जयपुर। सार्वजनिक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) अब डामर की सड़कें बनाने में प्लास्टिक कचरे का उपयोग करेगा। पायलट प्रोजेक्ट के रूप में इसकी शुरूआत जयपुर और दौसा जिले की 24 सड़कों के निर्माण से की जाएगी।
जयपुर जिले में 19 एवं दौसा जिले में 5 सड़कों का चयन किया गया है। 74 किमी. लम्बाई वाली इन सड़कों के करीब 62 किलोमीटर लम्बे हिस्से में प्लास्टिक कचरे का उपयोग किया जाएगा।
इसके अलावा जहां-जहां प्रचुर मात्रा में फ्लाई एश उपलब्ध है, उसे भी मिट्टी के साथ मिलाकर सड़क का आधार बनाने के काम में लिया जाएगा। इससे सड़क पर होने वाले खर्च में भी कमी आएगी।
इस पायलट प्रोजेक्ट को शुरू करने को लेकर सार्वजनिक निर्माण मंत्री यूनुस खान ने शनिवार को विभाग के अधिकारियों की बैठक ली। बैठक में रोड सेफ्टी अथॉरिटी एक्ट, प्रस्तावित नई टोल नीति, ग्रामीण गौरव पथ, प्रस्तावित स्टेट रोड (लैण्ड एण्ड ट्रैफिक एक्ट) कन्ट्रोल एक्ट सहित कई कार्यो के लिए गठित समितियों की कार्यप्रगति की समीक्षा की गई।
10 प्रतिशत कम होगा डामर खर्च
खान ने बताया कि प्लास्टिक वेस्ट का उपयोग करने से 10 प्रतिशत डामर खर्च कम होगा। रोड सेफ्टी अथॉरिटी एक्ट को लेकर खान ने कहा कि राज्य के पंचायती राज सैटअप के सहयोग को भी एक्ट के प्रावधानों में शामिल किया जाए, जिससे कि ग्राम पंचायत स्तर तक सड़क सुरक्षा का संदेश पहुंचे।
उन्होंने नई टोल नीति को लेकर कहा कि इसमें कम टोल लगाने के प्रावधानों के साथ ही पंजाब, गुजरात, आंध्रप्रदेश जैसे राज्यों की टोल नीति का अध्ययन भी किया जाए। प्रमुख शासन सचिव जे.सी. महान्ति ने अधिकारियों को इन राज्यों का दौरा कर 15 मार्च तक रिपोर्ट देने के लिए कहा।
बैठक में विभाग की सड़कों का विधानसभावार डाटा तैयार करने के लिए कहा गया। इसके अलावा प्रस्तावित स्टेट रोड्स कन्ट्रोल एक्ट पर चर्चा के दौरान बताया गया कि सड़कों पर घर का पानी आने व कचरा डालने से भी सड़कें जल्दी टूटती हैं। इसको लेकर एक्ट में सड़कों पर अतिक्रमण की रोकथाम, ओवर लोडिंग पर नियंत्रण के प्रावधान किए जा रहे हैं।
मिट्टी से तय होगा सड़क का निर्माण
प्रदेश में सड़क निर्माण के लिए एक जैसी तकनीक नहीं अपनाई जाएगी। सड़क का निर्माण क्षेत्र की मिट्टी के आधार पर तय किया जाएगा। सड़क पर डामरीकरण से पहले संबंधित इलाके की मिट्टी का परीक्षण किया जाएगा, जिससे वहां सड़क तय मियाद से पहले नहीं टूटे और वाहन दबाव आसानी से झेल सके।
सार्वजनिक निर्माण मंत्री यूनुस खान ने सड़कों का स्थायित्व बढ़ाने के लिए विभिन्न शहरों का सर्वे करने के निर्देश दिए हैं।
मंत्री खान शनिवार को राजस्थान राज्य सड़क विकास एवं निर्माण निगम लिमिटेड (आरएसआरडीसी) के सभागार में आयोजित सड़क निर्माण क्षेत्र के निवेशकों के साथ मंथन कर रहे थे।
बैठक में सामने आया कि कई जिलों में सड़क निर्माण सामग्री की प्रचुरता है, जबकि कई इलाकों लम्बी दूरी तय कर यह सामग्री लानी पड़ती है। इससे बचने के लिए ठेकेदार स्थानीय स्तर पर उपलब्ध सामग्री से ही सड़कें बना डालते हैं। इससे सड़कें आवश्यकता के अनुसार गुणवत्तापूर्ण नहीं हो पातीं।
बन रहा कांट्रेक्ट मैनेजमेंट सिस्टम
मंत्री ने निवेशकों को प्रदेश में सड़कों के सुदृढ़ीकरण की नई व्यवस्था लागू करने की जानकारी दी। तहसील या जिले को एक इकाई मानकर उसका मेंटीनेंस का काम भी एक ही कांट्रेक्टर के जरिए होगा।
इसके लिए कांट्रेक्ट मैनेजमेंट सिस्टम विकसित किया जा रहा है, जिसके लिए कमेटी गठित की गई है। इसी तरह विभाग के मुख्य वास्तुविद, मुख्य अभियंता के निर्देश में भी कमेटी बनाई गई है, जो सरकारी भवनों के एलीवेशन व अन्य सुविधाओं में बदलाव के बारे में बताएंगे।
