अहमदाबाद। 62 साल की जशोदाबेन एक रिटायर स्कूल टीचर हैं। वह मोदी की पत्नी होने का दावा करती हैं। उनके मुताबिक मात्र 17 साल की उम्र में उनकी मोदी के साथ शादी हो गई थी। तीन साल के बाद दोनों एक-दूसरे से अलग भी हो गए।
अब जशोदाबेन के पति राजनीति की सुर्खियों में हैं और देश का प्रधानमंत्री बनने की दौड़ में भी। हालांकि जशोदाबेन का सियासत की संकरी गलियों से कोई वास्ता नहीं है। वह 14000 रूपए महीन पेंशन पाती है और अपने भाई के साथ रहती हैं।
उनका ज्यादातर वक्त प्रार्थना में गुजरता है। अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस के साथ वह इंटरव्यू देने को तो राजी हो गई, लेकिन तस्वीर नहीं खिंचवाई। पेश हैं इंटरव्यू के खास अंश...
आप लोगों की शादी कितना पहले हुई थी और क्या अब भी आप पति-पत्नी हैं?
शादी के वक्त मैं 17 साल की थी। मैं पढ़ाई में अच्छी थी। मुझे याद है, जब मैं पहली बार उनसे मिली थी तो उन्होंने मुझसे पढ़ाई जारी रखने को कहा था।
वह मुझसे मेरी पढ़ाई को लेकर ही ज्यादातर बातें करते थे। शुरूआत में वह मुझसे बात करते थे, खाने में क्या बनेगा, इस बारे में भी वह बातें करते थे।
क्या आप इस रिश्ते को बोझ मानती हैं? खासतौर पर तब मीडिया में लगातार इस बारे में सवाल उठाए जाते हैं। क्या आपको लो-प्रोफाइल में रहने का निर्देश दिया गया है?
हमारे बीच कोई संपर्क नहीं है।
हमारे बीच कभी कोई लड़ाई नहीं हुई थी और हम रजामंदी से अलग हुए थे। मैं ऎसा कुछ नहीं कहूंगी, जो सच नहीं है। हमारा रिश्ता तीन साल तक रहा, लेकिन इस दौरान करीब तीन महीने ही हमने इकट्ठे बिताए होंगे। उसके बाद से अब तक उनकी तरफ कोई बातचीत नहीं हुई है।
क्या आप नरेंद्र मोदी के बारे में खबरें पढ़ती हैं?
हां, मेरे हाथ जो कुछ भी आता है मैं पढ़ती हूं। मैं अखबार में छपे सभी आर्टिकल्स पढ़ती हूं और टीवी पर खबरें भी देखती हूं। मुझे उनके बारे में पढ़ना पसंद है।
अगर वह प्रधानमंत्री बनकर दिल्ली जाते हैं और आपको बुलाते हैं तो क्या आप उनके पास वापस जाना चाहेंगी? क्या आप उनसे कभी मिलने की कोशिश करेंगी?
मैं उनसे कभी मिलने नहीं गई और हम कभी संपर्क में भी नहीं रहे।
मुझे नहीं लगता है कि वह मुझे कभी बुलाएंगे भी। जो भी हो, मैं नहीं चाहती कि इन सारी बातों से उन्हें नुकसान हो। मैं बस कामना करती हूं कि वह जो भी करें उसमें सफल हों। मैं जानती हूं, वह एक दिन प्रधानमंत्री बनेंगे।
क्या उन्होंने कभी आपसे बताया कि वह आपको छोड़ रहे हैं या शादी खत्म कर रहे हैं?
एक बार उन्होंने मुझसे कहा था मैं पूरे देश में भ्रमण करूंगा, उन जगहों पर जाउंगा जहां मुझे खुशी मिलती है, तुम कहां तक मेरे साथ आओगी? जब मैं वड़नगर उनके परिवार के साथ रहने आई तो उन्होंने कहा कि तुम अभी युवा हो, तुम ससुराल क्यों चली आई, तुम्हें अपनी पढ़ाई पर ध्यान देना चाहिए।
उन्हें छोड़ने का फैसला मेरा था और हमारे बीच कभी किसी तरह का मनमुटाव नहीं रहा। उन्होंने मुझसे कभी आरएसएस या अपने राजनीतिक झुकाव की बात नहीं की। जब उन्होंने देश-भ्रमण की बात की थी तो मैंने उनसे कहा था कि मैं उनके साथ आऊंगी।
कई बार जब मैं अपनी ससुराल गई तो वह वहां नहीं होते थे। बाद में उन्होंने वहां आना ही बंद कर दिया। वह आरएसएस की शाखाओं में ही वक्त गुजारने लगे। फिर एक वक्त के बाद मैंने भी ससुराल जाना बंद कर दिया और अपने पिता के घर चली गई।
अपने माता-पिता के घर वापस जाने के बाद आपने खुद को कैसे संभाला?
