जयपुर। राजस्थान में रिटेल में एफडीआई का फैसला पलटने जाने के बाद अब जयपुर मेट्रो पर संशय बढ़ता जा रहा है। दरअसल, जयपुर मेट्रो के सैकेंड फेज को लेकर मुख्यमंत्री के बयान के बाद से प्रोजेक्ट पर संशय के बादल मंडराने लगे हैं। डीएमआरसी से लेकर जेएमआरसी के अधिकारी भी असमंजस की स्थिति में हैं।
कोई भी खुलकर बोलने को तैयार नहीं है कि आखिर फेज वन एक्सटेंशन और सैकेंड फेज को लेकर क्या रणनीति बनाई जा रही है। सूत्रों की मानें तो जेएमआरसी इस मामले में राज्य सरकार से स्वीकृति मिलने के बाद ही नया काम शुरू करने के मूड में है।
मेट्रो पर राजे ने उठाए थे ये सवाल
विधानसभा के पहले सत्र में मुख्यमंत्री ने राज्यपाल के अभिभाष्ाण का जवाब देते हुए कहा था कि जयपुर में 2025 से पहले मेट्रो की आवश्यकता ही नहीं थी। पिछली सरकार ने इस पर काफी पैसा बेकार किया है, उन्होंने पहले फेज पर किए गए खर्च का ब्यौरा देते हुए कहा था कि इतने पैसे में तो राज्य में 110 फ्लाईओवर बनाए जा सकते थे। इसके अलावा हर साल मेट्रो संचालन पर होने वाले खर्च को अन्य विकास कार्यो पर लगाया जा सकता था।
मेट्रो टनल पर असमंजस
मानसरोवर से लेकर चांदपोल तक मेट्रो चलाने की तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी हैं। इस बीच टै्रक से लेकर अन्य कार्य भी करीब-करीब पूरे हो चुके हैं। इस रूट पर कॉमर्शियल ट्रायल किया जाना बाकी रह गया है। इसी के साथ चांदपोल से बड़ी चौपड़ तक अंडरग्राउंड टनल बनाने के लिए ताइवान की कंपनी को काम भी सौंपा जा चुका है।
टेस्टिंग पूरी,अब काम का इंतजार
कंपनी ने चांदपोल से लेकर बड़ी चौपड़ के बीच मिट्टी की टेस्टिंग भी कर ली गई है। यही नहीं कंपनी को पुरातत्व विभाग से हरी झंडी भी मिल चुकी है और जल्द कार्य शुरू किया जाना है।
अधिकारियों के समझ से बाहर हालात
मुख्यमंत्री के इस बयान के बाद से कंपनी और यहां काम करवा रही डीएमआरसी के अधिकारियों के सामने असमंजस के हालात हैं। माना जा रहा है कि जल्द ही डीएमआरसी और जेएमआरसी के अधिकारी इस मामले में राज्य सरकार ने आगे कार्य करने की स्वीकृति मिलने के बाद ही काम शुरू कर पाएंगे।
कोई भी खुलकर बोलने को तैयार नहीं है कि आखिर फेज वन एक्सटेंशन और सैकेंड फेज को लेकर क्या रणनीति बनाई जा रही है। सूत्रों की मानें तो जेएमआरसी इस मामले में राज्य सरकार से स्वीकृति मिलने के बाद ही नया काम शुरू करने के मूड में है।
मेट्रो पर राजे ने उठाए थे ये सवाल
विधानसभा के पहले सत्र में मुख्यमंत्री ने राज्यपाल के अभिभाष्ाण का जवाब देते हुए कहा था कि जयपुर में 2025 से पहले मेट्रो की आवश्यकता ही नहीं थी। पिछली सरकार ने इस पर काफी पैसा बेकार किया है, उन्होंने पहले फेज पर किए गए खर्च का ब्यौरा देते हुए कहा था कि इतने पैसे में तो राज्य में 110 फ्लाईओवर बनाए जा सकते थे। इसके अलावा हर साल मेट्रो संचालन पर होने वाले खर्च को अन्य विकास कार्यो पर लगाया जा सकता था।
मेट्रो टनल पर असमंजस
मानसरोवर से लेकर चांदपोल तक मेट्रो चलाने की तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी हैं। इस बीच टै्रक से लेकर अन्य कार्य भी करीब-करीब पूरे हो चुके हैं। इस रूट पर कॉमर्शियल ट्रायल किया जाना बाकी रह गया है। इसी के साथ चांदपोल से बड़ी चौपड़ तक अंडरग्राउंड टनल बनाने के लिए ताइवान की कंपनी को काम भी सौंपा जा चुका है।
टेस्टिंग पूरी,अब काम का इंतजार
कंपनी ने चांदपोल से लेकर बड़ी चौपड़ के बीच मिट्टी की टेस्टिंग भी कर ली गई है। यही नहीं कंपनी को पुरातत्व विभाग से हरी झंडी भी मिल चुकी है और जल्द कार्य शुरू किया जाना है।
अधिकारियों के समझ से बाहर हालात
मुख्यमंत्री के इस बयान के बाद से कंपनी और यहां काम करवा रही डीएमआरसी के अधिकारियों के सामने असमंजस के हालात हैं। माना जा रहा है कि जल्द ही डीएमआरसी और जेएमआरसी के अधिकारी इस मामले में राज्य सरकार ने आगे कार्य करने की स्वीकृति मिलने के बाद ही काम शुरू कर पाएंगे।
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