगर ऐसी कोई संभावना हुई तो बीजेपी एआईएडीएमके प्रमुख जयललिता, तेलंगाना राष्ट्र समिति के चंद्रशेखर राव और वाईएसआर कांग्रेस प्रमुख जगनमोहन रेड्डी से नजदीकियां बढ़ाने की कोशिश कर सकती है। नरेंद्र मोदी से बेहतर रिश्तें रखने वालीं जयललिता के अलावा नवीन पटनायक की बीजू जनता दल और जगन की वाईएसआर केंद्र में बीजेपी के लिए वही भूमिका निभा सकते हैं, जो समाजवादी पार्टी या आरजेडी कांग्रेस के लिए बीते वक्त में निभा चुके हैं। नवीन पटनायक के खिलाफ शारदा घोटाला मामले में सीबीआई जांच की मांग उठने के अलावा जया और जगन के खिलाफ चल रहे मामले उन्हें केंद्र में बीजेपी को समर्थन देने के लिए माया, लालू या मुलायम की तरह मजबूर कर सकते हैं।
बीजेपी को 175 से 180 सीट
बहुत सारे राजनीतिक पंडित इस तरह के हालात बनने को लेकर आश्वस्त हैं कि बीजेपी 170 से 180 सीटों तक सिमट कर रह जाए। अगर ऐसा हुआ तो पार्टी को तीन देवियों की शरण में जाना पड़ सकता है। ये तीन देवियां हैं -जयललिता, मायावती और ममता बनर्जी। बहुत सारे राजनीतिक जानकार मानते हैं कि ममता बनर्जी मोदी फैक्टर की वजह से बीजेपी को समर्थन नहीं देंगे। हालांकि, बीजेपी 175 सीटें मिलने पर भी सरकार बनाने की कोशिश करेगी, क्योंकि सरकार बनाने की कोशिश न करने की दशा में समर्थकों और वोटरों में बेहद गलत संदेश जाएगा। जानकार मानते हैं कि 175 से 180 सीटें आने की दशा में यह भी एक संभावना है कि कांग्रेस अल्पमत सरकार को बाहर से समर्थन दे दे। हालांकि, सरकार तीसरे मोर्चे को समर्थन देने की कोशिश करेगी। इस दशा में बीएसपी, एसपी, जेडीयू, तृणमूल, आरजेडी और लेफ्ट पार्टियों के संभावित गठजोड़ को कांग्रेस बाहर से समर्थन दे सकती है।
असल नतीजे तो 16 मई के बाद ही आएंगे, लेकिन बीजेपी मुख्यत: तीन संभावनाओं को लेकर आगे की रणनीति बना रही है। पहली कि पार्टी को 240 के आसपास सीटें मिलें। दूसरी संभावना यह है कि वह 200 का आंकड़ा तो पार कर जाए, लेकिन 205 से 210 सीटों तक सीमित रह जाए। तीसरी और बीजेपी के लिए सबसे बुरी गुंजाइश यही है कि वह 180 से 190 सीटों तक में सिमट जाए। इन तीनों में से कोई भी हालात बनने पर बीजेपी क्या कदम उठा सकती है, इससे जुड़ी संभावनाओं को लेकर अटकलबाजी शुरू हो गई है।
बीजेपी को 240 सीटें
बीजेपी को 240 सीटें मिलने और जनमानस में कांग्रेस सरकार के प्रति महंगाई व भ्रष्टाचार को लेकर गुस्से के बीच बेहद गहरा रिश्ता है। बीजेपी को 240 सीटें मिलना तभी मुमकिन है, जब उसे यूपी में कम से कम 50, महाराष्ट्र में 40 और बिहार में 25 सीटें मिलें। अगर पार्टी ने इस तरह का प्रदर्शन किया तो देश में मोदी लहर होने की बात सही साबित हो जाएगी। उधर, यह भी बेहद अहम है एनडीए में बीजेपी की सबसे करीबी सहयोगी पार्टियां शिवसेना और तेलगु देशम पार्टी क्रमश: 20 से 30 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। संक्षेप में कहा जाए तो 240 सीटें मिलने की दशा में बीजेपी के लिए सरकार बनाना बेहद आसान हो जाएगा।
बीजेपी को 210 सीटें अगर पार्टी को 210 के आसपास सीटें मिलती है तो उसे राजनीतिक चतुराई का परिचय देते हुए पुराने जोड़ीदारों को जोड़े रखने के अलावा नए पार्टनर भी ढूंढने होंगे। अगर ऐसी कोई संभावना हुई तो बीजेपी एआईएडीएमके प्रमुख जयललिता, तेलंगाना राष्ट्र समिति के चंद्रशेखर राव और वाईएसआर कांग्रेस प्रमुख जगनमोहन रेड्डी से नजदीकियां बढ़ाने की कोशिश कर सकती है। नरेंद्र मोदी से बेहतर रिश्तें रखने वालीं जयललिता के अलावा नवीन पटनायक की बीजू जनता दल और जगन की वाईएसआर केंद्र में बीजेपी के लिए वही भूमिका निभा सकते हैं, जो समाजवादी पार्टी या आरजेडी कांग्रेस के लिए बीते वक्त में निभा चुके हैं। नवीन पटनायक के खिलाफ शारदा घोटाला मामले में सीबीआई जांच की मांग उठने के अलावा जया और जगन के खिलाफ चल रहे मामले उन्हें केंद्र में बीजेपी को समर्थन देने के लिए माया, लालू या मुलायम की तरह मजबूर कर सकते हैं।
बीजेपी को 175 से 180 सीट
बहुत सारे राजनीतिक पंडित इस तरह के हालात बनने को लेकर आश्वस्त हैं कि बीजेपी 170 से 180 सीटों तक सिमट कर रह जाए। अगर ऐसा हुआ तो पार्टी को तीन देवियों की शरण में जाना पड़ सकता है। ये तीन देवियां हैं -जयललिता, मायावती और ममता बनर्जी। बहुत सारे राजनीतिक जानकार मानते हैं कि ममता बनर्जी मोदी फैक्टर की वजह से बीजेपी को समर्थन नहीं देंगे। हालांकि, बीजेपी 175 सीटें मिलने पर भी सरकार बनाने की कोशिश करेगी, क्योंकि सरकार बनाने की कोशिश न करने की दशा में समर्थकों और वोटरों में बेहद गलत संदेश जाएगा। जानकार मानते हैं कि 175 से 180 सीटें आने की दशा में यह भी एक संभावना है कि कांग्रेस अल्पमत सरकार को बाहर से समर्थन दे दे। हालांकि, सरकार तीसरे मोर्चे को समर्थन देने की कोशिश करेगी। इस दशा में बीएसपी, एसपी, जेडीयू, तृणमूल, आरजेडी और लेफ्ट पार्टियों के संभावित गठजोड़ को कांग्रेस बाहर से समर्थन दे सकती है।
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