जैसलमेर में मामा से मिलने आई थी
बाड़मेर वे पाकिस्तान से भारत आए तो चार थे, लेकिन जाते समय इनकी संख्या पांच हो गई। पांचवां सदस्य नवजात है, जो भारत में जन्मा है। पाकिस्तानी अफसरों ने चारों को तो स्वदेश वापसी की इजाजत दे दी, लेकिन नवजात शिशु को लेने से इनकार कर दिया। परिवार दुविधा में फंस गया। बच्चे को किसके सहारे छोड़कर जाते। अब पांचों सदस्य भारत में ही रुके हुए हैं। पीडि़त पाकिस्तानी परिवार दिल्ली जाकर पाक उच्चायोग में फरियाद करेगा।
बाड़मेर वे पाकिस्तान से भारत आए तो चार थे, लेकिन जाते समय इनकी संख्या पांच हो गई। पांचवां सदस्य नवजात है, जो भारत में जन्मा है। पाकिस्तानी अफसरों ने चारों को तो स्वदेश वापसी की इजाजत दे दी, लेकिन नवजात शिशु को लेने से इनकार कर दिया। परिवार दुविधा में फंस गया। बच्चे को किसके सहारे छोड़कर जाते। अब पांचों सदस्य भारत में ही रुके हुए हैं। पीडि़त पाकिस्तानी परिवार दिल्ली जाकर पाक उच्चायोग में फरियाद करेगा।
...और पाक इस आधार पर कर सकता है स्वीकार
यदि किसी देश के माता-पिता अपनी संतान को अन्य किसी देश में जन्म देते हैं तो वे अपने देश के उच्चायोग (कॉन्सुलेट) में जाकर बच्चे की फिजिकल तस्दीक कर सकते हैं। ओरिजिनल बर्थ सर्टिफिकेट, माता-पिता ओरिजिनल मैरिज सर्टिफिकेट व पासपोर्ट दिखाने के बाद पाकिस्तान के अधिकारी बच्चे को अपने देश ले जाने का प्रबंध कर सकते हैं। कुछ देशों में इसके लिए फीस भी चार्ज की जाती है।
भारत के नियम में बच्चा भारतीय नहीं
राष्ट्रीयता कानून के मुताबिक जुलाई 1987 के बाद भारत में जन्मा व्यक्ति यहां का नागरिक तभी कहलाया जा सकता है जबकि उसके माता-पिता में से एक भारत का नागरिक है। इस बच्चे के मामले में दोनों पाकिस्तानी हैं। हालांकि 26 जनवरी 1950 से 1 जुलाई 1987 तक देश में जन्मे सभी लोगों को भारत का नागरिक माना गया।
आखिर क्या होगा डेढ़ माह के बच्चे का?
पाक उच्चायुक्त करेगा फैसला
भारत के नियम में बच्चा भारतीय नहीं
राष्ट्रीयता कानून के मुताबिक जुलाई 1987 के बाद भारत में जन्मा व्यक्ति यहां का नागरिक तभी कहलाया जा सकता है जबकि उसके माता-पिता में से एक भारत का नागरिक है। इस बच्चे के मामले में दोनों पाकिस्तानी हैं। हालांकि 26 जनवरी 1950 से 1 जुलाई 1987 तक देश में जन्मे सभी लोगों को भारत का नागरिक माना गया।
आखिर क्या होगा डेढ़ माह के बच्चे का?
पाक उच्चायुक्त करेगा फैसला
थार एक्सप्रेस से पाक जा रहे पांच पाक यात्रियों को वतन जाने के लिए इंतजार करना पड़ेगा। जोधपुर पहुंचने के बाद दिल्ली भेज दिए जाएंगे। जहां पाक उच्चायुक्त से मुलाकात कर पासपोर्ट में नवजात की फोटो प्रिंट कराएंगे। इसके बाद पाक उच्चायुक्त के निर्देशानुसार वतन वापसी संभव होगी। -बनवारीलाल,
थानाधिकारी जीआरपी थाना बाड़मेर
थानाधिकारी जीआरपी थाना बाड़मेर
यह है मामला
पाकिस्तान के मीर मोहम्मद की पत्नी माई फातमा का परिवार सिंध सूबे में पालकी डेरकी गांव में रहता है। वह जैसलमेर स्थित अपने ननिहाल मामा के यहां करीब दो माह पहले आई थी। उसके साथ उसका देवर, एक पुत्र अरखाज अली व पुत्री शकीना थी। भारत आने के दौरान फातमा गर्भवती थी। उसने 14 मार्च को जैसलमेर के राजस्थान हॉस्पिटल में बच्चे को जन्म दिया। शनिवार को वह पाकिस्तान के लिए रवाना हुए। इस दौरान मुनाबाव में कस्टम इमिग्रेशन जांच के बाद उसे पाकिस्तान के लिए रवाना कर दिया गया। पाकिस्तानी अधिकारियों ने पांचवे नवजात शिशु को लेने से इनकार कर दिया। हालांकि महिला के पासपोर्ट में उसके नवजात शिशु का इंद्राज किया गया। लेकिन फोटो प्रिंट नहीं होने से पाक ने लेने से मना कर दिया। काफी जद्दोजहद के बाद निराश होकर इस परिवार ने पाक जाने का कार्यक्रम रद्द कर दिया। अब वे दिल्ली में पाकिस्तानी उच्चायोग में फरियाद करेंगे।
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