मेरे ससुराल वालों ने मेरा ख्याल रखा, हालांकि शादी के बारे में कोई बात नहीं होती थी। मेरे पिता ने मेरी पढ़ाई का खर्च उठाया और मेरे भाई ने भी इसमें मदद की।
मैं जब दो साल की थी तो मेरी मां गुजर गई और दसवीं की पढ़ाई के दौरान पिताजी भी छोड़ गए। हालांकि एक बार पढ़ाई शुरू करने के बाद मैं रूकी नहीं। मैंने 1974 में एसएसी किया और 1976 में अपनी टीचर्स ट्रेनिंग करने के बाद 1978 में टीचर हो गई।
अपने रिटायरमेंट के दिन कैसे बिता रही हैं?
मैंने पहली से पांचवीं क्लास के बच्चों को सभी विष्ाय पढ़ाया और इसका आनंद उठाया। आज भी मेरे दिन की शुरूआत सुबह 4 बजे से हो जाती है और सबसे पहले मैं अंबे मां की पूजा करती हूं।
मैं अपना पूरा समय भक्ति में बिताती हूं। मैं अधिकतर अपने बड़े भाई अशोक मोदी के साथ रहती हूं जो ऊंझा में रहते हैं। हालांकि मैं अपने दूसरे भाइयों के घर भी जाती रहती हूं। मुझे लगता है कि मेरे भाई काफी अच्छे हैं जो मुझे सहयोग करते हैं।
क्या अब भी आप और मोदी कानूनन पति-पत्नी हैं?
जब भी लोग उनका नाम लेते हैं, मेरी मौजूदगी भी किसी न किसी तरह दर्ज हो ही जाती है। आप भी तो मुझसे बात करने के लिए ही मुझे ढूंढते हुए आए हैं ना? अगर मैं उनकी पत्नी ना होती तो क्या आप मुझसे बात करने आते?
दोबारा शादी क्यों नहीं की?
इस अनुभव के बाद फिर मुझे इसका ख्याल नहीं आया।
आपको तकलीफ नहीं होती कि उन्होंने आपको पत्नी का दर्जा नहीं दिया?
नहीं, मुझे बुरा नहीं लगता, क्योंकि मुझे पता है कि वह अपनी तकदीर को संवारने में लगे हैं। इस तरह के हालात में उन्हें कई तरह की बातें करनी पड़ती हैं और झूठ भी बोलना पड़ता होगा। मैं अपने हालात के लिए बुरा नहीं मानती क्योंकि मुझे लगता है कि इसी रास्ते मेरा भाग्य भी बना है।
अब जशोदाबेन के पति राजनीति की सुर्खियों में हैं और देश का प्रधानमंत्री बनने की दौड़ में भी। हालांकि जशोदाबेन का सियासत की संकरी गलियों से कोई वास्ता नहीं है। वह 14000 रूपए महीन पेंशन पाती है और अपने भाई के साथ रहती हैं।
उनका ज्यादातर वक्त प्रार्थना में गुजरता है। अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस के साथ वह इंटरव्यू देने को तो राजी हो गई, लेकिन तस्वीर नहीं खिंचवाई। पेश हैं इंटरव्यू के खास अंश...
आप लोगों की शादी कितना पहले हुई थी और क्या अब भी आप पति-पत्नी हैं?
शादी के वक्त मैं 17 साल की थी। मैं पढ़ाई में अच्छी थी। मुझे याद है, जब मैं पहली बार उनसे मिली थी तो उन्होंने मुझसे पढ़ाई जारी रखने को कहा था।
वह मुझसे मेरी पढ़ाई को लेकर ही ज्यादातर बातें करते थे। शुरूआत में वह मुझसे बात करते थे, खाने में क्या बनेगा, इस बारे में भी वह बातें करते थे।
क्या आप इस रिश्ते को बोझ मानती हैं? खासतौर पर तब मीडिया में लगातार इस बारे में सवाल उठाए जाते हैं। क्या आपको लो-प्रोफाइल में रहने का निर्देश दिया गया है?
हमारे बीच कोई संपर्क नहीं है।
हमारे बीच कभी कोई लड़ाई नहीं हुई थी और हम रजामंदी से अलग हुए थे। मैं ऎसा कुछ नहीं कहूंगी, जो सच नहीं है। हमारा रिश्ता तीन साल तक रहा, लेकिन इस दौरान करीब तीन महीने ही हमने इकट्ठे बिताए होंगे। उसके बाद से अब तक उनकी तरफ कोई बातचीत नहीं हुई है।
क्या आप नरेंद्र मोदी के बारे में खबरें पढ़ती हैं?