जयपुर जिले में 19 एवं दौसा जिले में 5 सड़कों का चयन किया गया है। 74 किमी. लम्बाई वाली इन सड़कों के करीब 62 किलोमीटर लम्बे हिस्से में प्लास्टिक कचरे का उपयोग किया जाएगा।
इसके अलावा जहां-जहां प्रचुर मात्रा में फ्लाई एश उपलब्ध है, उसे भी मिट्टी के साथ मिलाकर सड़क का आधार बनाने के काम में लिया जाएगा। इससे सड़क पर होने वाले खर्च में भी कमी आएगी।
इस पायलट प्रोजेक्ट को शुरू करने को लेकर सार्वजनिक निर्माण मंत्री यूनुस खान ने शनिवार को विभाग के अधिकारियों की बैठक ली। बैठक में रोड सेफ्टी अथॉरिटी एक्ट, प्रस्तावित नई टोल नीति, ग्रामीण गौरव पथ, प्रस्तावित स्टेट रोड (लैण्ड एण्ड ट्रैफिक एक्ट) कन्ट्रोल एक्ट सहित कई कार्यो के लिए गठित समितियों की कार्यप्रगति की समीक्षा की गई।
10 प्रतिशत कम होगा डामर खर्च
खान ने बताया कि प्लास्टिक वेस्ट का उपयोग करने से 10 प्रतिशत डामर खर्च कम होगा। रोड सेफ्टी अथॉरिटी एक्ट को लेकर खान ने कहा कि राज्य के पंचायती राज सैटअप के सहयोग को भी एक्ट के प्रावधानों में शामिल किया जाए, जिससे कि ग्राम पंचायत स्तर तक सड़क सुरक्षा का संदेश पहुंचे।
उन्होंने नई टोल नीति को लेकर कहा कि इसमें कम टोल लगाने के प्रावधानों के साथ ही पंजाब, गुजरात, आंध्रप्रदेश जैसे राज्यों की टोल नीति का अध्ययन भी किया जाए। प्रमुख शासन सचिव जे.सी. महान्ति ने अधिकारियों को इन राज्यों का दौरा कर 15 मार्च तक रिपोर्ट देने के लिए कहा।
बैठक में विभाग की सड़कों का विधानसभावार डाटा तैयार करने के लिए कहा गया। इसके अलावा प्रस्तावित स्टेट रोड्स कन्ट्रोल एक्ट पर चर्चा के दौरान बताया गया कि सड़कों पर घर का पानी आने व कचरा डालने से भी सड़कें जल्दी टूटती हैं। इसको लेकर एक्ट में सड़कों पर अतिक्रमण की रोकथाम, ओवर लोडिंग पर नियंत्रण के प्रावधान किए जा रहे हैं।
मिट्टी से तय होगा सड़क का निर्माण
प्रदेश में सड़क निर्माण के लिए एक जैसी तकनीक नहीं अपनाई जाएगी। सड़क का निर्माण क्षेत्र की मिट्टी के आधार पर तय किया जाएगा। सड़क पर डामरीकरण से पहले संबंधित इलाके की मिट्टी का परीक्षण किया जाएगा, जिससे वहां सड़क तय मियाद से पहले नहीं टूटे और वाहन दबाव आसानी से झेल सके।
सार्वजनिक निर्माण मंत्री यूनुस खान ने सड़कों का स्थायित्व बढ़ाने के लिए विभिन्न शहरों का सर्वे करने के निर्देश दिए हैं।
मंत्री खान शनिवार को राजस्थान राज्य सड़क विकास एवं निर्माण निगम लिमिटेड (आरएसआरडीसी) के सभागार में आयोजित सड़क निर्माण क्षेत्र के निवेशकों के साथ मंथन कर रहे थे।
बैठक में सामने आया कि कई जिलों में सड़क निर्माण सामग्री की प्रचुरता है, जबकि कई इलाकों लम्बी दूरी तय कर यह सामग्री लानी पड़ती है। इससे बचने के लिए ठेकेदार स्थानीय स्तर पर उपलब्ध सामग्री से ही सड़कें बना डालते हैं। इससे सड़कें आवश्यकता के अनुसार गुणवत्तापूर्ण नहीं हो पातीं।
बन रहा कांट्रेक्ट मैनेजमेंट सिस्टम
मंत्री ने निवेशकों को प्रदेश में सड़कों के सुदृढ़ीकरण की नई व्यवस्था लागू करने की जानकारी दी। तहसील या जिले को एक इकाई मानकर उसका मेंटीनेंस का काम भी एक ही कांट्रेक्टर के जरिए होगा।
इसके लिए कांट्रेक्ट मैनेजमेंट सिस्टम विकसित किया जा रहा है, जिसके लिए कमेटी गठित की गई है। इसी तरह विभाग के मुख्य वास्तुविद, मुख्य अभियंता के निर्देश में भी कमेटी बनाई गई है, जो सरकारी भवनों के एलीवेशन व अन्य सुविधाओं में बदलाव के बारे में बताएंगे।
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