हां, मेरे हाथ जो कुछ भी आता है मैं पढ़ती हूं। मैं अखबार में छपे सभी आर्टिकल्स पढ़ती हूं और टीवी पर खबरें भी देखती हूं। मुझे उनके बारे में पढ़ना पसंद है।
अगर वह प्रधानमंत्री बनकर दिल्ली जाते हैं और आपको बुलाते हैं तो क्या आप उनके पास वापस जाना चाहेंगी? क्या आप उनसे कभी मिलने की कोशिश करेंगी?
मैं उनसे कभी मिलने नहीं गई और हम कभी संपर्क में भी नहीं रहे।
मुझे नहीं लगता है कि वह मुझे कभी बुलाएंगे भी। जो भी हो, मैं नहीं चाहती कि इन सारी बातों से उन्हें नुकसान हो। मैं बस कामना करती हूं कि वह जो भी करें उसमें सफल हों। मैं जानती हूं, वह एक दिन प्रधानमंत्री बनेंगे।
क्या उन्होंने कभी आपसे बताया कि वह आपको छोड़ रहे हैं या शादी खत्म कर रहे हैं?
एक बार उन्होंने मुझसे कहा था मैं पूरे देश में भ्रमण करूंगा, उन जगहों पर जाउंगा जहां मुझे खुशी मिलती है, तुम कहां तक मेरे साथ आओगी? जब मैं वड़नगर उनके परिवार के साथ रहने आई तो उन्होंने कहा कि तुम अभी युवा हो, तुम ससुराल क्यों चली आई, तुम्हें अपनी पढ़ाई पर ध्यान देना चाहिए।
उन्हें छोड़ने का फैसला मेरा था और हमारे बीच कभी किसी तरह का मनमुटाव नहीं रहा। उन्होंने मुझसे कभी आरएसएस या अपने राजनीतिक झुकाव की बात नहीं की। जब उन्होंने देश-भ्रमण की बात की थी तो मैंने उनसे कहा था कि मैं उनके साथ आऊंगी।
कई बार जब मैं अपनी ससुराल गई तो वह वहां नहीं होते थे। बाद में उन्होंने वहां आना ही बंद कर दिया। वह आरएसएस की शाखाओं में ही वक्त गुजारने लगे। फिर एक वक्त के बाद मैंने भी ससुराल जाना बंद कर दिया और अपने पिता के घर चली गई।
अपने माता-पिता के घर वापस जाने के बाद आपने खुद को कैसे संभाला?
मेरे ससुराल वालों ने मेरा ख्याल रखा, हालांकि शादी के बारे में कोई बात नहीं होती थी। मेरे पिता ने मेरी पढ़ाई का खर्च उठाया और मेरे भाई ने भी इसमें मदद की।
मैं जब दो साल की थी तो मेरी मां गुजर गई और दसवीं की पढ़ाई के दौरान पिताजी भी छोड़ गए। हालांकि एक बार पढ़ाई शुरू करने के बाद मैं रूकी नहीं। मैंने 1974 में एसएसी किया और 1976 में अपनी टीचर्स ट्रेनिंग करने के बाद 1978 में टीचर हो गई।
अपने रिटायरमेंट के दिन कैसे बिता रही हैं?
मैंने पहली से पांचवीं क्लास के बच्चों को सभी विष्ाय पढ़ाया और इसका आनंद उठाया। आज भी मेरे दिन की शुरूआत सुबह 4 बजे से हो जाती है और सबसे पहले मैं अंबे मां की पूजा करती हूं।
मैं अपना पूरा समय भक्ति में बिताती हूं। मैं अधिकतर अपने बड़े भाई अशोक मोदी के साथ रहती हूं जो ऊंझा में रहते हैं। हालांकि मैं अपने दूसरे भाइयों के घर भी जाती रहती हूं। मुझे लगता है कि मेरे भाई काफी अच्छे हैं जो मुझे सहयोग करते हैं।
क्या अब भी आप और मोदी कानूनन पति-पत्नी हैं?
जब भी लोग उनका नाम लेते हैं, मेरी मौजूदगी भी किसी न किसी तरह दर्ज हो ही जाती है। आप भी तो मुझसे बात करने के लिए ही मुझे ढूंढते हुए आए हैं ना? अगर मैं उनकी पत्नी ना होती तो क्या आप मुझसे बात करने आते?
दोबारा शादी क्यों नहीं की?
इस अनुभव के बाद फिर मुझे इसका ख्याल नहीं आया।
आपको तकलीफ नहीं होती कि उन्होंने आपको पत्नी का दर्जा नहीं दिया?
नहीं, मुझे बुरा नहीं लगता, क्योंकि मुझे पता है कि वह अपनी तकदीर को संवारने में लगे हैं। इस तरह के हालात में उन्हें कई तरह की बातें करनी पड़ती हैं और झूठ भी बोलना पड़ता होगा। मैं अपने हालात के लिए बुरा नहीं मानती क्योंकि मुझे लगता है कि इसी रास्ते मेरा भाग्य भी बना है।
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